बैंकिंग सुधारों के खिलाफ़ बैंककर्मी व अधिकारी आगे आये

बैंकिंग क्षेत्र में पूंजीपतियों के हितों में किये जा रहे सुधारों, खंडेलवाल समिति की सिफारिशों के एकतरफा कार्यान्वयन करने, बैंक नौकरियों की आउटसोर्सिंग करने, मानव संसाधन के मुद्दों पर मनमाना दिशा-निर्देशों के लागू करने, ग्रामीण शाखाओं को  बंद करने, आदि के खिलाफ़ देशभर के बैंक कर्मचारी 22-23 अगस्त को हड़ताल पर उतरे। 27 सरकारी बैंकों की 87,000 शाखाओं, निजी क्षेत्र के 12 बैंकों तथा 8 विदेशी

बैंकिंग क्षेत्र में पूंजीपतियों के हितों में किये जा रहे सुधारों, खंडेलवाल समिति की सिफारिशों के एकतरफा कार्यान्वयन करने, बैंक नौकरियों की आउटसोर्सिंग करने, मानव संसाधन के मुद्दों पर मनमाना दिशा-निर्देशों के लागू करने, ग्रामीण शाखाओं को  बंद करने, आदि के खिलाफ़ देशभर के बैंक कर्मचारी 22-23 अगस्त को हड़ताल पर उतरे। 27 सरकारी बैंकों की 87,000 शाखाओं, निजी क्षेत्र के 12 बैंकों तथा 8 विदेशी बैंकों में काम करने वाले करीब 10 लाख कर्मचारियों व अधिकारियों को हड़ताल में यूनाईटेड बैंक फोरम यूनियन ने अगुवाई की। सरकार पूंजीपतियों के हित में ‘बैकिंग कानून संशोधन अधिनियम 2011’ को लेकर आ रही है, जिसका बैंककर्मी जबरदस्त विरोध कर रहे हैं। 22 अगस्त को नई दिल्ली के संसद मार्ग पर स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के प्रांगण में बैंक कर्मियों ने प्रदर्शन करके सभा आयोजित की। इसमें दिल्ली के अलग-अलग बैंकों के हजारों कर्मचारी व अधिकारी शामिल हुए। इस अवसर पर ए.आई.एन.बी.ओ.एफ. के जनरल सेक्रेटरी व ए.आई.बी.ओ.सी. के उपाध्यक्ष श्री हरविन्दर सिंह के साथ मजदूर एकता लहर ने साक्षात्कार किया, जो पेश है:

म.ए.ल.: वे कौन-कौन से मुद्दे हैं, जिनको लेकर बैंक कर्मी हड़ताल कर रहे हैं?

श्री हरविन्दर सिंह: देश के बैंककर्मी, ‘बैकिंग कानून संशोधन अधिनियम 2011’ जो संसद में आज पेश होने जा रहा है, उसका विरोध कर रहे हैं। इस अधिनियम में यह प्रावधान है कि निजी पूंजीपतियों का मताधिकार निजी क्षेत्र के बैंकों में 10 प्रतिशत से बढ़कर 26 प्रतिशत और सार्वजनिक बैंकों में 1प्रतिशत से बढ़कर 10 प्रतिशत हो जायेगा। बैंक कर्मी यह मानते हैं कि यह अधिनियम पास हो जाने के बाद, इस देश का बैंकिंग तंत्र निजी पूंजीपतियों के नियंत्रण में चला जायेगा। पूंजीपति अपने हित में नीतियां बनायेंगे। वे उद्देश्य या लक्ष्य, जिनके लिए बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था, धरे के धरे रह जायेंगे।

