तमिलनाडु में किसानों के विरोध प्रदर्शन जारी हैं

तमिलनाडु के विभिन्न जिलों में, किसानों का आंदोलन जारी है। वे अपनी जायज़ मांगों के लिये संघर्ष कर रहे हैं, जिनमें शामिल हैं – सभी उपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी, यूरिया और अन्य उर्वरकों की उचित मूल्य पर पर्याप्त आपूर्ति, बिजली संशोधन अधिनियम को वापस लेना, बाढ़ की वजह से बरबाद हुई फ़सलों के लिए उचित मुआवज़ा, फ़सल बीमा और गैर कृषि कार्यों के लिए कृषि भूमि के जबरन अधिग्रहण को समाप्त करना।

पिछले कुछ महीनों के दौरान तमिलनाडु के किसानों द्वारा किये गये कुछ संघर्षों की झलक हम निम्नलिखित लेख में प्रस्तुत कर रहे हैं।

उर्वरकों और कृषि के लिये अन्य लागत वस्तुओं की आपूर्ति में कमी के विरोध में संघर्ष

तमिलनाडु पेज़ेन्ट्स एसोसियेशन की तुतीकुड़ी जिला कमेटी और तिरुचेंदूर क्षेत्रीय कमेटी ने मिलकर, सितंबर-अक्टूबर में कुरुंबुर, अरुमुगनेरी और जिले के अन्य स्थानों पर अपनी मांगों के को पूरा करवाने के लिये आंदोलन किये। इन आंदोलनों का नेतृत्व कॉमरेड वी. कृष्णमूर्ति और अन्य किसान नेताओं ने किया। संघर्षरत किसानों ने बिजली संशोधन अधिनियम को वापस लेने, सहकारी समितियों के माध्यम से बिना किसी कमी के उर्वरक सहित सभी कृषि की लागत वस्तुओं की आपूर्ति, नमक बनाने वाले मज़दूरों को उचित मज़दूरी, नालों और नहरों की सफाई, जल निकायों की सुरक्षा, रिहायशी इलाकों में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था, गांव के अस्पतालों में अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना, आदि की मांग करते हुए नारे लगाए।

पूरे तमिलनाडु में उर्वरकों की भारी कमी है। तुतूकुड़ी जिले के कलेक्टरेट द्वारा किसानों की शिकायत के निवारण लिये आयोजित की गई मासिक मीटिंग में तुतूकुड़ी जिले के किसानों ने जिले के कलेक्टर को एक संयुक्त ज्ञापन सौंपकर, इस मुद्दे को तुरंत हल करने की मांग की है। तमिजागा विवासईगल संगम के तुतूकुड़ी जिले के अध्यक्ष कॉमरेड सरवनमुथुवेल ने फ़सलों की बुआई के इस महत्वपूर्ण समय पर यूरिया और डीएपी जैसी खादों की भारी कमी के कारण किसानों को होने वाली परेशानियों के बारे में बताया, उन्होंने मांग की कि खादों की कमी की समस्या का तत्काल समाधान किया जाये। इस आंदोलन की वजह से जिला प्रशासन ने  किसानों को यह अश्वासन दिया कि खाद की कमी की समस्या को तुरंत दूर किया जाये।

तमिल विवासाईगल संगम ने तुतूकुड़ी जिले के कयाथार में 19 सितंबर को फ़सल बीमा, यूरिया व अन्य खादों आपूर्ति और झीलों तथा नहरों से गाद (सिल्ट) निकालने और रेत को हटाने, आदि मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।

