27 सितंबर को भारत बंद के अवसर पर, देशभर में मज़दूर, किसान, महिला और नौजवान भारी संख्या में सड़कों पर उतर आए। उन्होंने तीनों किसान-विरोधी क़ानूनों के ख़िलाफ़, पेट्रोल-डीजल और सभी ज़रूरी वस्तुओं की बढ़ती महंगाई के ख़िलाफ़, बढ़ती बेरोज़गारी और रोज़गार की असुरक्षा के ख़िलाफ़, मज़दूरों के कठोर संघर्ष द्वारा जीते गए अधिकारों पर हमलों के ख़िलाफ़, अत्यावश्यक सार्वजनिक संसाधनों और सेवाओं के निजीकरण के ख़िलाफ़, आवाज़ उठाई। संयुक्त किसान मोर्चा जो वर्तमान किसान आंदोलन को अगुवाई दे रहा है, उसने भारत बंद का आह्वान किया था।
दिल्ली की सरहदों पर, सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, ग़ाज़ीपुर बॉर्डर, आदि के प्रदर्शन स्थलों पर प्रदर्शनकारी किसानों ने भारत बंद के अवसर पर सभाएं आयोजित कीं, धरने दिए, सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम और विरोध प्रदर्शन आयोजित किए। किसानों की मांगों को बताते हुए और जब तक इन मांगों को पूरा न किया जाए तब तक संघर्ष से पीछे न हटने का ऐलान करते हुए, बड़े-बड़े बैनर लगाए गए थे। किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर बहुत ही जुझारू वातावरण रहा। प्रदर्शनकारी किसानों ने कुरुक्षेत्र, हरियाणा, के शाहबाद इलाके में दिल्ली-अमृतसर नेशनल हाईवे को ब्लॉक कर दिया और इस प्रकार अपना विरोध प्रदर्शित किया।
ट्रेड यूनियनों और मज़दूर संगठनों, नौजवान और महिला संगठनों ने किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर आयोजित किए गए कार्यक्रमों में भाग लिया और इस प्रकार उन्होंने किसानों के संघर्ष के साथ अपना भाईचारा दर्शाया। राज्य द्वारा लगाये गए बैरिकेड और ब्लॉकेड तथा पुलिस द्वारा लगाई गई कड़ी पाबंदियों के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने अपने कार्यक्रमों को सफल किया।
मज़दूर संगठनों और किसान संगठनों ने देशभर में बड़े-बड़े प्रदर्शन तथा ‘रेल रोको’ और ‘रास्ता रोको’ कार्यक्रम आयोजित किए। लगभग सभी राज्यों में, गांवों में और छोटे-बड़े शहरों में और मेट्रो शहरों में भी बड़े-बड़े विरोध कार्यक्रम आयोजित किए गए। ऐसे कार्यक्रम पंजाब, हरियाणा, केरल, त्रिपुरा, तमिलनाडु, बिहार, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, झारखंड, असम, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर और गुजरात राज्यों में हुए। कई जगहों पर प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं को पुलिस और अधिकारियों की लाठियों, आंसू गैस और गिरफ़्तारियों का भी मुक़ाबला करके, बंद को सफल करना पड़ा।
तमिलनाडु में किसान संगठनों और मज़दूर यूनियनों ने चेन्नई और सभी जिलों के सरकारी कार्यालयों पर जुझारू विरोध प्रदर्शन आयोजित किए। नई दिल्ली में सभी मुख्य ट्रेड यूनियनों और मज़दूर संगठनों ने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन और रैली आयोजित की। मज़दूर एकता कमेटी (एम.ई.सी.) के प्रतिनिधि ने, अन्य ट्रेड यूनियनों के नेताओं के साथ-साथ, रैली को संबोधित किया।
27 सितंबर के भारत बंद के अवसर पर मज़दूरों, किसानों, महिलाओं और नौजवानों के इन विरोध प्रदर्शनों में इनकी जुझारू भागीदारी से यह स्पष्ट हो जाता है कि अधिकतम लोग अपनी रोज़ी-रोटी और अधिकारों पर तेज़ होते जा रहे हमलों का बढ़-चढ़कर विरोध कर रहे हैं। इससे साफ ज़ाहिर होता है कि मज़दूर, किसान और मेहनतकश व दबे कुचले लोगों के सभी तबके एक नए हिन्दोस्तान के निर्माण के संघर्ष में बढ़-चढ़कर एकजुट हो रहे हैं, जिस नए हिन्दोस्तान के अंदर लोग खुद अपने फै़सले ले सकेंगे और जिसमें हमारे अधिकारों और खुशहाली को सुनिश्चित किया जाएगा।