16 मार्च की रात से पूरे उत्तर प्रदेश के एक लाख से अधिक बिजली कर्मचारियों ने यूपी राज्य विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले 72 घंटे की हड़ताल की। हड़ताल करने वालों में इंजीनियर, जूनीयर इंजीनियर, टेक्नीशियन, परिचालन कर्मचारी, कलर्क और ठेका मज़दूर शामिल थे। उन्होंने काम का बहिष्कार किया और राजधानी लखनऊ सहित राज्यभर के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन किये। फर्रुख़ाबाद, मुजफ्फरनगर, प्रयागराज, हरदोई, फिरोज़ाबाद, मुरादाबाद, एटा, वाराणसी और रायबरेली से विरोध प्रदर्शनों की सूचना मिली है। राज्य के कई हिस्सों में घंटों तक बिजली की आपूर्ति ठप्प रही।
बिजली मज़दूर मांग कर रहे हैं कि उनकी पिछली हड़ताल के दौरान, उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यू.पी.पी.सी.एल.) के प्रबंधन के साथ, 3 दिसंबर, 2022 को जो समझौते किये गये थे, उन्हें लागू किया जाये। उस समझौते के बाद मज़दूरों ने अपनी हड़ताल समाप्त कर दी थी।
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दूबे के अनुसार, समझौते में अन्य बातों के अलावा समयबद्ध वेतनमान और पदोन्नति, कर्मचारियों के लिए कैशलेस स्वास्थ्य सेवा की सुविधा का दायरा बढ़ाना और बिजली ट्रांसमिशन और वितरण के किसी भी निजीकरण को रोकने का वादा किया गया था। बिजली मज़दूरों की अन्य प्रमुख मांगें, जिनपर सरकार ने गौर करने का वादा किया था, उनमें शामिल हैं पुरानी पेंशन योजना (ओ.पी.एस.) की बहाली करना और सभी ठेका मज़दूरों को नियमित करना। सरकार ने वादा किया था कि समझौते पर हस्ताक्षर होने के 15 दिनों के भीतर बिजली मज़दूरों की मांगों को लागू किया जायेगा, लेकिन तीन महीने बाद भी सरकार ने उस दिशा में कोई क़दम नहीं उठाया है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि अपने वादों का घोर उल्लंघन करते हुए, सरकार ने ट्रांसमिशन सब-स्टेशनों के निजीकरण की प्रक्रिया जारी रखी है, जिसमें ओबरा और अनपरा में 800-800 मेगावाट की दो नई इकाइयां शामिल हैं, जिन्हें राज्य की जनरेशन कंपनी से छीन लिया गया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों पर हमला करते हुये, हड़ताल पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हैं। संघर्ष समिति के सभी पदाधिकारियों के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी के आदेश जारी किए गए हैं। सरकार ने हड़ताल में शामिल 22 मज़दूरों के ख़िलाफ़ आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (एस्मा) लगाया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने 29 मज़दूरों के ख़िलाफ़ एफ.आई.आर. दर्ज़ की है। 1,332 ठेका मज़दूरों की नौकरियां समाप्त कर दी गई हैं। सभी ठेका मज़दूरों को धमकी दी गई है कि अगर वे हड़ताल का समर्थन करते पाए गए तो उन्हें बख़ार्स्त कर दिया जाएगा।
सरकार की धमकियों और चेतावनियों की परवाह किये बगैर, उत्तर प्रदेश के बिजली मज़दूरों ने बहादुरी से अपनी तीन दिवसीय हड़ताल को अंजाम दिया।
नेशनल कोर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाईज एंड इंजीनियर (एन.सी.सी.ओ.ई.ई.ई.) के आह्वान पर देशभर के कई अलग-अलग राज्यों के लगभग 27 इलाकों के बिजली मज़दूरों ने विभिन्न विरोध प्रदर्शनों का आयोजन करके हड़ताल का समर्थन किया।