आज स्थिति यह है कि पूंजीपतियों का बैंकों पर आधिपत्य न होने पर भी देश का 1लाख करोड़ रुपया एन.पी.ए. (पूंजीपतियों पर उधार) है। इसकी वापसी के लिये हमारी सरकार बिल्कुल भी चिंतित नहीं है, बल्कि उसको राइटऑफ  करके बैंकों को घाटे में दिखा दिया जाता है। अगर इन पूंजीपतियों का बैंकों पर नियंत्रण हो जायेगा तो देश की मेहनतकश जनता की बचत का इस्तेमाल खुद के मुनाफे को बढ़ाने में करेंगे। वे जनता के पैसे को वापस भी नहीं करेंगे। इसलिए बैंककर्मी ‘बैंकिंग कानून संशोधन अधिनियम 2011’ के खिलाफ़ हैं।

इसके बाद, दूसरा मुद्दा है खंडेलवाल कमेटी को लेकर। इस कमेटी का काम था मानव संसाधन के मुद्दों पर सिफारिशें देना। इस कमेटी ने अपनी सिफारिशें अपनी हद से बाहर जाकर दी हैं। आधी से ज्यादा सिफारिशें सरकार ने नहीं मानी हैं। आधी सिफारिशें, जिसे सरकार ने मानी हैं, उनमें से कुछ ऐसी हैं कि अगर उनको लागू किया गया तो बैंकिंग उद्योग में एक दम निरसता और अकुशलता आ जायेगी।

बैंक कर्मी चाहते थे कि, खंडेलवाल कमेटी मानव संसाधन के मुद्दे पर कोई नीति बनाने से पहले, उनके साथ चर्चा करे। लेकिन कमेटी ने ऐसा नहीं किया। बैंकिंग व्यवस्था के अंदर किसी भी नीति को कर्मचारियों और अधिकारियों के संगठनों से चर्चा किये बगैर लागू नहीं कर सकते हैं। हमारे यहां द्विपक्षीय समझौते होते हैं। आपस में चर्चा के बाद किसी नीति को लागू किया जाता है। इंडियन बैंक्स एसोसियन (आईबीए) ने भारत सरकार के निर्देशों पर खंडेलवाल कमेटी की सिफारिशों को बिना चर्चा के लागू किया है।

तीसरा, कर्मचारी की आकस्मिक मृत्यु हो जाने पर, परिवार के किसी व्यक्ति को नौकरी पर रखना। सिर्फ बैंक ही इससे वंचित क्यों हैं, जबकि सभी सरकारी विभागों में नौकरी देने का प्रवधान है।

चैथा, बैंककर्मी आउटसोर्सिंग (काम को ठेके पर देने) के खिलाफ़ हैं। जो काम बैंक कर्मियों द्वारा किया जाना चाहिये और वे कुशलतापूर्वक कर भी रहे हैं। आउटसोर्सिंग के ज़रिये आम बेरोजगार नौजवानों से बहुत कम वेतन पर काम करवाया जाता है। हम चाहते हैं कि लोगों को स्थायी रोजगार दिया जाये।

म.ए.ल.: बैंकों की कौन-कौन सी यूनियनों और फेडरेशनों ने हड़ताल में भाग लिया है?

श्री हरविन्दर सिंह: यूनाईटेड बैंक फोरम यूनियन, जो आज हड़ताल पर है, उसके 9घटक हैं। जो बैंकिंग इंडस्ट्रीज में काम करने वाले सभी अधिकारियों और कर्मचारियों का प्रतिनिधत्व करती है। उसमें हैं – आल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफडरेशन,ऑल इंडिया बैंक एम्पलाईज एसोसिएशन, ऑल इंडिया नेशनल कनफडरेशन ऑफ बैंक एम्पलाईज, ऑल इंडिया बैंक अफिसर्स एसोसियेशनस, इंडियन नेशनल बैंक आफिसर्स कांग्रेस, इंडियन नेशनल बैंक एम्पलाईज फडरेशन, नेशनल आर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर।

म.ए.ल.: हम आपके संघर्ष का पूरा समर्थन करते हैं और आपकी जीत की कामना करते हैं।

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