फिलिस्तीनी लोगों का बहादुर संघर्ष जिंदाबाद
14 नवम्बर, 2012 से गाज़ा इलाके पर इस्राईल लगातार हवाई जहाज तथा समुन्दर से बमबारी कर रहा है। अपनी फौजी शक्ति का इस्तेमाल करके हमास के नेताओं का खात्मा करना तथा फिलिस्तीनी लोगों को दबाकर रखना यही उसका उद्देश्य है। यह समाचार छपते-छपते ऐसी खबरें हैं कि इस्राईल बड़े पैमाने पर सैनिकी शक्ति को इकट्ठा कर रहा है औ
फिलिस्तीनी लोगों का बहादुर संघर्ष जिंदाबाद
14 नवम्बर, 2012 से गाज़ा इलाके पर इस्राईल लगातार हवाई जहाज तथा समुन्दर से बमबारी कर रहा है। अपनी फौजी शक्ति का इस्तेमाल करके हमास के नेताओं का खात्मा करना तथा फिलिस्तीनी लोगों को दबाकर रखना यही उसका उद्देश्य है। यह समाचार छपते-छपते ऐसी खबरें हैं कि इस्राईल बड़े पैमाने पर सैनिकी शक्ति को इकट्ठा कर रहा है और गाज़ा इलाके पर बड़ा आक्रमण करने की तैयारी कर रहा है।
केवल 4 दिन में ही 500 से ज्यादा इस्राईली हमलों का मुख्य लक्ष्य वे इमारतें रही हैं जिनमें हमास का कैबिनेट रहता है। इस्राईली सरकार यह दावा कर रही है कि फौजी लक्ष्यों पर बहुत ही सूक्ष्मता से वे निशाना साध रहे हैं। मगर सच्चाई यह है कि उस बमबारी में कई घर, स्कूल, अस्पताल, खेल के मैदान, सार्वजनिक इमारतें आदि ध्वस्त हुई हैं। कई आम नागरिक उसमें मारे गए हैं। मगर इन हमलों से डरे बिना फिलिस्तीनी लोग मुकाबला करने की कसम खा रहे हैं। जवाब में उन्होंने कई हवाई क्षेपणास्त्र इस्राईली इलाकों पर, यहाँ तक कि तेल अवीव तथा येरूसलम पर भी दाग दिए हैं। 16 नवम्बर, 2012 को इस्राईल ने गाज़ा की ओर जाने वाले 3 मुख्य रास्ते बंद कर दिए और रक्षित सेना को इकट्ठा करना शुरू कर दिया। उसी दिन उन्होंने गाज़ा के हमास नेताओं के उस मुख्यालय को लक्ष्य बनाया जिसे कुछ ही घंटे पहले इजिप्ट के प्रधानमंत्री हेशाम मोहम्मद कंडील ने भेट दी थी। सीधे हवाई हमलों के साथ-साथ इस्राईल ने मानव रहित ड्रोन के ज़रिये फिलिस्तीनी लोगों पर खुफिया निगरानी रखनी शुरू की है ताकि उनमें खौफ पैदा कर सके।
कुछ वर्ष पहले गाज़ा इलाके के हालिया नेताओं का चुनाव हुआ था। तबसे इस्राईल के नेता उनके पश्चिमी साम्राज्यवादी दोस्तों, विशेषकर अमरीकी साम्राज्यवाद, के साथ मिलकर उन चुने हुए प्रतिनिधियों को बदनाम करने तथा उन्हें जान से मारने की कोशिशों में लगातार लगे हुए हैं, क्योंकि ये फिलिस्तीनी नेता अपने लोगों के राष्ट्रीय हक़ों की रक्षा करना चाहते हैं। 2008-09 के ठण्ड के दिनों में, इसी तरह इस्राईली फौज ने फिलिस्तीनी इलाकों पर जबरदस्त हमला किया था जिसमें 1500 से ज्यादा लोग मारे गए थे। उस वक्त भी इस्राईली सरकार की सब तरफ से भत्र्सना हुई थी। उससे फिलिस्तीनी लोग दबे नहीं और इतने दशकों से उन्हें कुचलने की सभी कोशिशों के बावजूद वे आज भी अपने राष्ट्रीय हकों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
फिलिस्तीनी लोगों के बहादुर संघर्ष से दुनियाभर के लोगों को अन्याय के खिलाफ़ लड़ने की प्रेरणा मिली है। विशेषकर उस इलाके में एंग्लो-अमरीकी साम्राज्यवादियों द्वारा थोपे गए सत्ताधीशों के खिलाफ़ राष्ट्रीय तथा जनतांत्रिक हकों के लिए संघर्ष की प्रेरणा मिली है। इजिप्ट के भूतपूर्व सत्ताधीश ऐसे ही थे जिन्हें इस्राईली सरकार के समर्थन के लिए उस इलाके में अमरीकी साम्राज्यवादियों ने सत्ता पर बिठाया था। मगर इजिप्ट की जनता के दबाव की वजह से इजिप्ट की मौजूदा सरकार ने खुलकर फिलिस्तीनी लोगों के हकों का समर्थन किया है। इजिप्ट के राष्ट्राध्यक्ष मोहम्मद मोरसी ने इस्राईल के हमले की भत्र्सना करते हुए कहा कि “मानवता के खिलाफ़ यह एक शर्मनाक आक्रमण है”। 16 नवम्बर के बयान में उन्होंने कहा कि “इजिप्ट के लोगों की ओर से मैं बताना चाहता हूँ कि आज का इजिप्ट गुजरे कल के इजिप्ट से भिन्न है और आज के अरब लोग बीते कल के अरब लोगों से अलग हैं। कैरो अब गाज़ा को अकेला नहीं छोड़ेगा।” ट्यूनीशिया के विदेश मंत्री 17 नवम्बर को एक प्रतिनिधिमंडल के साथ, फिलिस्तीनी लोगों की हिमायत करने तथा इस्राईल पर अरब का दबाव बढ़ाने के लिए गाज़ा में भेट कर रहे हैं।
लंदन, पेरिस, बर्लिन, मैड्रिड, एथेंस, इस्तांबूल, तथा डरबन आदि दुनियाभर के कई शहरों में 16 और 17 नवम्बर को दसियों-हजारों लोगों ने इस्राईली सरकार की भत्र्सना करने तथा फिलिस्तीनी लोगों की हिमायत करने के लिए प्रदर्शन किये। इस्राईल का समर्थन करने वाली पश्चिमी सत्ताओं की भी उन्होंने भत्र्सना की। फिलिस्तीन, लेबनान, इजिप्ट, तथा उस इलाके के दूसरे देशों में भी इसी तरह के कई प्रदर्शन हुए। मजदूर एकता लहर भी अपनी आवाज़ उन लाखों आज़ादी पसंद आवाज़ों में मिलाना चाहती है, जो इस्राईली सरकार के इस हमले का धिक्कार कर रहे हैं एवं राष्ट्रीय हकों के लिए जारी बहादुर फिलिस्तीनी लोगों के न्यायोचित संघर्ष की हिमायत कर रहे हैं।