1 मई, 2022 को पूरी दुनिया में मज़दूरों ने विरोध मार्च और रैलियां कीं जो कि पूंजीवाद और पूंजीपति वर्ग के शासन के ख़िलाफ़ अपने अधिकारों के लिए संघर्ष में अंतर्राष्ट्रीय सर्वहारा वर्ग की एकता का प्रतीक है। तुर्की सहित कुछ देशों में सशस्त्र पुलिस के साथ संघर्ष हुआ।

बैनर, पोस्टर और जुझारू नारों के साथ मज़दूरों ने बढ़ती बेरोज़गारी और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती क़ीमतों के खि़लाफ़ अपना गुस्सा व्यक्त किया। उन्होंने अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में इजारेदार पूंजीवादी घरानों के बढ़ते वर्चस्व और सामाजिक सेवाओं में कटौती की निंदा की। अलग-अलग बहाने देकर सामूहिक विरोध का दमन किये जाने की उन्होंने निंदा की, इन बहानों में कोविड वायरस से लड़ने का बहाना भी शामिल था। उन्होंने सैन्यीकरण और साम्राज्यवादी युद्धों और नस्लवाद, सांप्रदायिकता और सभी प्रकार के भेदभाव व उत्पीड़न के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई। उन्होंने पूंजीवादी शोषण, साम्राज्यवादी वर्चस्व, राष्ट्रीय उत्पीड़न और युद्ध के ख़िलाफ़ अपने संघर्ष में अन्य सभी देशों के मज़दूरों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की।
इस वर्ष देश के विभिन्न हिस्सों में हजारों विरोध प्रदर्शन, रैलियां और समारोह आयोजित किए गए। कार्यकर्ताओं ने संयुक्त कार्यों में भाग लिया जिसमें सभी यूनियनों ने पार्टी और फेडरेषन के संबंधों से ऊपर उठकर अपनी भागीदारी दिखाई। मई दिवस की गतिविधियों में भाग लेने वालों में भारतीय रेल, सड़क परिवहन निगम, शिपिंग, बंदरगाह और डॉक, राज्य बिजली बोर्ड, बैंक और बीमा कंपनियां, मोटरवाहन उद्योग, कपड़ा और परिधान उद्योग, रक्षा निर्माण इकाइयों, अस्पतालों, सार्वजनिक स्वास्थ्य योजनाओं, विश्वविद्यालयों, कॉलेज और स्कूल के कार्यकर्ता शामिल थे।
मज़दूर संगठनों के प्रवक्ताओं ने निजीकरण, विनिवेश और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के बैनर तले हिन्दोस्तानी और विदेशी निजी कंपनियों को बहुमूल्य सार्वजनिक संपत्ति को बेचने की निंदा की। उन्होंने चार श्रम संहिताओं की निंदा की जो मज़दूरों को उनके अधिकारों से वंचित करने और उनके शोषण को और तेज़ करने के लिए लागू की गई हैं। उन्होंने मज़दूरों के अधिकारों की मान्यता के बिना अल्पकालिक अनुबंधों पर काम पर रखने की व्यापक प्रथा को ख़त्म करने की मांग की। उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में राज्य द्वारा आयोजित सांप्रदायिक हिंसा की निंदा की और कार्यकर्ताओं को सतर्क रहने और एक वर्ग के रूप में अपनी लड़ाई के साथ एकता की रक्षा करने की चेतावनी दी।
नई दिल्ली में सभी प्रमुख ट्रेड यूनियनों और फेडरेषनों के कार्यकर्ताओं ने पुराने शहर की भीड़-भाड़ वाली सड़कों से निकलते हुये मई दिवस पर एक संयुक्त जुलूस में भाग लिया, यह जुलूस रामलीला मैदान से शुरू हुआ और टाउन हॉल पर एक जन सभा के बाद समाप्त हुआ। पुरानी दिल्ली में रहने वाले लोगों ने जुलूस का उत्साहपूर्वक स्वागत किया। जुलूस और जनसभा का आयोजन – अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन सेंटर (एटक), मज़दूर एकता कमेटी (एम.ई.सी.), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू), ऑल-इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (ए.आई.सी.सी.टी.यू.), ऑल-इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (ए.आई.यू.टी.यू.सी.), यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यू.टी.यू.सी.), आई.सी.टी.यू., ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर (टी.यू.सी.सी.), सेल्फ इप्लाईड वुमेन एसोसियेशन (सेवा) और लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एल.एफ.पी.) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था।
किसान यूनियनों ने इस वर्ष मज़दूरों के मई दिवस के कार्यक्रमों को पूरे उत्साह और दिल से समर्थन दिया।
मज़दूरों द्वारा मई दिवस, 2022 पर आयोजित जुलूसों और सभाओं के फोटो वर्तमान माहौल को दर्शाते हैं :
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