संसद पर मजदूर वर्ग की रैली व प्रदर्शन

देश के विभिन्न ट्रेड यूनियनों और मजदूर संगठनों ने संप्रग सरकार की पूंजीवादी नीतियों के खिलाफ़ व अपनी मांगों को लेकर संसद पर 20 दिसम्बर को एकजुट रैली की और व्यापक प्रदर्शन किया। सरकार की आर्थिक नीतियों और मजदूर वर्ग पर हमलों के खिलाफ़ चल रहे आन्दोलन के सिलसिले में यह रैली एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम थी। इसमें देश की अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों से आये दसों-हजारों से ज्यादा मजदूरों ने

देश के विभिन्न ट्रेड यूनियनों और मजदूर संगठनों ने संप्रग सरकार की पूंजीवादी नीतियों के खिलाफ़ व अपनी मांगों को लेकर संसद पर 20 दिसम्बर को एकजुट रैली की और व्यापक प्रदर्शन किया। सरकार की आर्थिक नीतियों और मजदूर वर्ग पर हमलों के खिलाफ़ चल रहे आन्दोलन के सिलसिले में यह रैली एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम थी। इसमें देश की अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों से आये दसों-हजारों से ज्यादा मजदूरों ने भाग लिया।

यह रैली सरकार के आर्थिक हमलों के खिलाफ़ मजदूरों के गुस्से को दर्शाती है।

रैली में, मजदूरों के नारों – “मज़दूर-विरोधी, किसान-विरोधी संप्रग सरकार मुर्दाबाद!” , “पेंशन निधि को बाजार के हवाले मुर्दाबाद!”, “सार्वजनिक संपत्ति का निजीकरण बंद करो! के साथ-साथ, “महंगाई पर रोक लगाओ”, “न्यूनतम वेतन 10,000 रुपये लागू करो”, “श्रम कानूनों को लागू करो”, आदि से संसद मार्ग गूंज रहा था।

रैली में मजदूरों ने जहां वर्तमान व्यवस्था और नीतियों पर चोट करते हुए, – “कांग्रेस पार्टी और भाजपा – दोनों का कार्यक्रम है, पूंजीपतियों की सेवा! ”, ”यह लोकतंत्र नहीं, इजारेदार पूंजीतंत्र है!”, खुदरा व्यापार में एफ.डी.आई. – लोक हित में नहीं, बिचैलियों वाला मौजूदा कारोबार – लोक हित में नहीं, देश हित में है लोक नियंत्रित राष्ट्रीयकृत कारोबार!” बैनर पकड़े हुए थे तो दूसरी तरफ, मजदूरों के राजनीतिक लक्ष्य को दर्शाने वाले बैनर भी देखे गये, जो अपने मजदूर साथियों को आह्वान कर रहे थे – “देश की दौलत पैदा करने वालों को देश का मालिक बनना होगा!”, “एक पर हमला, सब पर हमला!”, “आओ, हम मजदूर वर्ग के स्वतंत्र कार्यक्रम के लिये एकजुट हों!” आदि।

इस रैली से पूर्व 18 और 19 दिसम्बर को देश के अलग-अलग राज्यों और उनके तहसीलों पर मजदूरों ने अपनी-अपनी मांगों को लेकर सत्याग्रह और जेल भरो आंदोलन चलाया।

रैली में मजदूरों को संबोधित करते हुए नेताओं ने संप्रग सरकार की आर्थिक नीतियों और मजदूरों पर बढ़ रहे हमलों की भत्र्सना की।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी और भाजपा, दोनों इजारेदार पूंजीपतियों के हित में नीतिगत सुधारों के एक ही कार्यक्रम के लिए वचनबद्ध हैं।

उन्होंने यह जोर दिया कि विभिन्न ट्रेड यूनियनों से जुड़े होने के बावजूद, एक साथ मिलकर संघर्ष करना अपने अधिकारों की रक्षा व अपने न्यायसंगत दावों के लिए और पूंजीवादी हमले का सामना करने के लिए बहुत जरूरी है। हमें अपनी एकता को मजबूत करनी होगी। संकीर्ण पार्टीवादी बंटवारे से ऊपर उठना होगा।

संयुक्त प्रदर्शन में भाग ले रहे संगठनों ने सरकार की पूंजीवादी नीतियों के खिलाफ़ 20-21 फरवरी की दो दिवसीय हड़ताल की घोषणा की है।

इस रैली में मजदूर एकता कमेटी, बीएमएस, इंटक, ए.आई.टी.यू.सी., एच.एम.एस., सीटू, ए.आई.यू.टी.यू.सी., ए.आई.सी.सी.टी.यू., यू.टी.यू.सी., टी.यू.सी.सी. के साथ-साथ विभिन्न स्वतंत्र फेडरेशनों ने भी भाग लिया।

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