संपादक महोदय, मजदूर एकता लहर के 16-31 जनवरी, 2011 के अंक में ‘श्रीकृष्ण कमेटी ने तेलंगाना पर रिपोर्ट पेश की : लोगों को जान बूझकर भड़काने की कोशिश की निंदा करें!’ इस लेख को छापने के लिए मैं आपका आभार व्यक्त करता हूँ। इस लेख को इसकी सरल और वैज्ञानिक भाषा, इतिहास की सटीक जानकारी और
संपादक महोदय, मजदूर एकता लहर के 16-31 जनवरी, 2011 के अंक में ‘श्रीकृष्ण कमेटी ने तेलंगाना पर रिपोर्ट पेश की : लोगों को जान बूझकर भड़काने की कोशिश की निंदा करें!’ इस लेख को छापने के लिए मैं आपका आभार व्यक्त करता हूँ। इस लेख को इसकी सरल और वैज्ञानिक भाषा, इतिहास की सटीक जानकारी और ईमानदारी के लिए सराहा जाना चाहिए। इस तरह का लेख केवल मार्क्सवाद-लेनिनवाद के असूलों पर आधारित ठोस विचारधारात्मक-राजनीतिक विश्लेषण के आधार पर ही लिखा जा सकता है, जैसे कि हमारी पार्टी का प्रत्येक कार्य आधारित है। यह लेख हिन्दोस्तान के मजदूर वर्ग और सभी मेहनतकश लोगों के हितों की हिफाज़त में लिखा गया है, इस मायने में यह बेशक निष्पक्ष नहीं है, यह लोगों का पक्ष लेता है। यह लेख हिन्दोस्तान के सरमायदारों की परोपजीविता और उसके संकुचित और मतलबी गुण को भी साफ़ दिखलाता है और यह स्पष्ट करता है कि इस रास्ते पर चलने का अंजाम लोगों की बर्बादी के अलावा और कुछ नहीं हो सकता।
लेख में यह बताया गया है कि हिन्दोस्तान मुख्य तौर से दो बड़े खेमों में बंटा हुआ है – शोषकों और शोषितों का खेमा। दूसरी खास विशेषता है – शोषकों के आपसी तीव्रस्पर्धा और टकराव। तेलंगाना के मामले में हैदराबाद पर किसका नियंत्रण होगा इस बात को लेकर प्रस्थापित ताकतों और नए उभरते हुए सरमायदारों, जो उनकी जगह लेना चाहते हैं, के बीच टकराव है। उनकी यह आपसी जंग सत्ताहीन और क्रोधित नौजवानों का खून बहाकर लड़ी जा रही है, और नौजवानों को इन गुटों के हितों के लिए लामबंद किया जा रहा है। यह लेख, यह भी बताता है कि इस त्रासदी में क्रांतिकारी खेमें का भी कुछ हिस्सा पूंजीपतियों की इन परस्पर विरोधी खेमें के पिछलग्गू बन रहे हैं।
इस मसले पर सैध्दांतिक आधार की बेहद ज़रूरत है जिसके अभाव में आन्दोलन भटक जायेगा। इस लेख में जो सैध्दांतिक स्पष्टता प्रस्तुत की गयी है इससे संघर्ष में आम समझ को आगे बढ़ने में सहायता मिलेगी। इसके अलावा, इस लेख और हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के अन्य लेखों में हिन्दोस्तान के नवनिर्माण का जो नारा दिया गया है, यह हमारे वर्तमान और भावी संघर्षों का सूत्र रहेगा।
आपका, ए. नारायण, बेंगलूरू