यूनान व स्पेन में मितव्ययिता के कदमों के खिलाफ़ हालिया विरोध व जन प्रदर्शन

यूनान व स्पेन, जो वर्तमान समय में यूरो क्षेत्र की दो ऐसी अर्थव्यवस्थायें हैं जिनमें वित्तीय संकट सबसे गहरा है, उन पर एक नये दौर से थोपे जा रहे मितव्ययिता के कदमों के खिलाफ़, सितम्बर के अंतिम सप्ताह में, ऐथेंस और मेड्रिड की सड़कों पर जन प्रदर्शन हुये।

यूनान व स्पेन, जो वर्तमान समय में यूरो क्षेत्र की दो ऐसी अर्थव्यवस्थायें हैं जिनमें वित्तीय संकट सबसे गहरा है, उन पर एक नये दौर से थोपे जा रहे मितव्ययिता के कदमों के खिलाफ़, सितम्बर के अंतिम सप्ताह में, ऐथेंस और मेड्रिड की सड़कों पर जन प्रदर्शन हुये।

26 सितम्बर को अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र से हजारों की संख्या में मेहनतकश लोगों ने यूनान की राजधानी ऐथेंस में, यूनानी अर्थव्यवस्था को दीवालिया होने से बचाने की शर्त बतौर, विदेशी साहूकारों द्वारा मांगी गयी बजट कटौतियों के खिलाफ़ एक आम हड़ताल की। पिछले एक साल में यह उस देश का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन रहा है जिसमें करीब 70,000 लोगों ने “यूरोपीय संघ, आई.एम.एफ बाहर भागो!”  नारा लगाते हुये, यूनानी संसद पर जुलूस निकाला।

देश की दो सबसे बड़ी यूनियनों ने 24 घंटे की हड़ताल की जिससे पूरे देश की सेवायें बुरी तरह ठप्प हो गयीं। जहाज बंदरगाहों में रुके रहे, अजायबघर और स्मारक बंद रहे और हवाई यातायात नियंत्रकों ने भी काम बंद कर दिया। रेल गाडि़यां और हवाई सेवायें स्थगित थीं, सरकारी दफ्तर और दुकानें बंद थीं, और अस्पतालों में आपातकालीन सेवायें ही उपलब्ध थीं।

यूनानी लोगों का गुस्सा करीब 120 खरब यूरो (160 खरब डॉलर) की बजट कटौती के कारण था जिसको अगले दो वर्षों में करने का वादा यूनानी सरकार ने यूरोपीय संघ और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष को किया था, ताकि अर्थव्यवस्था को दीवालिया होने से बचाने के लिये सहायता की अगली किश्त सुनिश्चित हो सके।

कटौतियां अधिकांशतः मेहनतकश लोगों के वेतन, पेंशन और कल्याण भत्तों से निकाली जायेंगी। इससे यूनान के लोगों पर गरीबी की एक नयी लहर आने की आशंका है। यूनान के लोग बार-बार मितव्ययिता के दौरों से पहले ही पीडि़त हैं, जिनसे देश की अर्थव्यवस्था मेहनतकश लोगों के हित में नहीं बन सकी है।

ये प्रदर्शन ऐसे वक्त पर हो रहे हैं जब यूनान की सरकार दीवालियापन और यूरो क्षेत्र से बाहर किये जाने की कगार पर खड़ी है अगर उसे और कर्जा नहीं मिलता तो, और मितव्ययिता के कदम उठाने के लिये उस पर भयंकर दबाव है।

स्पेन की राजधानी मेड्रिड में, 25 सितम्बर को हजारों मज़दूर 2013 के बजट में पेंशनों में फ्रीज़ जैसे संभावित मितव्ययिता के और कठोर कदमों के खिलाफ़ सड़कों पर उतरे। स्पेन में गहरी मंदी चल रही है और वहां 25 प्रतिशत बेरोजगारी है। स्पेन की सरकार पर यूरो क्षेत्र के नीति निर्धारकों का जबरदस्त दबाव है कि वह सार्वजनिक खर्चे में कटौतियां करने के कठोर कदम उठाये, ताकि यूरो क्षेत्र की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को दीवालिया होने से बचाने की मदद मिल सके। यह शर्त यूरोपीय केन्द्रीय बैंक ने स्पेन के कर्जे की कीमत को कम करने के लिये लगाई है।

स्पेन की सरकार द्वारा मितव्ययिता के कदमों के तहत, इलाकों के खर्चों में कमी से केटोलोनिया में राष्ट्रीय स्वतंत्रता का लोकप्रिय आंदोलन जोर पकड़ रहा है। केटोलोनिया स्पेन के पूर्वोत्तर का इलाका है जिसमें स्पेन की अर्थव्यवस्था का एक पांचवां उत्पादन होता है। केटोलोनिया को इस वर्ष कर्जा अदायगी के लिये केन्द्र सरकार से 50 खरब यूरो की जरूरत है। केटोलोनिया के लोग, उन पर अन्यायपूर्ण कर-वसूली का विरोध कर रहे हैं और क्षेत्रीय सरकार ने वहां स्वतंत्रता के मुद्दे पर जनमत संग्रह कराने का प्रस्ताव रखा है, परन्तु ऐसे कदम को केन्द्र सरकार ने गैरकानूनी बताया है।

यूनान और स्पेन में हाल में हुये विरोध प्रदर्शन, आदमख़ोर पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ़ मेहनतकश लोगों के प्रचण्ड गुस्से को दर्शाते हैं। दुनियाभर में लोग समझ रहे हैं कि पूंजीवादी व्यवस्था एक संकट से दूसरे संकट में जा रही है और इसके पास सबसे बड़े इजारेदारों के अतिमुनाफों की रक्षा करने के लिये मेहनतकश लोगों की रोजी-रोटी और अधिकारों पर और ज्यादा हमले करने के सिवाय और कोई उपाय नहीं है।

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