दिल्ली सरकार ने कोविड केन्द्रों के नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियों को नौकरी से निकाला

कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली सरकार द्वारा स्थापित कोविड सेंटरों में काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मी अपनी नौकरियों को बहाल किए जाने की मांग को लेकर दिल्ली सरकार के सचिवालय के सामने 29 मार्च, 2022 से धरना दे रहे हैं। दिल्ली सरकार ने 24 मार्च को एक आदेश जारी करके, इन नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियों को 31 मार्च, 2022 से बर्ख़ास्त कर दिया है।

Delhi Secr. nursesधरना स्थल पर लगाये गये बैनरों पर  – ‘हमें न्याय दो!’, ‘कोरोना महामारी में काम करने का हमें तोहफ़़ा मिला बेरोज़गारी!’ आदि जैसे नारे लिखे हुये थे।

धरने में उपस्थित स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि महामारी के दौरान दिल्ली सरकार ने 700 से ज्यादा योग्यता प्राप्त नर्सों को दिल्ली के 11 जिलों में कोविड सेंटरों में ठेके पर नियुक्त किया था। ये सभी स्वास्थ्यकर्मी दिल्ली सरकार के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी के अधीन काम करते आ रहे थे।

जब देश और दिल्ली में महामारी की लहर सबसे ऊंचे स्तर पर थी, उस समय इन्हें दिल्ली के विभिन्न जिलों में बने कोविड सेंटरों में नियुक्त किया गया था। कोविड टीकाकरण में भी इन्हें ड्यूटी दी गई।

धरने में उपस्थित नर्सों का कहना है कि “महामारी के सबसे बुरे दौर में भी हमने अपने जीवन को दांव पर लगाया। हमने उस दौर में काम किया जब लोग अपने ही परिवार के मरीजों को छूने से कतराते थे। कोविड से मारे गए लोगों के शवों को उठाने का काम हमने किया है, टीकाकरण का काम हमने किया है। हमें हीरो कहा गया। अब जीरो कहकर बेरोज़गारी की अंधी गली में धकेला जा रहा है।” नर्सों ने कहा कि हममें से कई को तो गर्भावस्था में भी, इस चिलचिलाती धूप में बैठकर अपनी नौकरी के लिये संघर्ष करना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री ने हमें कोरोना योद्धा कहा था, लेकिन अब केंद्र सरकार भी हमारी परेशानियों को नज़रंदाज़ कर रही है।

नर्सों ने बताया कि उन्होंने अपनी नौकरियों की बहाली के लिये, केन्द्र सरकार के प्रतिनिधियों, राज्यपाल, दिल्ली सरकार और उसके मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी को निवेदन किया है। हमारे निवेदन पर सब खामोश हैं। सबसे ख़राब हालत में हमने खुद को आत्मसमर्पण के भाव से सेवा करने के क़ाबिल साबित किया है। दिल्ली सरकार हमारी नौकरी को बहाल करे।

नौकरी की बहाली की मांग को लेकर नर्सों का धरना जारी है।

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