10 फरवरी, 2011 को दिल्ली के विभिन्न ट्रेड यूनियनों और मजदूर संगठनों के कार्यकर्ताओं ने 23 फरवरी, 2011 को संसद पर होने वाले देशभर के मजदूरों की रैली की तैयारी बतौर, एक जुझारू विचार गोष्ठी आयोजित की।
नयी दिल्ली में नॉर्दन रेलवे मैन्स यूनियन के सभागृह में यह विचार गोष्ठी हुई। अलग-अलग मजदूर संगठनों – इंटक, एटक, एच.एम.एस., सीटू,
10 फरवरी, 2011 को दिल्ली के विभिन्न ट्रेड यूनियनों और मजदूर संगठनों के कार्यकर्ताओं ने 23 फरवरी, 2011 को संसद पर होने वाले देशभर के मजदूरों की रैली की तैयारी बतौर, एक जुझारू विचार गोष्ठी आयोजित की।
नयी दिल्ली में नॉर्दन रेलवे मैन्स यूनियन के सभागृह में यह विचार गोष्ठी हुई। अलग-अलग मजदूर संगठनों – इंटक, एटक, एच.एम.एस., सीटू, ए.आई.यू.टी.यू.सी., मजदूर एकता कमेटी, ए.आई.सी.सी.टी.यू., यू.टी.यू.सी, टी.यू.सी.सी., बैंक, बीमा और रेलवे फेडरेशनों की दिल्ली शाखाओं – से लगभग 200 कार्यकर्ताओं ने गोष्ठी में बड़े उत्साह से भाग लिया।
अध्यक्षमंडल में इन संगठनों के नेता बैठे तथा कामरेड हरभजन सिंह सिध्दू ने सभा की अध्यक्षता की।
गोष्ठी में जुझारू वातावरण था। सरकार और उसकी मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ़ सभी वक्ताओं ने अपना गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने मजदूरों की जायज़ मांगों को पूरा करने के संघर्ष को और तेज़ करने तथा 23 फरवरी की रैली के लिए दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से भारी संख्या में मजदूरों को लामबंध करके उसे सफल बनाने का फैसला लिया।
वक्ताओं ने यह बताया कि दिन-ब-दिन यह साफ होता जा रहा है कि राजनीतिक सत्ता सबसे बड़े पूंजीवादी घरानों – टाटा, अंबानी, मित्तल, बिरला आदि – के हाथों में है। सरकार उन्हीं की आवाज़ सुनती है क्योंकि वह उन्हीं की सरकार है। पिछली सरकारों के साथ भी ऐसा ही रहा है, चाहे वे किसी भी पार्टी या गठबंधन की सरकारें हुई हों। इसलिए संप्रग सरकार अपनी रोजी-रोटी पर होने वाले भयंकर हमलों से उत्पीड़ित लाखों-लाखों मजदूरों, किसानों और मेहनतकशों की आवाज़ को सुनने से इंकार करती है।
वक्ताओं ने बताया कि हम अपने संघर्ष में एकजुट हैं, चाहे हमारा ट्रेड यूनियन कोई भी हो या हमारी विचारधारा
कैसी भी हो। इस एकता को बनाना, बनाये रखना तथा मजबूत करना बहुत जरूरी है क्योंकि पूंजीपति वर्ग इसे तोड़ने की भरसक कोशिश करेगा, जैसा कि उसने पहले भी बार-बार किया है। हम मजदूरों को सत्ता में बैठी राजनीतिक पार्टियों या गठबंधनों के आधार पर आपस में नहीं बंटना चाहिए, बल्कि हमें शासक वर्ग के इरादों और नीतियों को समझना चाहिए। बीते दो दशकों की सभी सरकारों ने उदारीकरण और निजीकरण के जरिये भूमंडलीकरण की नीति को अपनाया है, जो कि हिन्दोस्तान के बड़े पूंजीपतियों को विश्वस्तरीय साम्राज्यवादी खिलाड़ी बतौर स्थापित करने की नीति है। इसके दौरान उन्होंने हमारी जनता के श्रम और संसाधनों के शोषण को कई गुना बढ़ा दिया है और सबसे बड़ी इजारेदार कंपनियों की दौलत को भी खूब बढ़ाया है।
वक्ताओं ने यह चेतावनी दी कि हमारे देश के मजदूर और ज्यादा देर तक चुप नहीं बैठने वाले हैं। फ्रांस के मजदूरों, ब्रिटेन के छात्रों और टयूनिशिया तथा मिस्र की बग़ावतों से हमारे देश के मजदूर और नौजवान प्रेरित हो रहे हैं। मजदूर इस निष्कर्ष पर पहुंच रहे हैं कि मौजूदा व्यवस्था ही समस्या की जड़ है, कि बहु-पार्टीवादी संसदीय लोकतंत्र असलियत में पूरे समाज पर इजारेदार पूंजीपतियों की हुकूमशाही का हथकंडा ही है।
मजदूर एकता कमेटी के महासचिव, प्रकाश राव ने अनेक श्रोताओं की भावनाओं को व्यक्त करते हुए, अपने भाषण के अंत में कहा कि हमें पार्टियों के आधार पर तथा अन्य आधार पर बांटने की पूंजीपतियों व उनके दलालों की कोशिशों को हराना होगा और हम अवश्य ही ऐसा करेंगे। पूंजीपति वर्ग के इस भ्रष्ट और परजीवी शासन की जगह पर मजदूरों और किसानों की हुकूमत स्थापित करने के रणनैतिक लक्ष्य के साथ हम अपने तत्कालीन मांगों की लड़ाई को लड़ेंगे। उन्होंने साथियों से आह्वान किया कि अपनी सांझी मांगों के लिए संघर्ष करने के उद्देश्य से फैक्ट्रियों, औद्योगिक क्षेत्रों और रिहायशी बस्तियों में मजदूर एकता समितियों का निर्माण किया जाये, जिनमें सभी ट्रेड यूनियनों और पार्टियों के मजदूर एकजुट होकर संघर्ष करें। अंत में उन्होंने कहा कि महाभारत के समय से आज तक, देश में राज्य सत्ता के लिए सभी महान युध्द दिल्ली में लड़े गये हैं। अत: इस इलाके में काम करने वाले मजदूर संगठनों की यह जिम्मेदारी है कि आने वाली रैली के लिए तथा अपने रणनैतिक लक्ष्य को हासिल करने के उद्देश्य से किये जाने वाले बड़े-बड़े राजनीतिक संघर्षों के लिए मजदूर वर्ग को पूरी ताकत के साथ संगठित और लामबंध करें।
गोष्ठी के अंत में दिल्ली के मजदूर संगठनों ने यह फैसला किया कि 23 फरवरी की रैली से पूर्व के दिनों में तथा उसके बाद भी अलग-अलग और संयुक्त अभियान चलायेंगे।
गोष्ठी को संबोधित करने वालों में, इंटक से रमेश वत्स, एटक से धीरेन्द्र शर्मा, एच.एम.एस. से शिवपाल मिश्र, सीटू से मोहन लाल, ए.आई.यू.टी.यू.सी. से हरीश त्यागी, मजदूर एकता कमेटी से प्रकाश राव और ए.आई.सी.सी.टी.यू. से ओम प्रकाश शामिल थे।