10 अगस्त, 2021 को आल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसियेशन (ए.आई.एल.आर.एस.ए.) के सदस्यों ने अपनी 17 सूत्रीय मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। ये विरोध प्रदर्शन पूरे देश में रेलवे के 16 ज़ोनों की लगभग 650 लाबियों पर आयोजित किये गये। रेल प्रशासन द्वारा इस प्रदर्शन को अवैध घोषित किये जाने के बावजूद, पूरे देश में लगभग 7,000 से अधिक रेल चालकों ने हिस्सा लिया।
ए.आई.एल.आर.एस.ए. की केन्द्रीय कार्यकारिणी के सदस्य कामरेड रामसरन के अनुसार, इस विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिये रेल प्रशासन की ओर 5 अगस्त को एक सर्कुलर जारी किया गया। इसमें कहा गया कि ए.आई.एल.आर.एस.ए. मान्यता प्राप्त यूनियान नहीं है, इसलिये इस संगठन द्वारा आयोजित धरना प्रदर्शन को अवैध घोषित किया जाता है। सर्कुलर में कहा गया है कि किसी भी रनिंग स्टाफ को छुट्टी नहीं दी जाएगी। कोई भी कर्मचारी अपना एच.क्यू. नहीं छोड़ेगा। अगर ऐसा करता है तो उसके ख़िलाफ़ रेलवे अधिनियम-1989 की धारा 173, 174 तथा 175 के अन्तर्गत सख्त कार्यवाही की जाएगी। इसके बावजूद, पूरे देश में हजारों रेल चालकों ने विरोध प्रदर्शन को सफलतापूर्वक आयोजित किया।
संगठन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, मंडलों की प्रत्येक लॉबी पर रेल चालकों ने बढ़-चढ़कर इन कार्यक्रमों में भागीदारी की।
दिल्ली सहित अन्य राज्यों की लाबियों – पानीपत, रोहतक, गाज़ियाबाद, तुग़लकाबाद, मेरठ, सराय रोहिल्ला, शकूरबस्ती, मुरादाबाद, गोरखपुर, बनारस, मऊ, छपरा, बरेली, इलाहाबाद, हाजीपुर, सोनपुर, मुज्जफरपुर और बारौनी, आदि पर रेल चालकों ने प्रदर्शन किये।
इन लाबियों पर हुई सभाओं को वहां के नेताओं ने संबोधित करते हुये कहा कि रेल प्रशासन के भारी दबाव और धमकियों के बावजूद, रेल चालकों ने अडिगता से अपना प्रदर्शन नियमानुसार किया। सरकार रेलवे के निजीकरण पर तुली हुई है, परन्तु रेल चालक भी अपने संघर्ष पर अडिग हैं। रेलवे में हजारों पद खाली पड़े हैं परन्तु सरकार इन पदों पर भर्ती करने की बजाय, मौजूदा कर्मचारियों का अति शोषण कर रही है। सभी रिक्त पदों को तुरंत भरा जाये। रात्रि भत्ता का पुनः जारी किया जाये क्योंकि रात्रि भत्ता बंद किए जाने पर रेल चालकों में बहुत ज्यादा आक्रोश है।
इसके अलावा देश के अन्य राज्यों – उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, तमिलनाडु, राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, छत्तीसगढ़, आदि में सभी लाबियों पर विरोध प्रदर्शन हुये।
रेल चालकों द्वारा उठाई गई मुख्य मांगें हैं:
- रेलवे सहित सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों का निजीकरण बंद किया जाये।
- 15 स्पोर्ट्स स्टेडियम आर.एल.डी.ए. को न सौंपे जायें।
- गाड़ियों की वित्तीय बोली अनुसूची को तुरंत रद्द किया जाये।
- सभी रिक्त पदों को तुरंत भरा जाये।
- रनिंग स्टाफ की ड्यूटी के घंटों को घटाकर 8 घंटे किया जाए।
- रात्रि की ड्यूटी के एलाउंस से सीलिंग की लिमिट को हटाई जाये।
- न्यू पेंशन स्कीम को ख़त्म किया जाये और 1 जनवरी, 2004 के बाद नियुक्त हुये सभी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम में शामिल किया जाये।
- नॉन स्टॉप माल गाड़ियों के चालक दल को 5 से 6 घंटे में राहत दी जाये, वे बिना किसी आराम या विश्राम के अत्यधिक गहन प्रकृति का कार्य कर रहे हैं।
- 77 डिवीज़नल अस्पतालों/सब-डिवीजनल अस्पतालों को बंद न किया जाये।
- मालगाड़ी ट्रैफिक की बढ़ोतरी के कारण, 35 प्रतिशत अतिरिक्त मालगाड़ी चालकों (एल.पी.जी.) के पद स्वीकृत किये जायें।
- यात्री सेवाओं की बहाली होने की वजह से सहायक चालक (ए.एल.पी.) के प्रशिक्षण में तेज़ी लाई जाये।
- लाइन बॉक्स वापस लेना बंद किया जाये।
- रनिंग रूम की सुविधाओं में सुधार किया जाये।
- कोविड-19 से हुई मृत्यु में 50 लाख रुपये के मुआवजे़ का भुगतान किया जाये, पीड़ितों के बच्चों को पेंशन लाभ और अनुकंपा नियुक्तियों के भुगतान में तेज़ी लाई जाये।
- ई.ओ.टी.टी. के साथ बिना गार्ड, बिना ब्रेकवान, बिना बीपीसी आदि के साथ काम करने वाली असुरक्षित गाड़ियों के संचालन को बंद किया जाये।
- एल.पी.पी. के 30 प्रतिशत मीन-पे के साथ रनिंग अलाउंस को संशोधित किया जाये।
- चिकित्सकीय रूप से अवर्गीकृत हुये, रनिंग स्टाफ को वैकल्पिक पद पर नियुक्त करते समय प्रत्येक रनिंग-पे-स्केल के समतुल्य, नान रनिंग-पे-स्केल निर्धारित किया जाये, आदि।