स्कूल और विश्वविद्यालय के लगभग 50 हजार शिक्षकों, स्वास्थ्य कर्मियों, कई सार्वजनिक सेवाओं के मज़दूरों, रेल मज़दूरों आदि ने 1 फरवरी, 2023 को पूरे ब्रिटेन में, आपसी समन्वय के साथ, एक विशाल हड़ताल अभियान आयोजित किया।
मज़दूर बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए, अधिक वेतन की मांग कर रहे हैं। सरकार ने मज़दूरों की यूनियनों के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया है, यह दावा करते हुए कि सरकार के पास और अधिक वेतन वृद्धि करने के लिये “धन नहीं है“।
ख़ासतौर पर मज़दूर ‘मिनिमम सर्विस लेवेल बिल’ का विरोध कर रहे हैं, जो एक हड़ताल-विरोधी क़ानून है। इसे सरकार द्वारा हाल ही में पेश किया गया है। इस क़ानून ने नर्सों, चिकित्सा सहायकों, दमकल कर्मचारियों, रेल मज़दूरों और शिक्षकों, जिन्हें सरकार “फ्रंटलाइन“ कार्यकर्ता घोषित करती रही है, के लिए हड़ताल के अधिकार को गैर-क़ानूनी बना दिया है। मज़दूर अपने अधिकारों के लिए लड़ने को दृढ़संकल्प हैं। वे अधिकारियों द्वारा मज़दूरों के साथ गुलामों के जैसे किये जा रहे बर्ताव को सहन करने को तैयार नहीं हैं।
फरवरी के पूरे महीने में हड़ताल की योजना बनाई गई है।
सरकारी मंत्रालयों, ड्राइविंग परीक्षण केंद्रों, संग्रहालयों, बंदरगाहों और हवाई अड्डों के लगभग 1,00,000 सार्वजनिक सेवा के मज़दूरों ने 1 फरवरी, 2023 को 24 घंटे का प्रदर्शन किया। इसमें 150 विश्वविद्यालयों के लगभग 70,000 शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारी शामिल थे। रेलगाड़ियों के चालकों ने 1 और 3 फरवरी को काम बंद कर दिया था, जिससे एक दर्जन से अधिक रेलवे लाइनों पर सेवाएं ठप्प हो गई थीं।
फरवरी में हड़ताल और विरोध प्रदर्शन की घोषणा करने वाले अन्य मज़दूरों में नर्स, चिकित्सा सहायक, आपातकालीन देखभाल सहायक, कॉल हैंडलर, एम्बुलेंस मज़दूर, फिजियोथेरेपिस्ट और अन्य स्वास्थ्य मज़दूर शामिल हैं। वेल्स और उत्तरी आयरलैंड में भी मज़दूरों ने विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है।
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