पूरे देश में, राज्य के सुरक्षा बल प्रतिवाद करने वालों पर जमकर हमला कर रहे हैं। प्रतिवाद करने के अधिकार को कुचलने के लिये संप्रग सरकार ने फासीवादी हमला छेड़ दिया है।
पूरे देश में, राज्य के सुरक्षा बल प्रतिवाद करने वालों पर जमकर हमला कर रहे हैं। प्रतिवाद करने के अधिकार को कुचलने के लिये संप्रग सरकार ने फासीवादी हमला छेड़ दिया है।
प्रतिवाद करने का अधिकार ज़मीर के अधिकार से उत्पन्न होता है। देश की दिशा के सवाल पर, लोगों को अधिकारियों से भिन्न मत रखने का पूरा अधिकार है, अपने ज़मीर के अनुसार काम करने और तरह-तरह से अपना विरोध प्रकट करने का पूरा अधिकार है।
कुडनकुलम में भारी संख्या में महिलायें, पुरुष व बच्चे, मुख्यतः मछुआरे, परमाणु प्लांट के चालू किये जाने के खिलाफ़, बीते वर्ष से प्रतिवाद कर रहे हैं। उन्होंने उस इलाके की सुरक्षा तथा जन-जीवन की सुरक्षा पर बहुत जायज़ सवाल उठाये हैं। उनके सवालों के जवाब न देकर, उनके विचारों को नजरंदाज़ करके, केन्द्र सरकार व तामिल नाडु सरकार ने आतंक की मुहिम चला रखी है। 10 सितंबर को एक मछुआरा पुलिस की गोलियों का शिकार हुआ। 1500 से ज्यादा लोगों पर “राज्य के खिलाफ़ जंग करने” का आरोप लगाया गया है। यह उस उपनिवेशवादी देशद्रोह कानून के तहत किया गया है, जिसके तहत शहीद भगत सिंह व अनगिनत और क्रान्तिकारियों को फांसी पर चढ़ाया गया था। परमाणु संयंत्र का विरोध करने वालों को “राष्ट्रविरोधी” एवं “विदेशी पैसे पर पले हुये” बताकर, राज्य ने उनके खिलाफ़ पूरा प्रचार अभियान चलाया है। रिपोर्टों के अनुसार, प्रतिवादी लोगों को दबाने के लिये वहां सेना खड़ी की गई है।
मुंबई में एक नौजवान व्यंग्यचित्र कलाकार (कार्टूनिस्ट) पर “देशद्रोह” का आरोप लगाकर उसे गिरफ़्तार किया गया। भारी जन विरोध के बाद उसे जमानत पर छोड़ा गया। विभिन्न राज्यों से बहुत से अन्य लेखकों व कलाकारों को अभी भी अधिकारियों द्वारा उत्पीडि़त किया जा रहा है, क्योंकि उन्होंने अपनी कृतियों के जरिये राजनीतिक अधिकारियों के बारे में सवाल उठाये हैं।
मध्य प्रदेश में नर्मदा बांध के कारण अपने विस्थापन के खिलाफ़ प्रतिवाद करने वाले लोगों को हारदी में उनकी जल समाधि से बलपूर्वक बाहर निकाला गया। गांववासियों ने ऐलान किया था कि उनके इलाके में बांध की ऊंचाई को घटायी जाये ताकि उनकी जमीन पानी तले न दब जाये, वरना उन्हें पानी में डूब मरने दिया जाये। जब जलस्तर लोगों के कंधों तक पहुंच गया, तब भी राज्य ने बांध को नहीं तोड़ा या पानी को नहीं छोड़ा। उसने प्रतिवादी गांववासियों को बलपूर्वक उठा लिया और गिरफ्तार कर लिया। विदित है कि वहां के निवासियों ने बहुत पहले से ही बताया था कि अगर बांध की ऊंचाई को कम न किया जाये तो उनके गांव डूब जायेंगे, परन्तु राज्य ने उनकी रोजी-रोटी व अधिकारों की कोई परवाह नहीं की।
स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने “आर्थिक विकास” का विरोध करने वालों को धमकी दी और उन्हें “राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा” बताया। यह स्पष्ट है कि कुडनकुलम के लोगों, नर्मदा घाटी के गांव वासियों और अपनी पसंद का यूनियन बनाने के अधिकार के लिये गुड़गांव-मारेसर व दूसरे औद्योगिक क्षेत्रों में संघर्ष कर रहे मजदूरों को राष्ट्र विरोधी तत्व करार दिया जा रहा है, सिर्फ इसलिये कि उनका प्रतिरोध बड़े-बड़े पूंजीपतियों की हमलावर कार्यवाहियों के रास्ते में रुकावट है।
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी प्रतिवाद के अधिकार पर इस हमले के लिये संप्रग सरकार की निंदा करती है। कुडनकुलम या नर्मदा घाटी के लोगों की चिंतायें जायज़ हैं और उन्होंने काफी लंबे समय से इन्हें प्रकट किया है। परन्तु इन चिंताओं पर बात किये बिना, प्रतिवाद को कुचलने के लिये बलप्रयोग करके, हिन्दोस्तानी राज्य ने अपनी जनता के लिये अपनी नफ़रत को दर्शाया है। लोगों को जागरुक करने के लिये अपनी कला का इस्तेमाल करने वाले व्यंग्य चित्रकारों को गिरफ्तार करना, यह दिखाता है कि हमारे अधिकारी वहशी बल प्रयोग के बिना अपना शासन जायज़ नहीं ठहरा सकते हैं।
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी सभी ज़मीर वाले स्त्री-पुरुषों को आह्वान देती है कि एकजुट होकर लोगों के जमीर के अधिकार की हिफ़ाज़त करें। हिन्दोस्तान को दुनिया की बड़ी-बड़ी साम्राज्यवादी ताकतों के गिरोह में शामिल करने के इरादे से चलाये जा रहे बड़े इजारेदार पूंजीपतियों के कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिये, केन्द्र सरकार हमारे लोगों के जमीर के अधिकार पर बेरहमी से हमले कर रही है।