30 मई को कम्युनिस्ट पार्टियों – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी लिबरेशन (भाकपा माले-लिबरेशन) और कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी ने बढ़ती महंगाई और बेरोज़गारी के खि़लाफ़, ओखला के शाहीन बाग़ पर एक प्रदर्शन आयोजित किया था।
‘बढ़ती महंगाई और बेरोज़गारी पर संयुक्त विरोध मार्च’ – इस झंडे के तले प्रदर्शनकारियों ने एकत्रित होकर ज़ोरदार नारे लगाये: “घटती आमदनी, बढ़ते दाम, महंगाई पर रोक लगाओ!”, “गरीब-विरोधी आर्थिक नीति वापस लो!”, “बेरोज़गारी पर रोक लगाओ, हर हाथ को काम दो!”, “खाद्य पदार्थों, रसोई गैस, पेट्रोल, सी.एन.जी. के आसमान छूते दाम, आम जनता का जीना हराम!”, “बंटवारे की राजनीति बंद करो!”, इत्यादि। कार्यकर्ताओं के हाथों में बैनर और प्लेकार्ड पर भी इस प्रकार के नारे लिखे हुए थे।
प्रदर्शन स्थान पर भारी संख्या में पुलिस तैनात था। जैसे ही कार्यक्रम शुरू हुआ, वैसे ही पुलिस ने उसे रोकने का आदेश दिया और सभी सहभागी पार्टियों के अगुवा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें पुलिस थाने में ले जाकर, कई घंटों तक बंद रखा गया।
कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी विरोध प्रदर्शन करने के अधिकार पर इस हमले की कड़ी निंदा करती है। जैसे-जैसे पूंजीपतियों तथा उनकी सरकार के सब-तरफे हमलों के खि़लाफ़, लोगों की एकता बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे राज्य हमारी एकता को तोड़ने के लिए और हमें डराने-धमकाने के लिए, बंटवारे की राजनीति के साथ-साथ, दमन का प्रयोग कर रहा है।
हमें अपनी एकता को लगातार मज़बूत करते हुए, अपने संघर्षों को और तेज़ करना होगा और इस दमनकरी राज्य को मुंहतोड़ जवाब देना होगा।