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बिजली एक आवश्यक सामाजिक ज़रूरत

संपादक महोदय,

मज़दूर एकता लहर को धन्यवाद करता हूं कि आपने बिजली के विषण पर छः भागों में जो लेखों की श्रृंखला प्रस्तुत की है इसमें बहुत की तर्कपूर्ण तरीके से समझाया गया है कि बिजली एक आवश्यक सामाजिक ज़रूरत है।

इन लेखों में वर्ग संघर्ष की जो बात कही जा रही है, मैं समझता हूं कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है। हमें यह समझाने की कोशिश की गई है कि यह एक बड़ी लड़ाई है जो दो वर्गों के बीच है और ये दो वर्ग कौन हैं? उत्पादन के साधनों का मालिक किस वर्ग को होना चाहिए?

विद्युत संशोधन अधिनियम 2022 आम उपभोक्ताओं के हितों पर बड़े स्तर पर असर डालेगी। निजी कंपनियां सिर्फ उन्हीं क्षेत्रों का चुनाव करती हैं जहां अधिकतम मुनाफ़ा हो। सार्वजनिक धन से बनी विद्युत उत्पादन और विद्युत वितरण व्यवस्था का उपयोग व्यक्तिगत मालिक अपने व्यवसाय और मुनाफे को बढ़ाने के लिए करेंगे।

कृषि क़ानूनों की वापसी के दौरान केंद्र सरकार ने किसानों को भरोसा दिया था कि आम जनता के साथ परामर्श करके और उनकी सहमति के आधार पर ही सरकार बिजली संशोधन विधेयक 2022 पर कुछ प्रस्ताव करेगी। श्रृंखला के सभी लेखों को पढ़ने से यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो जाती है कि बिजली के उत्पादन और वितरण को निजी हाथों में सौंप देने की भरपूर कोशिश की जा रही है। जिससे स्पष्ट होता है कि देश की सरकार और पूरा मंत्रीमंडल उन्हीं फ़ैसलों पर अमल करता हैं जो इजारेदार पूंजीपतियों द्वारा पहले ही प्लान किये जा चुके होते हैं।

इसमें बहुत स्पष्ट तरीके से समझाया गया है कि बिजली जैसी मूलभूत सेवाएं समाज के लिए ज़रूरी हैं ‘ये साधन निजी मुनाफ़े बानाने का स्रोत नहीं हैं’। राज्य की पूरी-पूरी ज़िम्मेदारी होनी चाहिए कि सभी के लिए सस्ते दामों पर बिजली आपूति की उचित व्यवस्था हो।

हमें अपने संघर्ष को और तेज़ करने की ज़रूरत है, ताकि देश को चलाने वाले मज़दूर-किसानों का सभी उत्पादन के साधनों पर राज हो।

पंडित, नई दिल्ली

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