सीरिया में बर्तानवी साम्राज्यवादी दखलंदाजी बढ़ा रहे हैं!

8 नवम्बर को, कतर में सीरिया के विरोधी दलों की एक बैठक हुई थी जिसमें अमरीका, फ्रांस, तथा तुर्की के साथ-साथ ब्रिटेन ने भी भाग लिया था। उसके बाद 19 नवम्बर को ब्रिटेन की सरकार ने, सीरिया के विरोधी दलों को सीरिया के प्रतिनिधि बतौर मान्यता देने की घोषणा की। सीरिया में दखलंदाजी तथा आक्रामक रुख बर्तानवी साम्राज्यवादी बढ़ा रहे हैं इसी का यह निर्देश है।


बशर अल अस्साद की सरकार को किसी भी तरह सीरिय

8 नवम्बर को, कतर में सीरिया के विरोधी दलों की एक बैठक हुई थी जिसमें अमरीका, फ्रांस, तथा तुर्की के साथ-साथ ब्रिटेन ने भी भाग लिया था। उसके बाद 19 नवम्बर को ब्रिटेन की सरकार ने, सीरिया के विरोधी दलों को सीरिया के प्रतिनिधि बतौर मान्यता देने की घोषणा की। सीरिया में दखलंदाजी तथा आक्रामक रुख बर्तानवी साम्राज्यवादी बढ़ा रहे हैं इसी का यह निर्देश है।


बशर अल अस्साद की सरकार को किसी भी तरह सीरिया की सत्ता से उतारने की पुरजोर कोशिश अमरीकी, बर्तानवी तथा दूसरे साम्राज्यवादी, उस इलाके की प्रतिक्रियावादी ताकतों के साथ मिलकर कर रहे हैं। यह सच्चाई दिन-ब-दिन स्पष्ट हो रही है। उस इलाके में ईरान को अकेला करने की तथा पश्चिमी एशिया एवं उत्तरी अफ्रीका के तेल से समृद्ध इलाके में साम्राज्यवादियों का समर्थन करने वाली ताकतों को सत्ता पर बिठाने की उनकी साजिश है। मौजूदा अस्साद सरकार, उनकी योजनाओं के रास्ते में एक रुकावट है, ऐसा उनका सोचना है।


सीरिया में गृह युद्ध भड़काना तथा अशांति के हालात पैदा करने के लिए ये साम्राज्यवादी, विरोधी दलों को धन तथा हथियार देकर मदद कर रहे हैं। एक साल से ज्यादा समय से साम्राज्यवादियों की इस दुष्ट कूटनीति का दुष्परिणाम वे दसों-हजारों आम सीरियाई स्त्री-पुरुष तथा बच्चे भुगत रहे हैं जिन्हें अपने घर-बार छोड़कर भागना पड़ा है। यह स्पष्ट हो रहा है कि साम्राज्यवादी तथा उनके सीरियाई मोहरों को न ही युद्धविराम में कोई रुचि है और न ही हिंसा कम करने में। किसी भी तरह मौजूदा सरकार को अपदस्त करना और एंग्लो-अमरीकी तथा दूसरे साम्राज्यवादियों की छत्रछाया के नीचे रहने वाली नयी सरकार की स्थापना करना यही उनका एकमात्र उद्देश्य है।


सीरिया में साम्राज्यवादियों की यह नीति, संयुक्त राष्ट्र संघ की सनद तथा राष्ट्रों की प्रभुसत्ता के बारे में जो सर्वमान्य स्थापित नियम हैं तथा दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने के सिद्धांत हैं, उन सबके विपरीत है। दूसरे विश्व युद्ध की वीभत्स हानि के बाद, दुनियाभर के आम लोगों ने सामूहिक कोशिश करके ये नियम एवं सिद्धांत स्थापित किये थे। मगर अब उन सब पर अमरीकी तथा दूसरे साम्राज्यवादी लगातार हमले कर रहे हैं।


सीरिया, ईरान, तथा दूसरे इलाकों में कैमरॉन नीत ब्रिटिश सरकार जो अनैतिक एवं युद्धोत्तेजक नीतियाँ अपना रही है उसका ब्रिटेन के अन्दर ही बड़ी संख्या में विरोध हो रहा है। वहाँ पर जो प्रगतिशील शक्तियां हैं वे ब्रिटेन में जंग विरोधी सरकार स्थापित करने का आह्वान कर रही हैं। पश्चिम एशिया तथा उत्तरी अफ्रीका में साम्राज्यवादियों का आक्रामक तथा युद्धोत्तेजक नीतियों के खिलाफ़ संघर्ष तीखा करना आवश्यक है। सीरिया तथा उस इलाके के दूसरे देशों की आवाम को, साम्राज्यवादियों द्वारा पैदा की गई नई बर्बादी से सिर्फ आवाम का एकताबद्ध संघर्ष ही बचा सकता है।

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