यूरोप में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन

आर्थिक संकट और अपनी रोज़ी-रोटी पर बढ़ते हमलों के ख़िलाफ़ पूरे यूरोप में मज़दूर बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। ये मेहनतकशों के जीवन को नरक बना रही ऊर्जा की क़ीमतों में भारी वृद्धि का विरोध कर रहे हैं।

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प्राग, चेक गणराज्य यूक्रेन में युद्ध के कारण ऊर्जा की बढ़ती लागत के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन (3 सितंबर, 2022)

पूरे यूरोप में मज़दूर उस युद्ध का विरोध कर रहे हैं, जिसे नाटो अमरीका के नेतृत्व में, यूक्रेन की रक्षा के नाम पर रूस के ख़िलाफ़ लड़ रहा है। अमरीका के दबाव में आकर यूरोपीय संघ के देश रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाकर, उसकी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने वालों की कतार में अमरीका के साथ शामिल हो गए हैं। गैस खरीदना बंद करना इन प्रतिबंधों का एक हिस्सा था। गैस की क़ीमतों में भारी वृद्धि के परिणामस्वरूप रूस पर लगे प्रतिबंधों ने यूरोपीय संघ के देशों की अर्थव्यवस्था को भारी नुक़सान पहुंचाया है। अपना विरोध प्रकट करने के लिए मेहनतकश जनता सड़कों पर उतर रही है। सितंबर से ये विरोध प्रदर्शन तेज़ हो रहे हैं।

जर्मनी में मज़दूरों ने युद्ध और ऊर्जा की बढ़ती क़ीमतों का विरोध किया

ऊर्जा की बढ़ती क़ीमतों के विरोध में और यूक्रेन में युद्ध के ख़िलाफ़ डसेलडोर्फ, बर्लिन, कोलोन और अन्य शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने उर्जा के संकट के लिए रूस को दोषी ठहराने वाली जर्मन सरकार की निंदा की। इस समय जर्मन सरकार नॉर्ड स्ट्रीम-2 प्राकृतिक गैस की पाइपलाइन को प्रमाणित करने और उसे लॉंन्च करने से इनकार कर रही है। प्रदर्शनकारियों ने हथियारों की आपूर्ति करके युद्ध में भाग लेने और रूस पर अमरीका के नेतृत्व वाले प्रतिबंधों में इसकी भागीदारी के लिए अपनी सरकार की आलोचना की है।

कासेल में यूक्रेन को हथियारों का निर्यात करने पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए। विरोध प्रदर्शन करने वाले मज़दूरों ने युद्ध से होने वाले भारी मुनाफ़े की निंदा करते हुए, हथियार बनाने वाले राइनमेटॉल और टैंक बनाने वाले क्रॉस-माफेई वेगमैन के कारख़ानों के प्रवेश द्वार को बंद कर दिया। कई विरोध कार्रवाइयों ने इस तथ्य को स्पष्ट कर दिया कि जर्मनी के लोग अर्थव्यवस्था के बढ़ते सैन्यीकरण पर बेहद चिंतित हैं। वे मांग कर रहे हैं कि चीन और रूस के लिए युद्ध के ख़तरों को रोकना और जर्मनी को नाटो को भंग करने के लिए आगे आना चाहिए।

फ्रांस के मज़दूरों ने अधिक वेतन की मांग को लेकर प्रदर्षन किया

सूचना है कि विभिन्न उद्योगों और क्षेत्रों के लगभग 1,00,000 मज़दूरों ने 18 अक्तूबर को पूरे फ्रांस के कई शहरों में लड़ाकू विरोध प्रदर्शन किए थे। सिर्फ राजधानी पेरिस में हुये विरोध मार्च में 70,000 से अधिक मज़दूरों के शामिल होने की सूचना है।

तेल रिफाइनरियों में मज़दूरों ने कई हफ्तों तक काम को छोड़कर विरोध प्रकट किया, और उसके बाद उच्च वेतन के लिए मज़दूर यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल का प्रतिनिधित्व किया। परिवहन मज़दूर शिक्षक, खाद्य उद्योग के कर्मचारी, सार्वजनिक अस्पताल के कर्मचारी, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के मज़दूर और कई अन्य उद्योगों और सेवाओं के मज़दूर हड़ताल में शामिल हुए।

फ्रांस की मुद्रास्फीति की दर 6.2 प्रतिशत हो गई है जो कि कई दषकों मंे सबसे अधिक हुई बढ़ोतरी है। इसलिए हड़ताली मज़दूर जीवनयापन की बढ़ती लागत से जूझने के लिए अपने वेतन में 10 प्रतिशत तक की वृद्धि की मांग कर रहे हैं। वे बता रहे हैं कि ऊर्जा कंपनियां तेल और गैस की ऊंची क़ीमतों से भारी मुनाफ़ा कमा रही हैं, क्योंकि यूक्रेन में चल रहा युद्ध ऊर्जा के संकट को बढ़ाता है।

