ट्रेड यूनियनों ने संघर्ष तीखा करने का दृढ़ निश्चय किया

ट्रेड यूनियनों का सर्व हिन्द सम्मेलन 4 सितम्बर 2012 को नयी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में सम्पन्न हुआ। हिन्दोस्तान के अलग-अलग प्रांतों से और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों से आये हजारों मज़दूर प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में हिस्सा लिया।

ट्रेड यूनियनों का सर्व हिन्द सम्मेलन 4 सितम्बर 2012 को नयी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में सम्पन्न हुआ। हिन्दोस्तान के अलग-अलग प्रांतों से और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों से आये हजारों मज़दूर प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में हिस्सा लिया।

सम्मेलन एक ऐसे वक्त हुआ जब ट्रेड यूनियन अधिकारों पर वहशी फासीवादी हमला हो रहा है, जो गुड़गांव-मानेसर पट्टी की घटनाओं से और महाराष्ट्र में एस्मा कानून के पारित होने से प्रतिबिंबित होता है। मज़दूर एकता लहर के संवाददाता ने जितने भी प्रतिनिधियों से बातचीत की, उनमें एकमत था कि परिस्थिति की मांग है कि मज़दूरों के अधिकारों के बचाव में एकताबद्ध संघर्ष तीखा किया जाये।

सम्मेलन में उपस्थित प्रतिनिधियों में अधिकांश बड़े पैमाने के उद्योगों व सेवाओं से थे। वे अपने साथ संघर्षों के अनुभवों को लेकर आये थे। प्रतिनिधियों का यह दृढ़ निश्चय था कि शासक वर्ग और केन्द्र सरकार के मज़दूर-विरोधी, जन-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी रास्ते को बदलने के लिये एकताबद्ध और शक्तिशाली संघर्ष करने की जरूरत है। उनमें आशा की झलक थी कि परिस्थिति सभी यूनियनों को, पार्टियों के संबंधों से स्वतंत्र हो कर, एक साथ एक मंच पर आने के लिये बाध्य कर रही है।

सम्मेलन ने इन पुरानी मांगों को दोहराया 1) मंहगाई रोकने के ठोस कदम, 2) रोजगार बढ़ाने के ठोस कदम, 3) श्रम कानूनों का सख्ती से पालन, 4) संगठित व असंगठित मज़दूरों के लिये सर्वव्यापी सामाजिक सुरक्षा बीमा और 5) निजीकरण पर रोक। इसके अलावा, सम्मेलन ने निम्नलिखित को सुनिश्चित करने के लिये सरकार से तात्कालिक कदमों की मांग की:

  •  स्थायी या पूरे वर्ष चलने वाले कामकाज ठेके पर नहीं, और ठेके के मज़दूरों को उस उद्योग या संस्थापन के नियमित मज़दूरों के बराबर का वेतन।
  • सभी पर लागू होने की सुनिश्चिति के लिये और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जुड़े न्यूनतम 10,000 रु. मासिक कानूनी वेतन की सुनिश्चिति के लिये न्यूनतम वेतन कानून में संशोधन।
  • बोनस व प्रोविडेंट फंड की पात्रता और अधिकतम भुगतान पर से पाबंदियां हटाना; और ग्रेच्यूटी (उपदान) में बढ़ोतरी।
  • सभी मज़दूरों के लिये निश्चित लाभ के साथ पेंशन।
  • 45 दिनों के अंदर ट्रेड यूनियनों का अनिवार्यतः पंजीकरण तथा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की करार संख्या 87 व 98 का तुरंत सत्यापन।

सम्मेलन ने निम्नलिखित कार्य की योजना घोषित की:

  • सितम्बर से नवम्बर 2012 के बीच राज्य/जिला/क्षेत्रीय सम्मेलन
  • 18 व 19 दिसम्बर 2012 को सभी राज्यों में जेल भरो
  • 20 दिसम्बर को संसद तक जुलूस
  • 20 व 21 फरवरी 2013 को दो दिन की आम हड़ताल

Share and Enjoy !

Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *