पूरे महाराष्ट्र में राज्य सरकार, शिक्षकों और गैर-शिक्षण मज़दूरों तथा अर्ध-सरकारी क्षेत्र के लाखों मज़दूरों ने 14 मार्च को अनिश्चितकालीन हड़ताल की शुरुआत की। वे मांग कर रहे हैं कि महाराष्ट्र सरकार पुरानी पेंशन योजना को बहाल करे। 13 मार्च को राज्य के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के साथ गवरमेंट, सेमी गवरमेंट टीचिंग और नान टीचिंग इप्लाईज़ कोर्डिनेशन कमेटी महाराष्ट्र के प्रतिनिधियों से हुई चर्चा विफल रही, जिसके बाद हड़ताल शुरू की गई।
कर्मचारियों की संचालन समिति के साथ हुई बैठक में उपमुख्यमंत्री ने बार-बार कपटपूर्ण तर्क दिये कि सरकार कर्मचारियों की देखभाल करना चाहती है, लेकिन इसके लिए सरकार के पास पैसा नहीं है और यदि पेंशन पर पैसा खर्च किया जाता है तो विभिन्न विकास परियोजनाओं को नुक़सान होगा। जब कर्मचारियों ने इस तर्क के झूठ की ओर इशारा किया, तो उपमुख्यमंत्री, जो कि राज्य के वित्त मंत्री भी हैं, उन्होंने सुझाव दिया कि कर्मचारियों को एक समझौता स्वीकार करना चाहिए। सरकारी कर्मचारियों के प्रतिनिधियों ने मंत्री को बताया कि समझौते के रूप में पेश की जा रही तथाकथित गारंटीड पेंशन योजना (जी.पी.एस.) से कर्मचारियों को भारी नुक़सान होगा। उन्होंने दोहराया कि कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना (ओ.पी.एस.) की बहाली के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे। कोर्डिनेशन कमेटी द्वारा 13 मार्च को जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह भी स्पष्ट बताया गया है कि राज्य सरकार के कर्मचारी विभिन्न सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इसलिए उनके वेतन, सामाजिक सुरक्षा आदि के लिए खर्च किया गया पैसा भी विकास के लिए खर्च किया गया पैसा ही है। कर्मचारी अपने वेतन को “अत्यधिक व्यय“ के रूप में पेश किये जाने के लिए राज्य सरकार की निंदा कर रहे हैं।
प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, हड़ताल की वजह से पूरे महाराष्ट्र में राज्य के विभिन्न सरकारी विभागों, नगर निगमों, जिला परिषदों, आदि में कामकाज गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। नर्स, वार्ड बॉय व अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी भी आंदोलन में शामिल हो गए हैं, जिसके कारण बड़ी संख्या में सरकारी स्वास्थ्य क्लीनिकों और अस्पतालों में कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है। शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों ने भी पूरे महाराष्ट्र में काम बंद कर दिया है। शिक्षकों ने ऐलान किया है कि अगर सरकार ने मज़दूरों की जायज़ मांगों को नहीं माना तो वे पेपर करेक्शन ड्यूटी का बहिष्कार करेंगे। पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग को लेकर पूरे महाराष्ट्र में विभिन्न विभागों के कर्मचारी भी प्रदर्शन कर रहे हैं। हड़ताल रोकने की सरकार की कोशिशों को इन कर्मचारियों ने चुनौती दी है।
कई अन्य फेडरेशनों और संगठनों, जैसे कि महाराष्ट्र राज्य बिजली कर्मचारी, इंजीनियर और कर्मचारी समन्वय समिति, सीटू, कामगार एकता कमेटी, एटक और कुछ रेलवे फेडरेशनों ने हड़ताल का समर्थन करने की घोषणा की है।
पेंशन के रूप में वृद्धावस्था के दौरान सामाजिक सुरक्षा पाना मज़दूरों का अधिकार है। महाराष्ट्र के मज़दूरों का संघर्ष एक जायज़ संघर्ष है, जिसे पूरे मज़दूर वर्ग और जनता का समर्थन मिलना चाहिए।