सिंचाई की बेहतर सुविधाओं के लिए संघर्ष

तमिल विवासाईगल संगम के द्वारा कोयम्बतूर के जिला कलेक्टर के कार्यालय पर सितंबर में एक प्रदर्शन आयोजित किया गया था। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि लंबे समय से रुकी हुई अन्नामलाई नल्लारू परियोजना पर तमिलनाडु सरकार तुरंत काम शुरू करे। उन्होंने परम्बिकुलम अझियार परियोजना (पी.ए.पी.) के सिंचाई क्षेत्र से जुड़े किसानों की मांगों को उठाया, जैसे कि किसानों के कुओं से बिजली का कनेक्शन नहीं काटा जाये; परम्बिकुलम सिंचाई परियोजना के लिए भूमि देने वाले किसानों के साथ भेदभाव नहीं किया जाये; मानसून के दौरान वर्षा के जल को बर्बाद न होने दिया जाये बल्कि इस जल को झीलों, तालाबों, टैंकों (पोखरों) और अन्य जल निकायों आदि को भरने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों ने जिला कलेक्टर के सामने इन मांगों को प्रस्तुत किया। पी.ए.पी. के सिंचाई क्षेत्र के किसानों, कोयंबटूर एंड तिरुपुर पेजेंट्स प्रोटेक्शन एसोसियेशन और कोंगु मंडलम के पश्चिमी क्षेत्र की किसान यूनियनों सहित हजार से अधिक किसानों ने इस प्रदर्शन में भाग लिया।

थेनी जिले में लोक निर्माण विभाग ने चिन्नमन्नूर क्षेत्र में मुल्लई पेरियार नदी के पास की ज़मीन पर बोरवेल का इस्तेमाल करने और अप्पीपट्टी, ओडापट्टी और तेनपलानी जैसी शुष्क भूमि की सिंचाई के लिए भूमिगत पाइप का इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। 2 नवंबर, 2022 को हजारों किसानों ने एक जुलूस निकाला और क्षेत्र के किसानों को पर्याप्त और नियमित पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जिला कलेक्टर के समक्ष एक याचिका पेश की। किसान के जुलूस को पुलिस ने जब कलेक्ट्रेट तक जाने से रोका तो किसानों ने हाईवे को जाम करके अपना विरोध प्रकट किया।

13 अक्तूबर, 2022 को तमिलनाडु लेक एंड रिवर इरिगेशन पेजेट्स एसोसियेशन ने त्रिची में विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। उन्होंने बिजली संशोधन अधिनियम को वापस लेने, उर्वरक के मूल्यों में वृद्धि की कमी, सहकारी समितियों के माध्यम से बिना किसी कमी के यूरिया उर्वरक की आपूर्ति, कावेरी नदी पर बैराज के निर्माण व झीलों और तालाबों में बारिश के पानी को बचाने के उपायों को मुहैया कराने की मांग की। हाथ में भीख का कटोरा लिए हुए सैकड़ों किसानों और खेतिहर मज़दूरों ने इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया और नारेबाजी की।

दूध उत्पादक किसानों का आंदोलन

तिरुपुर जिले के किसानों ने आविन के दूध-प्रोसेसिंग केंद्र के सामने, तिरुपुर-पल्लादम मार्ग पर सड़क को जाम करने के कार्यक्रम का आयोजन किया। किसानों ने तिरुपुर जिले में आविन सहकारी समितियों पर आरोप लगाया है कि वह किसानों से पूरी मात्रा में दूध नहीं खरीद रही है। किसानों ने दूध के लिए खरीद मूल्य कम तय करने का आरोप अधिकारियों पर लगाया। उनकी मांग थी कि तमिलनाडु की सरकार दूध उत्पादक किसानों की मांगों को स्वीकार करे और उन्हें पूरा करे।

भूमि अधिग्रहण के ख़िलाफ़ संघर्ष

पानी से संपन्न तंजावुर जिले में कंडियुर ऊपरी तिरुपंधुरिथि, निचले तिरुपंधुरिथि और अन्य क्षेत्रों में बाईपास सड़क बनाने के लिए सरकार किसानों की भूमि का अधिग्रहण कर रही है। इस संरक्षित कृषि अंचल (प्रोटेक्टेड जोन) में बाइपास सड़क के निर्माण के लिए कृषि भूमि का अधिग्रहण किए जाने से किसानों की आजीविका पूरी तरह से नष्ट हो रही है। तंजावुर जिले के किसानों ने थिरुवयारू जिला कलेक्टर को दिए गए अपने ज्ञापन में तमिलनाडु सरकार से सड़क निर्माण परियोजना को तुरंत रोकने का अनुरोध किया है, क्योंकि यह परियोजना धान, नारियल, सुपारी और सब्जियां उगाने वाली उपजाऊ कृषि भूमि को बर्बाद कर रही है।

