हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की दिल्ली इलाका कमेटी ने 5 जून, 2022 को एक सम्मेलन आयोजित किया। वर्तमान परिस्थिति और हमाारे कार्यभार पर प्रस्तुति के बाद एक जीवंत चर्चा हुई जो कई घंटे तक चली।
चर्चा में दिल्ली के मज़दूरों की बेहद बुरी परिस्थिति पर प्रकाश डाला गया। सरकार द्वारा चलाये जाने वाले कोविड केन्द्रों के लिये संविदा पर नियुक्त की गयी सैकड़ों नर्सों को निर्दयता से नौकरी से निकाला जा रहा है। वस्तुओं को घर–घर पहुंचाने की सेवा देने वाले नौजवानों को अपनी नौकरी की असुरक्षा और दयनीय वेतन पर बेहद लंबे घंटों तक काम करना पड़ रहा है। जिन्हें घर से काम करने के लिये बाध्य किया गया है, उन्हें बिना अतिरिक्त आय के दिन में 18 घंटे से भी ज्यादा समय तक काम करना पड़ रहा है।
नयी श्रम संहिता महिलाओं के मौलिक अधिकारों को नकार रही है। महिलाओं को रात की पाली में काम करने की अनुमति दी गयी है ताकि पूंजीवादी मुनाफ़े को अधिकतम किया जा सके।
जबकि मज़दूर अपने अधिकारों के लिये एकजुट हो रहे हैं, उनके संघर्ष को दबाने के लिये शासक एक के बाद एक हमले कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शनों को प्रतिबंधित कर दिया गया है और लोगों का दमन किया जा रहा है।
भागीदारों ने उत्तर–पश्चिमी दिल्ली के जहांगीरपुरी में हाल में हुई हिंसक झड़पों की सच्चाई उजागर की। मीडिया में इनके बारे में ग़लत प्रचार किया गया था कि ये भिन्न धर्म के लोगों के बीच सांप्रदायिक दंगे थे। सच्चाई यह है कि बाहर से लाये गये गुंडों ने हिंसा को अंजाम दिया था। अलग–अलग धर्मों के लोग दशकों से एक दूसरे के साथ मित्रता से रहते आये हैं। लोग तो सड़कों पर उतरे उन्हें मदद करने के लिये जिन पर हमले हुए थे। लोगों ने पीड़ितों के लिये भोजन, आश्रय और इलाज का इंतजाम किया।
बहुत से सहभागियों ने आवास के उनके अधिकार के खुल्लम–खुल्ला उल्लंघन बतौर मेहनतकश लोगों के घरों की तोड़–फोड़ की कड़ी निंदा की।
कई वक्ताओं ने निजीकरण के कार्यक्रम, जो कि सार्वजनिक संपत्ती और सेवाओं को निजी कंपनियों को बेचने का कार्यक्रम है, इसकी निंदा की। करोड़पति पूंजीपति अपनी संपत्ति को तेज़ी से बढ़ा रहे हैं जबकि मेहनतकश लोगों को बिजली–पानी, बस व रेल भाड़े, तथा शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं के लिये ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है।
मुनासिब खर्चे में अच्छी शिक्षा की कमी नौजवानों व उनके अभिभावकों के लिये बड़ी चिंता का विषय है। स्कूल व काॅलेज के छात्रों की शिक्षा कोविड-19 महामारी व बार–बार लगाये गये लाॅकडाउनों की वजह से बेहद अस्त–व्यस्त हो गयी है। मज़दूर वर्ग के परिवारों को शिक्षा के लिये डिजीटल उपकरणों पर निवेश करने की वजह से अतिरिक्त वित्तीय बोझ आया है।
सम्मेलन ने संकल्प लिया कि अपने कार्यस्थलों पर और रहने के स्थानों में पार्टी के संगठन व जन संगठनों का निर्माण करेंगे और उन्हें मजबूत बनायेंगे। सम्मेलन ने ज़ोर दिया कि ”बांटो और राज करो“ की राजनीति का मुक़ाबला करना होगा और इजारेदार पूंजीपतियों व उनके राज के खि़लाफ़ सभी मेहनतकश लोगों के संघर्ष को तेज़ करना होगा।