देश के कोने-कोने से आये सैकड़ों बिजली कर्मियों व इंजीनियरों ने नेशनल को-आर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रीसिटी इंप्लाईज एंड इंजीनियर्स (एन.सी.सी.ओ.ई.ई.ई.) के झंडे तले, नई दिल्ली में संसद के निकट, जंतर-मंतर पर 3, 4, 5 और 6 अगस्त को, चार दिवसीय विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। केंद्र सरकार द्वारा इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 को संसद के मौजूदा वर्षा सत्र में प्रस्तुत किए जाने के विरोध में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।
देश के अलग-अलग राज्यों की विजली वितरण कंपनियों के कर्मी और अभियंता अपने-अपने यूनियनों और फेडरेशनों के बैनर के साथ इस कार्यक्रम में आये। 3 अगस्त को उत्तरी भारत के राज्यों – उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, चंडीगढ़, और पंजाब से बिजली कर्मी कार्यक्रम में शामिल हुए। 4 अगस्त को पूर्व और पूर्वोत्तर राज्यों – असम, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, और बिहार से कर्मी आये। 5 अगस्त को पश्चिमी भारत के राज्यों – महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और गोवा से बिजली कर्मियों ने भाग लिया और 6 अगस्त को दक्षिणी भारत के राज्यों – केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पुडुचेरी के बिजली कर्मी शामिल हुए।
यह धरना प्रदर्शन कार्यक्रम जंतर मंतर पर प्रातः 11:00 बजे से दोपहर 4:00 बजे तक प्रतिदिन आयोजित किया गया था। धरना स्थल पर पुलिस की बहुत भारी उपस्थिति थी। धरना के चारों तरफ पुलिस बैरिकेड लगाये गए थे। पुलिस ने बहुत दबाव डाला कि कार्यक्रम वहां न हो पाए।
परन्तु पुलिस दबाव को चुनौती देते हुए, 3 अगस्त को आंदोलित बिजली कर्मियों ने कार्यक्रम को जंतर-मंतर पर ही जारी रखा। एन.सी.सी.ओ.ई.ई.ई. की तरफ से श्री सुभाष लाम्बा, आल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष श्री शैलेन्द्र दुबे, आल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स की ओर से श्री आर.के.त्रिवेदी व कई अन्य नेताओं ने जन सभा को संबोधित किया और आंदोलित कर्मियों का हौंसला बढाया।
सर्व हिन्द निजीकरण विरोधी फोरम (ए.आई.एफ.ए.पी.) के झंडे के साथ, मजदूर एकता कमेटी के कार्यकर्ताओं ने बड़े उत्साह से कार्यक्रम में भाग लिया।
पुलिस की पाबंदियों की आलोचना करते हुए, एन.सी.सी.ओ.ई.ई.ई. की तरफ से यह फैसला किया गया कि अगले तीन दिनों का कार्यक्रम बी.टी.आर. भवन के सभागृह में जारी रखा जायेगा।
4, 5 और 6 अगस्त को, प्रतिदिन, देश के अलग-अलग क्षेत्रों से आये नेताओं ने सभा को संबोधित करते हुए यह समझाया कि बिजली का निजीकरण करना ही बिजली संशोधन बिल 2021 का असली मकसद है। इससे न सिर्फ देश के दसों-लाखों बिजली कर्मियों का भविष्य खतरे में होगा, बल्कि उपभोक्ताओं को निजी बिजली कंपनियों के मनमाने ऊंचे दामों का बोझ झेलना पड़ेगा। बिजली जैसी मौलिक जन सुविधा देश के तमाम लोगों की पहुँच से बाहर हो जाएगी। इसलिए इस बिल का डटकर विरोध करना चाहिए।
सर्व हिन्द निजीकरण विरोधी फोरम (ए.आई.एफ.ए.पी.) की ओर से जारी एक समर्थन पत्र की सैकड़ों प्रतियाँ धरने में भाग ले रहे बिजली कर्मियों के बीच बांटी गयीं। मजदूर एकता कमेटी और सर्व हिन्द निजीकरण विरोधी फोरम की ओर से बिरजू नायक ने संघर्षरत बिजली कर्मियों का पूरा समर्थन किया।
एन.सी.सी.ओ.ई.ई.ई. की तरफ से, सभी सहभागी कर्मियों को यह आह्वान किया गया कि 10 अगस्त को देश के कोने-कोने में, इस बिल के विरोध में, सभी बिजली कर्मी और इंजिनियर कार्य बहिष्कार करें और एक दिन की हड़ताल करें।
कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी बिजली संशोधन बिल 2021 और बिजली के निजीकरण के खिलाफ देश के बिजली कर्मियों के संघर्ष का पूरा समर्थन करती है और 10 अगस्त के देश व्यापी विरोध कार्यक्रम को सफल बनाने का आह्वान करती है।