राजस्थान के लगभग आठ लाख सरकारी कर्मचारियों का आंदोलन कई महीनों से जोर पकड़ रहा है। इसे सफल बनाने के लिये राजस्थान के विभिन्न जिलों में अनेक सरकारी कर्मचारी संगठन तैयारी करते आये हैं। जैसे कि हनुमानगढ़ में 18 जनवरी को संयुक्त कर्मचारी महासंघ की ओर से विभिन्न मांगों को लेकर कलक्ट्रेट के सामने विरोध प्रदर्शन किया गया था जहां पर अपनी मांगों के संबंध में मुख्यमंत्री के नाम कलक्टर को ज्ञापन दिया गया था।
23 जनवरी को अपनी 15 सूत्रीय मांगों के समर्थन में लगभग एक लाख सरकारी कर्मचारियों ने जयपुर में एक विशाल रैली निकाली। इस रैली में 80 से भी अधिक सरकारी कर्मचारियों के संगठनों ने हिस्सा लिया और अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। रैली की अगुवाई अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने की।
राजस्थान में सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम (ओ.पी.एस.) का ऐलान किया है। परन्तु इससे कर्मचारियों को गुस्सा ठंडा नहीं हुआ है। राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के अध्यक्ष ने सरकार को याद दिलाया कि ओ.पी.एस. के सिवाय कर्मचारियों की 15 मांगें सरकार को भेजी गई हैं। इनमें शामिल हैं, वेतन को घटाने का विरोध, प्रमोशन ग्रेड, ग्रामीण भत्ता तथा अनेक रिटायरमेंट संबंधित मुद्दे।
महासंघ के अध्यक्ष आयुदान सिंह ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर अमल नहीं किया गया तो सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलन और तेज होगा। इसी श्रंखला में अब कर्मचारी संघ ने 1 मार्च, 2023 को पूरे प्रदेश में आम हड़ताल का ऐलान किया है।