पंजाब रोडवेज़ के ठेका मज़दूर, जिनमें पनबस सेवा और पेप्सू रोड ट्रांस्पोर्ट कार्पोरेशन के मज़दूर भी शामिल हैं, उन्होंने नियमित रोज़गार और समान काम के लिये समान वेतन की मांगों को लेकर 14 अगस्त से तीन दिनों की हड़ताल आयोजित की। हड़ताल का आयोजन पी.आर.टी.सी. कान्ट्रेक्ट वर्कर्स यूनियन ने किया था और इसमें 8,000 मज़दूरों ने हिस्सा लिया। हड़ताल की वजह से 3,000 से भी अधिक बसें सड़कों पर नहीं उतरीं।
यूनियन के अनुसार पी.आर.टी.सी. में सैंकड़ों ऐसे ठेका मज़दूर हैं जो 15 साल से काम पर लगे हुए हैं, उन्हें अभी तक नियमित नहीं किया गया है। यूनियन ने मांग की है कि ब्लैकलिस्ट किये मज़दूरों को वापस लिया जाये, आउटसोर्सिंग को ख़त्म किया जाये और पी.आर.टी.सी. के लिये 1000 नयी बसें खरीदी जायें। याद किया जाये कि विधान सभा चुनावों के पहले आम आदमी पार्टी ने वादा किया था कि पी.आर.टी.सी. के मज़दूरों को नियमित किया जायेगा।
कुछ महीने पहले भी यूनियन ने मुख्यमंत्री से वार्ता की थी और मुख्यमंत्री की ओर से उन्हें आश्वासन दिया गया था कि उनकी मांगों को पूरा किया जायेगा। पर यह आश्वासन झूठा निकला। इसीलिये मज़दूरों ने तीन दिनों की हड़ताल की योजना बनाने के लिये मजबूर हुए। उनकी हड़ताल से जन परिवहन पर इतना असर पड़ा कि परिवहन मंत्री और मुख्यमंत्री ने फिर एक बार यूनियन के साथ वार्ता करने का प्रस्ताव रखा। जनता को हो रही परेशानी को ध्यान में रखते हुए, मज़दूरों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली।