सरकार के किसान विरोधी कानूनों का विरोध कर रहे किसानों पर, 28 अगस्त को हरियाणा के करनाल के पास बस्तर टोल प्लाजा पर, पुलिस द्वारा बेरहमी से हमला किया गया था। जब किसानों ने हरियाणा के मुख्यमंत्री द्वारा सम्बोधित की जाने वाली राज्य सरकार की एक बैठक में अपना विरोध प्रदर्शन करने के लिए करनाल की ओर कूच किया तब उन पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया।

लाठीचार्ज में सैकड़ों किसान घायल हो गए थे। पुलिस ने न केवल किसानों को पीटा, बल्कि उन्हें डराने-धमकाने के प्रयास में आसपास के खेतों में भी खदेड़ दिया। पुलिस हमले में किसानों के ट्रैक्टर और अन्य वाहनों को नुकसान हुआ है। पुलिस ने सैकड़ों किसानों को हिरासत में लिया है।
किसानों ने बहादुरी से इन हमलों का मुकाबला किया। उन्होंने करनाल, पानीपत और अंबाला में टोल प्लाजा को बंद करने के लिए मजबूर कर दिया। राष्ट्रीय राजमार्ग-44 के बड़े हिस्से को भी जाम कर दिया गया था। पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए किसानों को रिहा करने के बाद ही नाकाबंदी हटाई गई।
कैथल के टीट्राम मोड़ और चीका में भी किसानों ने सड़क जाम कर दी थीं। पुलिस लाठीचार्ज के विरोध में झज्जर में किसानों ने टिकरी सीमा के पास जाखोदा बाईपास पर दिल्ली-रोहतक राजमार्ग को जाम कर दिया था।
30 अगस्त को करनाल के घरौंदा अनाज मंडी में एक महापंचायत में हजारों किसान जमा हुए। 28 अगस्त को करनाल में किसानों पर पुलिस लाठीचार्ज के ख़िलाफ़ महापंचायत बुलाई गई थी। महापंचायत में किसान आंदोलन के नेताओं ने राज्य सरकार की कड़ी निंदा की, की उसने बैरिकेडों को पार कर विरोध स्थल तक पहुंचने से रोकने के लिए किसानों पर बल के प्रयोग का आदेश दिया। किसान आंदोलन के नेताओं ने करनाल के अनुमंडलीय दंडाधिकारी के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग की है, विशेष रूप से उनके ख़िलाफ़ जिन्होंने पुलिस को किसानों के ‘‘सिर फोड़ने’’ का आदेश दिया था।
पिछले नौ महीनों से अधिक समय से किसान दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, उनकी मांग है कि तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द किया जाएं और किसानों को सभी कृषि उपज के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित किया जाना चाहिए। पूरे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में, किसान सरकार के ख़िलाफ़ विरोध में उठ रहे हैं और बहादुरी से विरोध कर रहे हैं। इन विरोध कार्यक्रमों में पड़ोसी क्षेत्रों के सभी लोगों का समर्थन और सक्रिय भागीदारी है। किसानों के इस गुस्से और लोगों की बढ़ती एकता का सामना करते हुए, राज्य उन्हें आतंकित करने के लिए क्रूर बल का सहारा ले रहा है।
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी करनाल में प्रदर्शनकारी किसानों पर पुलिस द्वारा किए गए क्रूर हमले की निंदा करती है। किसान विरोधी कानूनों के ख़िलाफ़ और अपनी आजीविका और अधिकारों की रक्षा में किसानों का संघर्ष पूरी तरह से जायज़ है। किसानों को अपनी आजीविका को दांव पर लगाने वाले कानूनों का विरोध करने का पूरा अधिकार है। राज्य द्वारा उनके विरोध के अपराधीकरण के लिए दी हुई कोई भी दलील जायज़ नहीं है।