सरकार द्वारा कल्याणकारी कार्यक्रमों के खर्च में कटौती और मितव्ययिता के कदमों के खिलाफ़, लंदन, ग्लासगो और बेलफास्ट में 150,000 से अधिक लोगों ने प्रदर्शन किये। वे यू.के.
सरकार द्वारा कल्याणकारी कार्यक्रमों के खर्च में कटौती और मितव्ययिता के कदमों के खिलाफ़, लंदन, ग्लासगो और बेलफास्ट में 150,000 से अधिक लोगों ने प्रदर्शन किये। वे यू.के. के कोने-कोने से लंदन आये, जहां वे सुबह से टेम्स नदी के उत्तरी तट पर स्थित बिक्टोरिया एमबैंकमेंट के पास एकत्रित हुये। लगभग दोपहर 12 बजे जलूस चल पड़ा। लोगों के हाथों में बैनर थे जिन पर नारे लिखे थे: “कैमरोन ने ब्रिटेन का कत्ल किया है!” और “कटौती नहीं चलेगी!” जलूस लंदन की सड़कों से गुजरते हुए हाइड पार्क पहुंचा, जहां एक रैली व जन सभा हुई।
रैली में बताया गया कि लगभग 25 लाख लोग इस समय बेरोजगार हैं, और 30 लाख लोग गुजारा लायक वेतन से कम पर, कम घंटों तक काम कर रहे हैं और बीते तीन वर्षों में वेतन प्रति माह गिरते रहे हैं। स्वास्थ्य कर्मियों, सरकारी कर्मियों, शिक्षकों और अग्नि शमन सेवा के कर्मियों ने इस प्रदर्शन में भाग लिया।
उत्तरी आयरलैंड के बेलफास्ट शहर में उसी समय (जब लंदन और ग्लासगो में प्रदर्शन हो रहे थे) सिटी हॉल से कस्टम हाउस स्क्वेयर तक जलूस निकाला गया। प्रदर्शनकारियों का यह कहना था कि वे सिर्फ वेस्टमिंस्टर की गठबंधन सरकार को संदेश ही नहीं देना चाहते थे बल्कि उत्तरी आयरलैंड के स्टोरमोंट में लिये गये फैसलों के विरोध में भी अपनी आवाज़ उठाना चाहते थे। उन्होंने बच्चों में गरीबी, नौकरियों में कटौती, कल्याणकारी कार्यक्रमों में सुधारों और निगम टैक्स के मुद्दों को उठाया। सिर्फ दस दिन पहले, स्टोरमोंट में विधान सभा ने कल्याणकारी सुधार बिल के पक्ष में मत दिया, जिसकी वजह से कई दशकों बाद सामाजिक सुरक्षा लाभों में भारी उथल-पुथल की आशंका है। उत्तरी आयरलैंड के हजारों लोगों, जिन्हें विकलांगता भत्ता, आवास भत्ता और रोजगार समर्थन भत्ता मिलते आये हैं, उन पर इसका भारी असर पड़ेगा।
ग्लासगो, स्काटलैंड के रैली की अगुवाई रेंप्लोय के मजदूरों ने की, जो पिछले वर्ष, सरकारी फैक्टरियों के बंद होने पर, अपनी नौकरियां खो बैठे थे। विक्लांगता कार्यकर्ताओं, सामुदायिक दलों और सार्वजनिक क्षेत्र के मजदूरों के साथ-साथ, मंच पर छात्र संगठनों, पब्लिक एंड कमरशियल सरविसेज़ यूनियन (पी.सी.एस.) के सदस्य, नैशनल यूनियन ऑफ रेल, मैरिटाइम एंड ट्रांस्पोर्ट वर्कर्स तथा अन्य यूनियनों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। रैली में वक्ताओं ने बताया कि एक तरफ मेहनतकशों को मितव्ययिता के कदमों को झेलना पड़ रहा है तथा अपनी नौकरियां खोनी पड़ रही हैं, तो दूसरी तरफ अमीरों के टैक्सों में और कटौती की जा रही है। उन्होंने जायज़ टैक्स नीति, जीने लायक वेतन, अच्छी नौकरियों में निवेश, मजबूत ट्रेड यूनियन और रोजगार के अधिकार की मांग की। छात्र कार्यकर्ताओं ने रैली को संबोधित करते हुये कहा कि नौजवानों की बेरोजगारी को रोकने के लिये सरकार को कॉलेजों व शिक्षा में फंडिंग के बारे में गंभीरतापूर्वक सोचना चाहिये।
20 अक्तूबर को यू.के. के इन तीन शहरों में एक ही समय किये गये प्रदर्शनों से यह स्पष्ट होता है कि वहां के मेहनतकश लोग शासकों द्वारा किये जा रहे हमलों के खिलाफ़ अपना संघर्ष तेज़ कर रहे हैं।