दिल्ली में किसान महापंचायत

20 मार्च, 2023 को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में आयोजित विशाल किसान महापंचायत सफलतापूर्वक संपन्न हुई।

इस महापंचायत में देश के कोने-कोने से 10 हजार से ज्यादा किसान शामिल हुए थे। मज़दूर एकता कमेटी के कार्यकर्ताओं ने इस महापंचायत में बड़े उत्साह के साथ भाग लिया।

महापंचायत को 50 से अधिक किसान नेताओं और मज़दूर संगठनों के प्रतिनिधियों ने संबोधित किया।

Kisan Mhapanchayatमहापंचायत को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा कृषि क्षेत्र को पूंजीपति वर्ग के नियंत्रण से मुक्त कराने के लिये और केंद्र सरकार की किसान-विरोधी नीतियों के खि़लाफ़ अपना विरोध संघर्ष जारी रखेगा।

वक्ताओं ने देश की प्राकृतिक संपदाओं को पूंजीपति वर्ग के हाथों में सौंपे जाने की निंदा की। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार पूंजीपतियों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए कृषि भूमि, जल-जंगल और प्राकृतिक संसाधनों को बेच रही है।

देशभर के किसानों की मांगों के इर्द-गिर्द ज्यादा से ज्यादा संख्या में किसानों को जोड़ने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने आगे की रणनीति पेश की। उन्होंने राज्यों में सम्मेलन आयोजित करने तथा पूरे देश में यात्राएं आयोजित करने की घोषणा की। उन्होंने कॉरपोरेट घरानों द्वारा शोषण को ख़त्म करने के लिये, देशभर में बड़े पैमाने पर संघर्ष शुरू करने की घोषणा की।

संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से 15 सदस्यों वाले एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्र सरकार के कृषि मंत्री से कृषि भवन में मुलाक़ात की और अपना ज्ञापन सौंपा। कृषि मंत्री और संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों के बीच इस बात पर सहमति हुई कि किसानों की लंबित मांगों व ज्वलंत मुद्दों पर संयुक्त किसान मोर्चा व सरकार के बीच बातचीत जारी रहनी चाहिए। संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों ने मंत्री को बताया कि यदि समय सीमा के अंदर मांगों पर सुनवाई नहीं हुई तो आने वाले समय में और अधिक धरने-प्रदर्शनों की घोषणा की जाएगी।

Kisan Mhapanchayatप्रतिनिधिमंडल ने केन्द्र सरकार को ज्ञापन के ज़रिए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 9 दिसंबर, 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा को लिखे पत्र में किये गये वादों को सरकार पूरा करे। सरकार के उस पत्र के आधार पर संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली की सीमाओं पर से अपना धरना प्रदर्शन समाप्त कर दिया था। 11 दिसंबर, 2021 को दिल्ली और देश में चल रहे सभी विरोध प्रदर्शन स्थगित कर दिए गए थे। आज, 15 महीने के बाद भी सरकार ने किसानों से किए गये वादे पूरे नहीं किए हैं।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे – आल इंडिया किसान सभा से श्री आर. वैंकैय्या, किसान संघर्ष समिति से डा. सुनीलम, आल इंडिया किसान महासभा से श्री प्रेम सिंह गहलावत, आल इंडिया किसान मज़दूर सभा से श्री वी वेंकटरमैय्या, भारतीय किसान मज़दूर यूनियन से श्री सुरेश कोथ, भारतीय किसान यूनियन से श्री युद्धवीर सिंह, आल इंडिया किसान सभा से श्री हनन मोल्ला, भारतीय किसान यूनियन (डकौंदा) से श्री बूटा सिंह बुर्जगिल, भारतीय किसान यूनियन (उग्राहां) से श्री जोगिंदर सिंह उग्राहां, आल इंडिया किसान खेत मज़दूर संगठन से श्री सत्यवान, जय किसान आंदोलन से श्री अविक साहा, क्रांतिकारी किसान यूनियन से श्री दर्शनपाल, भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) से श्री मंजीत राय, भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) से श्री हरिंदर लखोवाल और इंडियन फारमर्स एसोसियशन से श्री सतनाम सिंह बेहरू।

ज्ञापन में उठाई गई मांगें इस प्रकार हैं :

  1. एम.एस.पी. की गारंटी का क़ानून बनाया जाए।
  2. किसानों की मांगों पर सरकार द्वारा बनायी गई मौजूदा कमेटी को भंग किया जाए। सिर्फ एम.एस.पी. पर नई कमेटी का पुनर्गठन किया जाए। इसमें संयुक्त किसान मोर्चा को शामिल किया जाए, जैसा कि सरकार ने वादा किया था।
  3. सभी किसानों के ऋणों को तत्काल माफ़ किया जाए। खाद सहित अन्य कृषि लागतों की क़ीमतों को कम किया जाए।
  4. बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाये।
  5. लखीमपुर खीरी जिले के किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मुख्य साज़िशकर्ता, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ को बख़ार्स्त करके जेल भेजा जाए।
  6. किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के साथ-साथ लखीमपुर खीरी में शहीद व घायल हुए किसानों के परिवारों को मुआवज़ा और पुनर्वास देने का अपना वादा सरकार पूरा करे।
  7. सरकार को अप्रभावी प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना को तत्काल बदलना चाहिए। इसकी जगह पर सार्वभौमिक, व्यापक और प्रभावी फ़सल बीमा योजना लानी चाहिये। जिसमें सभी फ़सलों के लिए मुआवज़ा पैकेज, तथा असमय सूखा, बाढ़, ओलावृष्टि के कारण किसानों को लगातार हो रहे नुक़सान की भरपाई की जाये और फ़सल संबंधी रोगों, जंगली जानवरों, आवारा मवेशियों आदि से हुये नुक़सान का आकलन व्यक्तिगत प्लाट/भूखंड के आधार पर किया जाये।
  8. किसानों व कृषि मज़दूरों के लिए 5,000 रुपये प्रति माह की किसान पेंशन योजना तुरंत लागू की जाए।
  9. किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज़ किये गए फ़र्ज़ी मुकदमे तुरंत वापस लिए जायें ।
  10. सिंघू बार्डर पर शहीद किसानों के स्मारक के निर्माण के लिए भूमि का आवंटन किया जाए।
  11. सरकार 25 जून, 2022 को वन संरक्षण नियम 2022 लेकर आई थी। यह नियम गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए वन-भूमि का उपयोग करने की इजाजत देता है। यह नियम वन अधिकार अधिनियम 2006 को लागू करने में बाधा डालता है। संयुक्त किसान मोर्चा की मांग है कि यह नियम तत्काल वापस लिया जाये।
  12. पूंजीपति वर्ग के फ़ायदे के लिए अलग-अलग राज्यों में परियोजनाएं चल रही हैं। यहां की सरकारें भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 के तहत, किसानों के उचित मुआवज़ा पाने के अधिकार को सुनिश्चित नहीं कर रही हैं। किसानों को नाममात्र का मुआवज़ा स्वीकार करके अपनी भूमि को सौंपने के लिए धमकाया जा रहा है। यहां तक कि बुलडोजर की धमकी दी जा रही है। संयुक्त किसान मोर्चा की मांग है कि इन सभी अवैध कार्यों को रोका जाए और क़ानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाए।
  13. कृषि लागत और मूल्य आयोग का गठन किया जाए।
  14. सी.बी.आई. जैसी केन्द्रीय एजेंसियों ने पंजाब के किसानों पर छापा मारा है। इसे तत्काल रोका जाए।

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