16 जून, 2021 को केंद्र सरकार ने आयुध निर्माण बोर्ड (ओ.एफ.बी.) को भंग करने और इसे 7 निगमों में बदलने के निर्णय की घोषणा की। ओ.एफ.बी. आयुध कारखानों और संबंधित संस्थानों का एक छत्र निकाय है। यह वर्तमान में रक्षा मंत्रालय का एक अधीनस्थ संस्थान है और यह 41 कारखानों, नौ प्रशिक्षण संस्थानों, तीन क्षेत्रीय विपणन केंद्रों और सुरक्षा के पांच क्षेत्रीय नियंत्रकों का एक समूह है।
17 जून के तुरंत बाद रक्षा असैनिक कर्मचारियों के सभी वर्गों ने आयुध कारखानों के नियोजित निगमीकरण के ख़िलाफ़ अपना विरोध शुरू कर दिया।
20 जून, 2021 को देशभर में 41 आयुध कारखानों के मज़दूरों का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन संघों – अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी संघ (ए.आई.डी.ई.एफ.), भारतीय राष्ट्रीय रक्षा श्रमिक संघ (आई.एन.डी.डब्ल्यू.एफ.) और भारतीय प्रतिरोध मज़दूर संघ (बी.पी.एम.एस.) ने बैठक की और इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ ज़ोरदार विरोध करने का फै़सला किया। अपने संयुक्त परिपत्र में उन्होंने कहा है कि वे 23 जून, 2021 को अपने निर्णय के बारे में सरकार को सूचित करेंगे और 19 जुलाई, 2021 से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करने के लिए 1 जुलाई, 2021 को हड़ताल नोटिस जारी करेंगे।
1 जुलाई से हड़ताल शुरू करने का संयुक्त आह्वान ए.आई.डी.ई.एफ., आई.एन.डी.डब्ल्यू.एफ. और बी.पी.एम.एस. द्वारा जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में किया गया है तथा देश के लोगों से इस क़दम के विरोध का समर्थन करने की अपील की गई है। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने पहले ही रक्षा असैन्य कर्मचारियों के विरोध को अपना समर्थन दिया है।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि केंद्र सरकार ने 2020 और 2019 सहित रक्षा उत्पादन क्षेत्र के निजीकरण के लिए बार-बार इसी तरह के प्रयास किए हैं। हर बार आयुध कारखाने के मज़दूरों ने हड़ताल की और सरकार को अपना क़दम वापस लेने के लिए मजबूर किया। मज़दूरों के एकजुट संघर्ष ने अतीत में छह अलग-अलग रक्षा मंत्रियों को ओ.एफ.बी. का निगमीकरण नहीं करने के लिए लिखित वचन देने के लिए मजबूर किया था। आयुध कारखाने के मज़दूरों की एकता और निगमीकरण का उनका विरोध निजीकरण के ख़िलाफ़ लड़ने वाले सभी सार्वजनिक क्षेत्रों के मज़दूरों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। 2020 में एक हड़ताल मतपत्र में, 99 प्रतिशत से अधिक रक्षा असैन्य कर्मचारियों ने रक्षा निर्माण क्षेत्र के निजीकरण के प्रयास को विफल करने के लिए निरंतर हड़ताल के लिए मतदान किया था। वे जानते हैं कि ओ.एफ.बी. का विघटन और उसका निगमीकरण निजीकरण की दिशा में पहला क़दम है।