किसानों ने 1 नवंबर को काले बिल्ले लगाकर और शंख बजाकर इस सड़क परियोजना का विरोध किया। निचले तिरुपंधुरिथी के पंचायत बोर्ड ने एक प्रस्ताव पारित कर मांग की कि सरकार बाईपास सड़क परियोजना को बंद करे। 8 नवंबर, 2022 को कावेरी पेजेंट्स प्रोटेक्शन एसोसियेशन ने बाईपास सड़क परियोजना के खि़लाफ़ तिरुवयारू जिला कलेक्टर के कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया।

सलेम सहित, विभिन्न स्थानों पर किसानों ने आठ-लेन वाली चेन्नई-सलेम महामार्ग परियोजना का विरोध किया और मांग की कि इसे बंद किया जाए। आंदोलनकारी किसानों ने बताया कि इससे लाखों किसानों की आजीविका नष्ट हो जाएगी और प्राकृतिक पर्यावरण को भी नुक़सान होगा।

केंद्र सरकार चेन्नई में एक और एयरपोर्ट बनाने की योजना बना रही है। अधिकारियों ने चेन्नई से 68 किलोमीटर दूर कांचीपुरम जिले के परांथुर में एक स्थान को इसके लिया चुना है। यह एक विशाल उपजाऊ कृषि भूमि है। एयरपोर्ट बनाने के मक़सद से सरकार इस कृषि भूमि में से करीब 7,000 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण करके इसे बड़े कॉरपोरेट बिल्डर कंपनियों को सौंपने की योजना बना रही है। इस क्षेत्र के किसान लगातार इस क़दम के ख़िलाफ़, अपने विरोध प्रदर्शन करते आ रहे हैं, उन्होंने इस हक़ीक़त को पेश किया है कि यह क़दम उनकी आजीविका को पूरी तरह से नष्ट कर देगा और उन्हें उनकी भूमि से उजाड़ कर फेंक देगा।

फ़सल बीमा और फ़सलों के नुकसान से सुरक्षा की मांग को लेकर संघर्ष

Thanjavur-_Protestतंजावुर जिले के किसानों ने फ़सल बीमा का भुगतान न करने और प्रधानमंत्री किसान योजना (पी.एम.के.वाई.) योजना में धन की कटौती के ख़िलाफ़ विरोध किया। किसान तंजावुर कलेक्ट्रेट कार्यालय पर एकत्रित हुए और केंद्र सरकार द्वारा पी.एम.के.वाई. के लिए सहायता के आवंटन को 19,000 रुपये से घटाकर 16,000 करोड़ रुपये करने के ख़िलाफ़ नारेबाजी की।

पूर्वोत्तर के मानसून के तेज़ होने के कारण, तंजावुर जिले की और तमिलनाडु के कई अन्य हिस्सों की फ़सलें बाढ़ के पानी में डूब गई हैं। सांबा धान सहित कई फ़सलें पानी में सड़ रही हैं। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि नालों और नहरों की गाद (सिल्ट) नहीं निकाली जाती है जिसके कारण बाढ़ आती है। किसान मांग कर रहे हैं कि नालों और जलमार्गों की सफाई के लिए क़दम उठाए जाएं और प्रभावित किसानों को पर्याप्त मुआवज़ा दिया जाए।

30 सितंबर को त्रिची जिले में तमिलनाडु लेक एंड रिवर इरिगेशन पेजेंट्स एसोसियेशन ने कृषि विपणन केंद्रों पर यूरिया, पोटेशियम व खादों की कमी और कावेरी तथा कोल्लीदम नदियों में बाढ़ से प्रभावित फ़सलों के मुआवजे़ का भुगतान न करने के ख़िलाफ़, कलेक्टर कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। उन्होंने अपने हाथों में खाद की खाली थैलियां और केले के सड़े-गले पौधे को लेकर नारेबाजी की।

कृषि संगठन ने प्रति एकड़ धान के लिए 30,000 रुपये और केले के लिए प्रति एकड़ एक लाख रुपये के मुआवजे की मांग की है।

