गुजरात में पुल गिरने से सैकड़ों लोगों की मौत
राज्य की आपराधिक लापरवाही

गुजरात के मोरबी शहर में मच्छू नदी से 141 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के शव बरामद किए गए हैं। रविवार 30 अक्टूबर को शाम 6.40 बजे यह पुल गिर गया जब सैकड़ों लोग नदी पर बने स्प्रिंग पुल (सस्पेंषन पुल) पर छुट्टी के दिन घूमने आये थे। मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है और कई लोग लापता बताए जा रहे हैं।

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी पुल गिरने से जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करती है।

सस्पेंशन पुल का गिरना उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों की आपराधिक लापरवाही और पुल के रखरखाव और संचालन के लिए जिम्मेदार निजी पूंजीपतियों के साथ उनकी मिलीभगत की ओर इशारा करता है।

150 साल पुराना, 756 मीटर लंबा सस्पेंशन पुल तब टूट गया जब उसमें 400-500 लोग थे, यानी कि अपनी क्षमता से तीन गुना अधिक लोग। पुल के टूटने के परिणामस्वरूप सैकड़ों लोग नदी में गिर गए।

मोरबी नगर पालिका के अधिकारियों के अनुसार, पुल को 15 साल के संचालन और रखरखाव के लिए एक निजी कंपनी ओरेवा को दिया गया था। मार्च 2022 में, इसके नवीकरण हेतु जनता के लिए इसे बंद कर दिया गया था। यह गुजराती नववर्ष के दिन, 26 अक्टूबर को मरम्मत के बाद फिर से खुल गया। लेकिन स्थानीय नगर पालिका ने (नवीकरण के बाद) अभी तक कोई फिटनेस प्रमाण पत्र जारी नहीं किया था।

कुछ ऐसे लोग जो दर्शनीय स्थलों को देखने के लिए पुल पर गए थे और सौभाग्य से पुल गिरने से पहले ही वापस आ गए थे, उन्होंने बताया कि पुल पर बहुत भीड़भाड़ थी और स्पष्ट तरीके से यह नज़र आ रहा था कि उसपर क्षमता से कई गुना अधिक लोग मौजूद थे। लोगों ने पुल पर उसकी क्षमता से ज्यादा लोग होने की और दुर्घटना होने की संभावना के बारे में अधिकारियों को चेतावनी देने की कोशिश की थी, लेकिन अधिकारियों ने इन चेतावनियों को नज़रअंदाज कर दिया। पुल का संचालन करने वाली निजी कंपनी चेतावनियों के बावजूद अपना राजस्व बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक लोगों को टिकट जारी करती रही।

आसपास रहने वाले लोग तुरंत मौके पर पहुंच गए। अपनी जान को जोखिम में डालकर, उनमें से कई पानी में कूद गए, लोगों को किनारे पर खींच कर लाये और ऐसे लोगों को सहायता दी जो तैरकर किनारे तक पहुंच सकते थे। स्थानीय मछुआरों ने सबसे पहले अपनी नौकाओं से मदद की। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एन.डी.आर.एफ.), थलसेना, नौसेना और वायुसेना की टीमों को भी बचाव कार्य में लगाया गया था।

इस घटना में इतने लोगों की दुखद मौत के लिए राज्य की आपराधिक लापरवाही जिम्मेदार है। राज्य के अधिकारी पुल पर सैकड़ों लोगों को इकट्ठा होने की अनुमति कैसे दे सकते हैं, जब पुल की प्रमाणित क्षमता से कई गुना अधिक संख्या में कोई फिटनेस प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया था? लोगों द्वारा अधिकारियों को चेतावनी देने के बाद भी दुर्घटना को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। सार्वजनिक स्थानों पर लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना जहां बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं, राज्य की जिम्मेदारी है। इस संबंध में, राज्य द्वारा अपने कर्तव्य को पूरा करने की कमी से लोगों की मृत्यु होना हत्या से कम नहीं है।

लोग इस घटना की गहन जांच की मांग कर रहे हैं। वे कई सवालों के जवाब मांग रहे हैं, जिन्हें अधिकारियों द्वारा अब तक अंधेरे में रखा गया है, जैसे कि ठेकेदार ने पुल के नवीकरण में कौन-सी सामग्री का उपयोग किया, फिटनेस प्रमाण पत्र जारी होने से पहले पुल को जनता के लिए क्यों खोला गया, पुल को उपयोग के लिए खोलने से पहले क्या वास्तव में निरीक्षण और फिटनेस टेस्ट किए गए, इत्यादि।

मोरबी पुल का गिरना एक और मानव निर्मित त्रासदी है। इसे हमारे लोगों पर एक ऐसी व्यवस्था ने थोपा है जिसमें राज्य की चिंता निजी पूंजीपतियों के मुनाफ़े को सुनिश्चित करना है, न कि लोगों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करना।

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी मोरबी पुल ढहने की घटना में सैकड़ों लोगों की मौत में राज्य की आपराधिक लापरवाही की निंदा करती है। हम घटना की गहन जांच और इन सैकड़ों लोगों की मौत के दोषी सभी लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त कार्रवाई की मांग करते हैं, इस बात की परवाह किये बिना कि प्रशासन में वे कितने ऊंचे पद पर हैं।

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