तमिलनाडु ट्रेड यूनियन सेंटर ने 7 मई, 2022 को अंबुर में एक प्रदर्शन किया। अंबुर और उसके आसपास की कंपनियों में चमड़ा, जूता और संबंधित वस्तुओं को बनाने का काम करने वाले सैकड़ों मज़दूरों ने इस प्रदर्शन में भाग लिया। इस मौके पर यूनियन ने मई दिवस भी मनाया। कॉमरेड दक्षिणमूर्ति ने जनसभा की अध्यक्षता और संचालन किया।
तमिलनाडु ट्रेड यूनियन सेंटर के महासचिव कामरेड रूबन ने मई दिवस के अवसर पर मज़दूरों को सलामी दी। उन्होंने अंबुर और उसके आसपास के विभिन्न कारख़ानों में मज़दूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए यूनियन द्वारा किए गए संघर्ष के बारे में विस्तार से बताया।
विशेष रूप से, उन्होंने एन.एम.जेड. कारख़ाने के मज़दूरों द्वारा किए गए लंबे संघर्ष पर ध्यान दिया। 15 साल के संघर्ष के बाद इन मज़दूरों ने अपनी कुछ मांगों पर जीत हासिल की है। हालांकि अदालत ने मज़दूरों के पक्ष में आदेश दिया है, लेकिन प्रबंधक मज़दूरों के बकाये का भुगतान करने से इनकार कर रहा है। कॉमरेड रूबन ने प्रबंधक के रवैये की निंदा की और मज़दूरों के सभी बकायों का तुरंत निपटान करने का आह्वान किया।
उन्होंने मज़दूरों के न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर 30,000 रुपये प्रति माह करने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया, जिसकी ट्रेड यूनियने लंबे समय से मांग कर रही हैं। संकट के कारण, अंबुर बेल्ट में चमड़ा और संबद्ध उत्पादों के क्षेत्र में कई कंपनियां बंद हो गई हैं। नौकरी गंवा चुके मज़दूर बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। कारख़ानों को बंद करने वाले पूंजीपतियों ने उन्हें वे सारे भत्ते भी नहीं दिए हैं, जो नौकरी से निकाले जाने पर मज़दूरों को क़ानूनी तौर पर दिए जाने चाहियें। कॉमरेड रूबन ने मांग की कि ये सभी उद्योग मज़दूरों को अपने टर्मिनेशन बकाया का भुगतान जल्द से जल्द करवाएं।
अंबेडकर ट्रेड यूनियन के कॉमरेड प्रथबन, कर्नाटक में मांड्या से द्रविड़ियन सिटी मूवमेंट के कॉमरेड एच.एस. अभिलाष, डी.एम.के. के कॉमरेड राजेंद्र प्रसाद और वर्कर्स यूनिटी मूवमेंट के कॉमरेड भास्कर ने तमिलनाडु ट्रेड यूनियन सेंटर के अन्य साथियों के साथ, सभा को संबोधित किया।
कॉमरेड भास्कर ने सभी मज़दूरों को क्रांतिकारी बधाई दी। अपने संक्षिप्त संबोधन में उन्होंने राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था की निंदा की, जिसके चलते, एन.एम.जेड. कारख़ाने के मज़दूरों को एक पीढ़ी से अधिक के लिए साधारण लाभ से भी वंचित कर दिया गया है। जबकि मज़दूर भयानक परिस्थितियों में रहते हैं, अपने परिवारों को खाना खिलाने में असमर्थ हैं, तो पूंजीपति हिन्दोस्तानी राज्य और उसकी संस्थाओं के समर्थन से धन इकट्ठा करते हैं। अदालत द्वारा मज़दूरों के पक्ष में फै़सला सुनाए जाने और पूंजीपतियों को उनके बकाये का भुगतान करने का आदेश दिये जाने के बाद भी, पूंजीपति मज़दूरों को उनके बकाये का भुगतान करने से बेशर्मी से इनकार करता रहता है। उन्होंने सोवियत संघ में, अक्तूबर क्रांति के ज़रिये राजनीतिक सत्ता हासिल करने के बाद मज़दूरों और किसानों की उन्नत जीवन स्थिति की व्याख्या की। अब समय आ गया है कि हम हिन्दोस्तानी मज़दूर एकजुट होकर हिन्दोस्तान में मज़दूरों और किसानों का शासन स्थापित करने के लिए संघर्ष करें।
ट्रेड यूनियन सेंटर द्वारा आयोजित मई दिवस का प्रदर्शन बहुत ही उत्साहपूर्ण माहौल में समाप्त हुआ। प्रतिभागियों ने मज़दूरों की जुझारू एकता को और मजबूत करने और शोषण मुक्त हिन्दोस्तान के लिए लड़ने का संकल्प लिया।