राष्ट्रीय ग्रमीण सम्मेलन 28 अगस्त, 2012 को, स्पीकर हाल कान्स्टीयूशन क्लब, नई दिल्ली में अखिल भारतीय किसान सभा और भारतीय खेत मजदूर यूनियन के तत्वाधान में संपन्न हुआ। इस अधिवेशन में मजदूर एकता लहर के संवाददाता ने शिरकत की। अधिवेशन में 16 राज्यों से आये सैकड़ों किसान नेताओं ने हिस्सा लिया।
राष्ट्रीय ग्रमीण सम्मेलन 28 अगस्त, 2012 को, स्पीकर हाल कान्स्टीयूशन क्लब, नई दिल्ली में अखिल भारतीय किसान सभा और भारतीय खेत मजदूर यूनियन के तत्वाधान में संपन्न हुआ। इस अधिवेशन में मजदूर एकता लहर के संवाददाता ने शिरकत की। अधिवेशन में 16 राज्यों से आये सैकड़ों किसान नेताओं ने हिस्सा लिया।
किसान नेताओं ने जन-विरोधी और किसान विरोधी नीतियों का पुरजोर विरोध किया और बताया कि आज किसान के लिये खेती घाटे का पेशा बन चुकी है। इसलिये ज्यादातर किसान खेती नहीं करना चाहते हैं। पिछले 20 सालों में लगभग 2 लाख 50 हजार किसानों ने आत्महत्या की है, यदि इसमें उनकी महिलाओं की संख्या मिला दी जाये तो यह संख्या और भी ज्यादा हो जायेगी। बिना खेती के विकास के देश का विकास मुमकिन नहीं है। पिछले 65 सालों से प्रधानमंत्री सिर्फ आश्वासन ही दे रहे हैं। सभी किसानों ने कृषि संकट, भूमि अधिग्रहण, भ्रष्टाचार, महंगाई आदि के खिलाफ़ और संप्रग सरकार की जन विरोधी नीतियों का खंडन करते हुये, सभी किसान यूनियन को आह्वान किया कि संप्रग सरकार के खिलाफ़ संघर्ष का बिगुल बजाना होगा।
अधिवेशन में प्रस्ताव पारित किये गये जिनमें से कुछ मांगें निम्नलिखित हैं:
* कृषि पैदावार का लाभकारी मूल्य दिया जाए * आम जनता के हित में औद्योगिक माल की कीमतों पर नियंत्रण किया जाए * भूमिहीनों को ज़मीन व मकान तथा खेत मजदूरों के लिये केन्द्रीय कानून बनाया जाये * सर्वव्यापक जन वितरण प्रणाली को लागू किया जाये * किसानों एवं खेत मजदूरों को 3000 रुपये मासिक वृद्धावस्था पेंशन दिया जाये आदि।
अधिवेशन में उपस्थित किसानों को देखकर लगता है कि देशभर में सरकार की नीतियों के खिलाफ़ किसानों का आक्रोश बढ़ रहा है। इतने साल का तर्जुबा दिखाता है कि पूंजीवादी पार्टियां किसानों को गुमराह करके व बांटकर इस व्यवस्था को बरकरार रखना चाहती हैं। वक्त की मांग है कि किसान अपना मोर्चा बनाकर मजदूरों के साथ मिलकर अपनी हुकूमत के लिये लड़ें।