पूरे फ्रांस में लाखों मज़दूरों ने एक ही महीने में दूसरी बार, 31 जनवरी को विरोध प्रदर्शन और रैलियां आयोजित कीं। मज़दूरों का यह विरोध सरकार के नए विधेयक खि़लाफ़ था जिसमें सेवानिवृत्ति की आयु को 62 वर्ष से बढ़ाकर 64 वर्ष करने का प्रस्ताव है। इससे पहले 19 जनवरी को दस लाख से अधिक मज़दूरों ने एक दिन की हड़ताल में भाग लिया था। जिसमें नए विधेयक को रद्द करने और सेवानिवृत्ति की आयु को 62 साल ही रखने की मांग की गई थी।
हड़ताल के कारण रिफाइनरी, डिलीवरी, सार्वजनिक परिवहन और स्कूलों में काम प्रभावित हुआ। सूचना मिली है कि अकेले पेरिस में ही लगभग पांच लाख लोगों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
फ्रांस की सरकार ने मज़दूरों के साथ उनकी मांगों पर बातचीत करने से इनकार कर दिया है। सरकार का दावा है कि 62 वर्ष की आयु के बाद मज़दूरों को पेंशन का भुगतान करना “वित्तीय रूप से अव्यवहारिक है“। फ्रांस के मज़दूरों ने सरकार के इस दावे को ख़ारिज़ कर दिया है और अपने धरने प्रदर्शनों से साहसपूर्वक इसे चुनौती दे रहे हैं।
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