टाटा समूह की एक कंपनी, वोल्टास लिमिटेड की सामान्य वार्षिक सभा में 23 अगस्त को मुंबई में एक अद्भुत दृश्य देखने को मिला। कंपनी के 100 से भी अधिक शेयरधारक मज़दूर इस सभा में उपस्थित थे। वोल्टास एम्प्लोईज यूनियन तथा ऑल इंडिया वोल्टास एम्प्लोईज फैडरेशन ने फैसला किया था कि वे इस मौके पर सभी शेयरधारकों को अपनी मांगों से अवगत करायेंगे।
टाटा समूह की एक कंपनी, वोल्टास लिमिटेड की सामान्य वार्षिक सभा में 23 अगस्त को मुंबई में एक अद्भुत दृश्य देखने को मिला। कंपनी के 100 से भी अधिक शेयरधारक मज़दूर इस सभा में उपस्थित थे। वोल्टास एम्प्लोईज यूनियन तथा ऑल इंडिया वोल्टास एम्प्लोईज फैडरेशन ने फैसला किया था कि वे इस मौके पर सभी शेयरधारकों को अपनी मांगों से अवगत करायेंगे।
वोल्टास के पूंजीपति मालिकों ने सभा में 100 से भी अधिक ऐसे लोगों को भरा हुआ था जो शेयरधारक नहीं थे और जिनको मज़दूरों को चुप कराने के लिये लाया गया था। लेकिन वोल्टास के मज़दूरों ने शुरू में ही उनकी उपस्थिति का विरोध किया। उन्होंने कंपनी के अध्यक्ष को सभी गैर शेयरधारकों को सभागृह से बाहर भेजने के लिये बाध्य किया।
श्री संजय जौहरी को दुबारा प्रबंध निर्देशक नियुक्त करने के निर्णय का मज़दूरों ने विरोध किया। बहुत से शेयरधारकों ने मज़दूरों की नाराजगी पर अपनी चिंता व्यक्त की। भारतीय रेलवे के मज़दूरों के नेता, श्री बी.एस. रथ ने पूछा कि कंपनी का प्रबंधन ज्वलंत मुद्दों पर क्यों खामोश है, जिनके बारे में मज़दूर बहुत उत्तेजित हैं।
वोल्टास के मज़दूरों की लम्बे समय से मांगों में शामिल हैं: (1) दो साल पहले समाप्त वेतन समझौते की जगह एक नया वेतन समझौता; (2) यूनियन के नेताओं के खिलाफ़ चलाये जा रहे सारे मुकदमों को वापस लेना; और (3) आधुनिकीकरण निपटारा 1987 सहित सभी स्वीकृत फैसलों को लागू करना। इन मांगों को मानना तो दूर, वोल्टास के मालिक मज़दूरों को मौजूदा 5-दिन काम के सप्ताह की जगह 6-दिन काम की बात कर रहे हैं।
मज़दूरों की न्यायसंगत मांगों को न मानने के लिये, मज़दूर एकता लहर वोल्टास के पूंजीपति मालिकों की कड़ी निंदा करती है। वोल्टास के मज़दूरों द्वारा अपनी मांगों को कंपनी की सामान्य वार्षिक सभा तक ले जाने के निर्भीक पहलकदमियों का मजदूर एकता लहर समर्थन करती है।