2 महीने पहले, उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार एयर इंडिया के विमान चालकों का हड़ताल वापस लिया गया। यह हड़ताल इंडियन पायलट्स गिल्ड के तत्वाधान में किया गया था। उस समय नागरिक उड्डयन मंत्रालय तथा एयर इंडिया के अधिकारियों ने न्यायालय को आश्वासन दिया कि वे विमान चालकों की मांगों के प्रति संवेदनशील रवैया अपनायेंगे।
2 महीने पहले, उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार एयर इंडिया के विमान चालकों का हड़ताल वापस लिया गया। यह हड़ताल इंडियन पायलट्स गिल्ड के तत्वाधान में किया गया था। उस समय नागरिक उड्डयन मंत्रालय तथा एयर इंडिया के अधिकारियों ने न्यायालय को आश्वासन दिया कि वे विमान चालकों की मांगों के प्रति संवेदनशील रवैया अपनायेंगे।
पिछले दो महीने के घटनाक्रम यह साबित कर रहा है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय तथा एयर इंडिया के अधिकारियों ने इंडियन पायलट्स गिल्ड को खत्म करने के लिए एक सोची-समझी रणनीति अपना रही है।
हड़ताल के दौरान 97 विमान चालकों को नौकरी से बर्खास्त किया गया। इसमें कमेटी के 10 सदस्य भी शामिल थे, जिन्होंने अपनी मांगों को लेकर इस संघर्ष की अगुवाई दी।
जुलाई, 2012 में जब हड़ताल खत्म हुआ तब इन 97 विमान चालकों को कहा गया कि वे दुबारा नौकरी के लिए आवेदन करें। अभी तक सिर्फ 40 विमान चालकों को काम पर वापस लिया गया है। बाकी 57 विमान चालकों को लटकाकर रखा गया है। खासतौर पर 10 कमेटी के सदस्यों के प्रति अधिकारी बहुत ही कठोर रवैया अपना रहे हैं। इनमें से 5 को अभी तक “साक्षात्कार“ के लिए बुलाया गया था। दो-तीन मिनट की औपचारिक बातचीत के बाद इन सभी के आवेदन को रद्द कर दिया गया। अनुमान है कि बचे 5कमेटी सदस्यों के साथ भी ऐसा ही होगा।
विमान चालकों के मुताबिक नागरिक उड्डयन मंत्री श्री अजीत सिंह तथा एयर इंडिया के अधिकारी ने अन्य निजी विमान कंपनियों को सुझाव दिया कि वे इन बर्खास्त एयर इंडिया के विमान चालकों को नौकरी पर न रखें। इससे यह दिखता है कि मंत्रालय तथा एयर इंडिया के अधिकारी की सोची-समझी नीति है कि इंडियन पायलट्स गिल्ड को खत्म किया जाये।
विमान चालकों और उनके संगठन के प्रति सरकार और एयर इंडिया के अधिकारियों के फासीवादी रवैये की हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी सख्त निंदा करती है। तमाम बर्खास्त विमान चालकों को नौकरी में वापस लेने का संघर्ष बिल्कुल जायज़ है। इस संघर्ष को एयर इंडिया के तमाम श्रेणी के कर्मचारियों की समर्थन की जरूरत है तथा पूरे देश के मजदूर वर्ग का भी।