हड़ताल ने पेरिस तथा फ्रांस के अन्य प्रमुख शहरों में ट्रेन सेवाओं, मेट्रो-ट्रेन सेवाओं, उपनगरीय ट्रेन सेवाओं और बस सेवाओं, अंतर-शहरीय ट्रेन सेवाओं के साथ-साथ यूरोप में फ्रांस और पड़ोसी देशों के बीच यूरोस्टार पर हाई-स्पीड ट्रेनों की सेवाओं को पंगु बना दिया।

फ्रांस की सरकार ने कुछ तेल रिफाइनरियों में मज़दूरों को काम पर वापस जाने के लिए मजबूर करने के आदेश जारी किए हैं। पुलिस ने कई जगहों पर हड़ताली मज़दूरों पर हमले किए हैं और कई मज़दूरों को गिरफ़्तार किया है।

पूरे ब्रिटेन में फिर से बढ़ती महंगाई और बेरोज़गारी के विरोध में संघर्ष

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बस अब बहुत हुआ इंग्लैंड लिवरपूल आरएमटी कार्यकर्ताओं ने विरोध किया

अपनी आजीविका और अधिकारों पर पूंजीपतियों द्वारा किए जा रहे चौतरफा हमलों के विरोध में ब्रिटेन के मज़दूर पूरे देश में हड़ताल संघर्ष के लिये सामने आ रहे हैं। “अब बस बहुत हो गया!” के नारे के तहत बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

सार्वजनिक संपत्ति और सेवाओं के निजीकरण, जीवन यापन की बढ़ती लागत, मुद्रास्फीति और ऊर्जा की बढ़ती क़ीमतों के ख़िलाफ़ मज़दूर आवाज़ उठा रहे हैं। नौकरी छूटने और तेज़ी से वेतन कटौती के विरोध में, रेल कर्मचारी, कॉल सेंटर के कर्मचारी, वकील, पत्रकार, सफाईकर्मी, परिवहन कर्मचारी और कई अन्य क्षेत्रों के कर्मचारी विरोध प्रदर्शनों में सामने आ रहे हैं। वे सार्वजनिक सेवाओं जैसे कि परिवहन, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा, जो राज्य की ज़िम्मेदारी होनी चाहिए, को इजारेदारों द्वारा अपने हाथ में लेने का विरोध कर रहे हैं।

चेक गणतंत्र

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चेक गणराज्य के कार्यकर्ता वेन्सेस्लास स्क्वायर में प्रदर्शन करते हुए

जीवन यापन के लिए सेवाओं में कटौती और जीवन स्तर में गिरावट को दूर करने के लिए सरकार की नाकामयाबी का विरोध करने के लिए 8 अक्तूबर को प्राग के वेन्सलास स्क्वायर में हजारों लोग इकट्ठा हुए। विरोध प्रदर्शनों का आयोजन चेक कन्फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस द्वारा किया गया था। उन्होंने सरकार से खाद्य कीमतों, बुनियादी वस्तुओं, बिजली और गैस पर नियम लागू करने और न्यूनतम मज़दूरी बढ़ाने की मांग की।

इससे पहले 3 सितंबर को प्राग में 70,000 से अधिक लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने मांग की थी कि उनका देश नाटो और यूरोपीय संघ से बाहर हो जाए और अन्य देषों की बजाय, ऊर्जा की क़ीमतों को कम करने के लिए सीधे रूस से प्राकृतिक गैस खरीदे।

ऑस्ट्रिया

“क़ीमतें बढ़ाना बंद करो’’ बैनर के तहत, ऑस्ट्रियाई ट्रेड यूनियन फेडरेशन वियना की सड़कों पर विरोध प्रदर्शनों की एक श्रृंखला आयोजित कर रहा है।

मौजूदा आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की नाक़ामयाबी पर कार्यकर्ता अपना असंतोष व्यक्त कर रहे हैं। वे घरों को सर्दियों में गरम रखने के खर्च को सीमित रखने, किराने के सामान और सार्वजनिक परिवहन टिकटों पर वैट को निलंबित करने, ईंधन पर कम कर और किराए पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं।

इटली

इटली से भारी विरोध प्रदर्शन की ख़बर है। लोग अपने बिजली बिलों का भुगतान करने से इनकार कर रहे हैं, जो कि 300-400 प्रतिशत तक बढ़ गया है, और बिजली के बिलों को सार्वजनिक रूप से सड़कों पर जला रहे हैं।

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