किसानों ने यह भी मांग की है कि सरकार को वर्षा के स्तर के आधार पर सार्वजनिक संग्रह केंद्रों द्वारा ख़रीदे गए धान की नमी की मात्रा में छूट प्रदान करने के लिए, एक स्थायी हल निकालना चाहिए। उन्होंने मांग की है कि सरकार केवल 17 प्रतिषत नमी वाले धान की ख़रीद की सरकारी घोषणा के विपरीत 20 प्रतिषत तक नमी वाले धान की ख़रीद की अनुमति दे।

23 सितंबर को नेशनल साऊथ इंडिया रिवर लिंक पेजंट्स एसोसियेशन किसानों ने बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर पेंशन सहित अपनी विभिन्न मांगों के लिये त्रिची जिला कलेक्टर के कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि कोई चाहे कृषि भूमि का मालिक हो या पट्टे/गिरवी की भूमि पर खेती करता हो या दिहाड़ी खेत मज़दूर हो, वे सभी किसान हैं। लेकिन सरकार ने एक बयान जारी किया है कि जिनके पास पट्टे की भूमि है, उन्हें ही किसान माना जाएगा और उन्हें 6000 रुपये प्रति वर्ष समर्थन राशि दी जाएगी। किसानों ने यह घोषणा की कि सभी किसानों की रक्षा करना सरकार की ज़िम्मेदारी है और उनके बीच में फूट डालने के लिये सरकार द्वारा चली गई इस चाल की किसानों न निंदा की ।

केला और कई अन्य फ़सलों के साथ-साथ, मंदिर की भूमि पर खेती करने वालों को कृषि ऋण देने से बैंकों द्वारा इंकार किया जाना, मंदिर की भूमि पर पीढ़ियों से खेती कर रहे किसानों को 6000 रुपये की समर्थन राशि देने से इनकार किया जाना, नारिकुरवों द्वारा 60 से अधिक वर्षों से खेती की जा रही भूमि के लिए उन्हें पट्टा देने से इनकार किया जाना और उन्हें गिरफ्तार किये जाने के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा ऐसे सभी हमलों की कड़ी निंदा की गई।

गन्ना किसानों का विरोध

तमिलनाडु गन्ना किसान संगठन ने कुड्डालोर जिले के नेल्लीकुप्पम में अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन किया। 7 अक्तूबर को उन्होंने नेल्लीकुप्पम में ईआईडी पैरी शुगर मिल के सामने अपने हाथों में गन्ना लेकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपनी मांगों के के लिये पदर्शन किया, उनकी मांगों में शामिल है – तमिलनाडु सरकार द्वारा 5000 रुपये प्रति टन गन्ना ख़रीद मूल्य दिया जाये; तमिलनाडु सरकार द्वारा अधिसूचित गन्ने की फ़सलों को उगाने वाले किसानों के शक्कर संयंत्र प्रबंधन द्वारा पंजीकरण किया जाये; किसानों को वर्ष 2003-04 एवं 2008-09 के लाभ अंश राशि का एवं अपव्यय के नाम पर रोकी गई राशि का तत्काल भुगतान किया जाये।

कल्लाकुरिची में शुगरकेन पेजेंट्स एसोसियेशन ने अपनी मांगों के को लेकर 19 अक्तूबर को जिला कलेक्टर के कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने आग्रह किया कि सरकार को कलैयानल्लुर धरणी शक्कर मिल का राष्ट्रीयकरण करना चाहिए और उसे तुरंत चलाना चाहिए और 2018-19 में किसानों से धरनी शक्कर मिल द्वारा खरीदे गए गन्ने का बकाया का तुरंत भुगतान करना चाहिए।

किसानों द्वारा दिल्ली की सीमाओं पर किये गये विरोध प्रदर्शन की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर प्रदर्शन

संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी किसानों से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के विरोध की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर 26 नवंबर को देशभर में विरोध प्रदर्शन और रैलियां आयोजित करने का आह्वान किया है। तमिलनाडु के कई जिलों में कृषि संगठनों ने 26 नवंबर को जुझारू विरोध मार्च आयोजित किए।

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