एम्स के कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का नोटिस दिया

एम्स की नर्स यूनियन ने एम्स की कर्मचारी यूनियन – एम्स एंड ऑफिसर एसोसिएशन ऑफ एम्स के के साथ मिलकर, प्रशासन को संयुक्त हड़ताल का नोटिस दिया है और कहा है कि उनकी मांगें पूरी न होने पर 25 अक्तूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की जायेगी।

एम्स के कर्मचारियों ने यह स्पष्ट किया कि यह क़दम उनका आखिरी उपाय होगा। दिल्ली के एम्स में सभी कैडर समूहों ने अपनी 47 मांगों की सूची प्रस्तुत करते हुए, कहा है कि उनकी मांगें दशकों से लंबित हैं और अब तक प्रशासन की ओर से कोई गंभीर प्रतिक्रिया नहीं मिली है। प्रशासन के साथ कई बार बैठक करने के बावजूद कर्मचारियों की मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है। मुख्य रूप से वेतनमानों और भत्तों में समानता, बोनस और अन्य लाभों और कर्मचारियों के कार्यभार में कमी की मांगें हैं।

एम्स के नियमावली के नियम 35 के अनुसार, एम्स के सभी कर्मचारी समान वेतनमान और भत्तों के हक़दार हैं जो केन्द्र सरकार में तुलनीय स्थिति के कर्मचारियों के लिए स्वीकार्य है। यही वह समानता है जिसकी मांग कर्मचारी कर रहे हैं। हड़ताल के नोटिस में कहा गया है कि यदि इसका समाधान कर दिया जाता तो नई दिल्ली के एम्स कर्मचारियों की अधिकांश शिकायतें पैदा ही नहीं होतीं।

उनकी अन्य महत्वपूर्ण और लंबे समय से चली आ रही मांग नर्सों और अन्य कर्मचारियों के पदों की संख्या को बढ़ाने की रही है। अस्पताल में जहां कई नये केन्द्र बनाए गए हैं, वहीं इन सेवाओं के लिए पदों की संख्या जस की तस बनी हुई है। इसका नतीजा है कि कर्मचारियों को अत्यधिक काम के दबाव का सामना करना पड़ता है, दुखद रूप से वे जानते हैं कि इससे मरीजों की सेवा की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है। एम्स में 30 वर्षों से कोई कैडर समीक्षा नहीं हुई है, जबकि नियमन में कहा गया है कि इसे हर 5 साल में आयोजित किया जाना चाहिए।

AIIMS_Nurses_to_go_on_strike_400यूनियन की अन्य मांगों में नई पेंशन योजना (एन.पी.एस.) में प्रशासन द्वारा किए गए योगदान की समीक्षा, अस्पताल के आवास में बढ़ोतरी, अस्पताल में ई.एच.एस. सुविधाओं में सुधार शामिल हैं। ई.एच.एस. (पारिवारिक चिकित्सा विभाग) की स्थापना संस्थान के कर्मचारियों और उनके आश्रितों के स्वास्थ्य की देखभाल कि “निवारक, प्रोत्साहन, और उपचारात्मक पहलुओं” की देखभाल के लिए की गई थी।

कोविड माहमारी के दौरान कर्मचारियों ने बहुत कठिन परिस्थितियों का अनुभव किया; उन्होंने अपने कई सहयोगियों को खो दिया है। उन्हें लगता है कि इसमें से बहुत कुछ कम किया जा सकता था और रोका जा सकता था, अगर काम की शर्तें उनपर मांगों के अनुरूप होतीं।

जब भी स्वास्थ्यकर्मी हड़ताल का नोटिस देते हैं तो प्रशासन उन्हें ब्लैकमेल करता है कि वे अपने मरीजों के हितों की उपेक्षा कर रहे हैं। मुख्य रूप से ऐसा महामारी के दौरान हुआ है। हड़ताली कर्मचारियों ने समझाया कि उन्होंने दिसंबर, 2020 में दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देष के अनुसार हड़ताल रोक दी थी। उस समय एम्स प्रबंधन ने कोर्ट से वादा किया था कि उनकी मांगों पर गौर किया जाएगा लेकिन कुछ भी नहीं हुआ।

इस तरह की निष्क्रियता और झूठे वादों ने एम्स की नर्सों और अन्य कर्मचारियों को हड़ताल का नोटिस देने के लिए मजबूर किया है। एक तरफ सरकार महामारी के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों की निस्वार्थ सेवा की सराहना करती है, लेकिन दूसरी ओर, यह उनके काम की स्थिति और उन्हें स्वास्थ रहने और अपने कर्तव्य को जारी रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा की परवाह नहीं करती है। इस तरह के अन्याय के सामने प्रशंसा और धन्यवाद की सभी घोषणाओं का कोई फ़ायदा नहीं है।

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