भूमि उपलब्ध

मुंबई में मोटरमैन तथा यात्री संगठनों ने मिलकर एक सभा आयोजित की। इस तरह की सभा पहली बार आयोजित की गयी और मजदूर एकता लहर के संवाददाता को शामिल होने का मौका मिला। 28 जुलाई की यह सभा 5 घंटे से ज्यादा समय चली। हमारे संवाददाता ने यह रिपोर्ट पेश की।

मुंबई में मोटरमैन तथा यात्री संगठनों ने मिलकर एक सभा आयोजित की। इस तरह की सभा पहली बार आयोजित की गयी और मजदूर एकता लहर के संवाददाता को शामिल होने का मौका मिला। 28 जुलाई की यह सभा 5 घंटे से ज्यादा समय चली। हमारे संवाददाता ने यह रिपोर्ट पेश की।

रेलवे, एस.टी., हवाई सेवा आदि परिवहन सेवा, नगरपालिका, जिला परिषद या ग्राम पंचायत, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा सेवा, बिजली देनेवाली सेवा आदि से संबंधित कर्मचारी या श्रमिक जब-जब हड़ताल-संघर्ष करते हैं, तब-तब सरकारी संस्थायें संगठित तौर पर उन पर सब तरफा हमला करती हैं और जनता की नजरों में उन्हें बदनाम करती हैं। अस्पताल, रेलवे स्टेशन, स्कूल आदि जगहों पर आम आदमी को जो रोजमर्रा तकलीफ उठानी पड़ती है उसके बारे में जिस मुख्यधारा के प्रसार माध्यम कभी भी कुछ खास ध्यान नहीं देते, वे अचानक बहुत सक्रिय हो जाते हैं और अचानक आम आदमी के बारे में उनका प्यार जाग जाता है, और फिर जनता को गुमराह करने का दुष्प्रचार जोर-शोर से शुरू होता है। हड़ताली कर्मचारियों को बदनाम किया जाता है और आम आदमी की तकलीफों के लिए उनके संघर्ष को जिम्मेदार करार दिया जाता है। उन कर्मचारियों के खिलाफ़ जनता को भड़काने की भरपूर कोशिश की जाती है। परिवहन सेवा में जब कोई दुर्घटना होती है, तो बिना किसी खोजबीन किये कर्मचारियों को जिम्मेदार बताया जाता है। इसीलिए, सभी सेवाओं के उपभोक्ता तथा उस सेवा से संबंधित कर्मचारियों के बीच खुलकर विचारों का आदान-प्रदान अगर किया जाये तो उन्हें आपस बीच लड़ाने का सरकार का गन्दा मकसद असफल तो होगा ही, और साथ-साथ दोनों के हितों की रक्षा भी हो सकती है। इस दृष्टिकोण से, मोटरमैन संगठनों ने यात्री संगठनों के साथ खुलकर विचार-विमर्श करने की जो पहल की वह निश्चित ही सकारात्मक और सराहनीय है।

पश्चिम रेलवे मोटरमैन एसोसियेशन तथा मध्य रेलवे मोटरमैन एसोसियेशन के प्रतिनिधि श्री. पी.गुप्ता, श्री. देवेंद्र यादव, श्री. तलेकर, श्री. अमित शाहू, श्री. शैलेष म्हात्रे, श्री. निम्सुलकर तथा कॉमरेड रथ आदि ने सहभाग लिया। अलग-अलग यात्री संगठनों की ओर से श्री. मनोहर शेलार, श्री. गोडबोले, श्री. मधु कोटियन, श्री. कैलास वर्मा, श्री. शैलेंद्र कांबले, श्री. नंदकुमार देशमुख आदि ने सहभाग लिया। कई आम नागरिक भी सभा में शामिल हुए।

मोटरमैन के अलग-अलग प्रतिनिधियों ने समझाया कि सभी यात्री उनके ग्राहक हैं और मोटरमैन चाहते हैं कि उन्हें अच्छी से अच्छी सेवा प्रदान करें, मगर मोटरमैन की काम करने की हालतों की वजह से मोटरमैन ऐसा नहीं कर पाते। उन्होंने समझाया कि किस तरह मोटरमैन को साप्ताहिक छुट्टी भी नहीं मिलती, ठीक से विश्राम का समय भी नहीं मिलता और चूंकि सरकार रिक्त पदों पर मोटरमैन की भर्ती नहीं करती इसलिए मौजूदा मोटरमैन को ही ज्यादा घंटे काम करना पड़ता है। उन्होंने यह भी समझाया कि किस तरह मोटरमैन की जायज़ माँगों के बारे में चर्चा करना भी सरकार वर्षों तक टालती है और इस तरह हड़ताल करने के लिए मोटरमैन को बाध्य करती है। उन्होंने यह भी समझाया कि रेल के डिब्बे, इंजन, पटरियां, सिग्नल यंत्रों आदि का रखरखाव रेल व्यवस्थापन ठीक तरीके से नहीं करता और थके हुये मोटरमैन से तनावपूर्ण काम ज्यादा घंटे करवाता है, जिससे यात्रियों की सुरक्षा को खतरा है। कॉमरेड रथ ने बताया कि मोटरमैन को 1.25 लाख से ज्यादा वेतन हर महीने मिलता है यह सरकार का प्रचार पूरा झूठा है, जबकि हकीक़त तो यह है कि 15साल से ज्यादा नौकरी करने वाले मोटरमैन को 30 हजार से ज्यादा हर महीना हाथ में नहीं आता। पश्चिम तथा मध्य रेलवे मोटरमैन एसोसियेशन के संयुक्त कृति मंच के अध्यक्ष श्री. देवेन यादव ने समझाया कि एक सहायक मोटरमैन की माँग कितनी महत्वपूर्ण है जिससे यात्रियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।

करीब-करीब सभी यात्री संगठनों के प्रतिनिधियों ने बताया कि सभा में जो चर्चा हुई उससे उनकी आँखें खुल गयी हैं और भविष्य में वे मोटरमैन की सभी माँगों का समर्थन करेंगे। यात्री संगठनों के संयुक्त संघ के अध्यक्ष श्री. मधु कोटियन ने कहा कि यात्री तथा मोटरमैन के संगठनों को तालमेल से काम करना चाहिए और दोनों को मिलकर रेल प्रशासन को 1महीने की अवधि देनी चाहिए जिस दौरान सरकार मोटरमैन की सभी माँगों पर निर्णय लेगी अन्यथा यात्री और मोटरमैन दोनों मिलकर संघर्ष करेंगे।

अंत में यह निर्णय लिया गया कि भविष्य में मोटरमैन तथा यात्री संगठन तालमेल बनाकर समन्वय से काम करेंगे।

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