पंजाब में काले कानून के खिलाफ़ आंदोलन

20 जनवरी, 2011 को काले कानून के खिलाफ़ लुधियाना शहर में एक जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुआ। इन काले कानूनों को पंजाब विधानसभा ने पिछले सत्र में पारित किया था। रैली में 40 जन संगठनों के कार्यकर्ताओं ने मिलकर हिस्सा लिया। आतंकवाद को दबाने के नाम पर पारित कानून का विरोध करते हुए मजदूर, किसान व सरकारी कर्मचारियों ने बढ़-चढ़कर रैली में हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारियों ने कहा, यह क

20 जनवरी, 2011 को काले कानून के खिलाफ़ लुधियाना शहर में एक जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुआ। इन काले कानूनों को पंजाब विधानसभा ने पिछले सत्र में पारित किया था। रैली में 40 जन संगठनों के कार्यकर्ताओं ने मिलकर हिस्सा लिया। आतंकवाद को दबाने के नाम पर पारित कानून का विरोध करते हुए मजदूर, किसान व सरकारी कर्मचारियों ने बढ़-चढ़कर रैली में हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारियों ने कहा, यह कानून असली मायने में मजदूरों और किसानों के संघर्षों को दबाने के लिए पारित किया गया है।
लुधियाना के अलावा, प्रांत के अन्य जिलों के मुख्यालयों पर भी इसी तरह की रैली आयोजित की गई। हर जिले के डीसी के दफ्तर पर मजदूरों ने विरोध प्रदर्शन किया। मजदूरों ने ऐलान किया कि अगर पुलिस प्रशासन मजदूर-किसान पर अत्याचार करती है तो फिर वे संघर्ष के स्तर को और बढ़ायेंगे और सभी पुलिस थानों का घेराव करेंगे।
जिन तानाशाही कानून को पंजाब विधानसभा ने पारित किया, उनमें एक है पंजाब (सार्वजनिक तथा निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से रोकना) अधिनियम 2010। यह एक तानाशाही कानून है, जिसका मकसद है मजदूर और किसान संगठनों को संघर्ष करने से रोकना। इस कानून के तहत रैली, जलसा इत्यादि, जिसको डीएम या पुलिस आयुक्त ने इजाज़त नहीं दी, उस पर पूरी पाबंदी है। इसके अलावा, अगर इजाजत भी दी जाये, तो रैली के आयोजकों को इलाके के एसएचओ को एक वादापत्र देना पड़ेगा। अगर ऐसा नहीं किये तो 2 साल की जेल और जुर्माना किया जायेगा। नारे और रैली के रास्ते पुलिस अधिकारी तय करेंगे तथा झंडों के लिए लाठी-डंडे इस्तेमाल पर रोक होगी। पुलिस न केवल रैली या जलसे का विडियो कर सकती है, बल्कि अखबार और पत्रकारों से भी विडियो ले सकती है।
इन रैलियों के दौरान, अगर पुलिस आरोप लगाती है कि संपत्ति का नुकसान हुआ है, तो वह रैली के आयोजकों से वसूला जायेगा। अगर कोई पैसा नहीं देता या देने के लिये पैसा नहीं है, तो आयोजकों के संपत्तियों की नीलामी से पैसा वसूला जायेगा। इस कानून के तहत तमाम अपराध, जिसकी बेल नहीं हो सकती है और पुलिस का कोई भी हेड कांस्टेबल के आरोप पर जेल भेजा जा सकता है। आयोजकों को खुद अपने आपको निर्दोष साबित करना पड़ेगा कि उन्होंने किसी सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया है।
इस कानून के साथ-साथ पंजाब के मजदूर-किसान पंजाब विशेष सुरक्षा समूह अधिनियम 2010 के खिलाफ़ भी आवाज बुलंद कर रहे हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत ”देशद्रोही ताकतों से टक्कर लेने के लिए एक विशेष हथियारबंद फोर्स तैयार किया जायेगा।”

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