गुड़गांव के मजदूरों की विशाल रैली :

मजदूरों और उनके अधिकारों पर हरियाणा सरकार के हमलों की निंदा करें!

19 अगस्त, 2012 को गुड़गांव औद्योगिक क्षेत्र के हजारों मजदूरों ने शहर की सड़कों पर जुझारू विरोध प्रदर्शन किया। दोपहर 3बजे जब शिफ्ट खत्म हुई तब मजदूर अपनी

मजदूरों और उनके अधिकारों पर हरियाणा सरकार के हमलों की निंदा करें!

19 अगस्त, 2012 को गुड़गांव औद्योगिक क्षेत्र के हजारों मजदूरों ने शहर की सड़कों पर जुझारू विरोध प्रदर्शन किया। दोपहर 3बजे जब शिफ्ट खत्म हुई तब मजदूर अपनी-अपनी फैक्ट्रियों से निकलकर गौशाला मैदान को चल पड़े। वहां से, मजदूरों की मांगों को घोषित करते हुये सैकड़ों लाल झंडों के साथ उन्होंने गुड़गांव की सड़कों पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के अंत में लघु सचिवालय पर एक रैली हुई, जिसे मजदूरों के नेताओं ने संबोधित किया। हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी और मजदूर एकता कमेटी के कार्यकर्ताओं ने इस प्रदर्शन और रैली में जोश के साथ भाग लिया। रैली के अंत में मजदूरों ने गुड़गांव-मानेसर क्षेत्र के मजदूरों की समस्याओं और अपनी मांगों पर प्रकाश डालते हुये एक ज्ञापन हरियाणा के मुख्यमंत्री, भूपेन्दर सिंह हुड्डा को सौंपा।

गुड़गांव के ट्रेड यूनियनों की संयुक्त समन्वय समिति के झंडे तले यह प्रदर्शन और रैली आयोजित की गई थी। गुड़गांव के मारुति सुजुकी प्लांट और सुजुकी पावर ट्रेन के मजदूरों ने रैली की अगुवाई की और मानेसर में स्थित मारुति सुजुकी प्लांट के अपने मजदूर भाईयों, जिन्हें हरियाणा सरकार के खूंखार और अप्रत्याशित हमले का सामना करना पड़ रहा है, उनके साथ अपना भाईचारा दिखाया। 17 अगस्त, 2012 तक की सूचना के अनुसार, मानेसर प्लांट के 154 मजदूर झूठे आरोपों के आधार पर जेल में बंद हैं और अनेक मजदूर नेताओं व मजदूरों को 18 जुलाई, 2012 के कांड की जांच करने के लिये हरियाणा सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल के वहशी अत्याचार का शिकार बनाया गया है। विदित है कि उस कांड में प्लांट के एक एच.आर. प्रबंधक की मौत हुई थी। उस समय से प्लांट में तालाबंदी है और प्लांट के 3400 मजदूर तथा लगभग 700 प्रबंधक कर्मचारी अपने वेतनों से वंचित हैं।

मजदूरों ने मारुति सुजुकी के पूंजीवादी मालिकों की घोषणा की निंदा की, जिसके अनुसार मालिकों ने कहा है कि वे 18 जुलाई, 2012 के ”कांड में शामिल“ कम से कम 500 स्थाई मजदूरों को फौरन निकाल देंगे। मजदूरों ने उस घोषणा की भी निंदा की, कि और भी स्थाई मजदूरों को निकाला जायेगा और मैनेजमेंट सिर्फ कुछ प्रशिक्षु, अप्रेंटिस और कैजुअल मजदूरों को ही वापस काम पर बुलायेगी। मजदूरों ने मांग की कि सभी मजदूरों को बिना कोई शर्त वापस लिया जाना चाहिये। उन्होंने मांग की कि हरियाणा सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल को फौरन रद्द किया जाये और मानेसर प्लांट में 18 जुलाई, 2012 को हुये कांड की जांच को सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश अनुसार एक उच्चस्तरीय, निष्पक्ष जांच दल द्वारा करवाया जाये। मजदूरों ने यह बताया कि उस कांड की जो प्रथम जांच रिपोर्ट दर्ज की गई है, उसमें 55 मजदूरों के नाम तथा 600 और लोगों का जिक्र है, जिसके द्वारा मारुति सुजुकी के सभी मजदूरों के बीच में खूब आतंक फैलाया जा रहा है।

मजदूरों ने गुड़गांव के उद्योग विहार में ईस्टर्न मेडिकैट में अवैध तालाबंदी को खत्म करने की मांग भी रखी। मजदूरों ने बताया कि इससे पहले कई बार उन्होंने मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर उस क्षेत्र के मजदूरों की मांगें उठायी हैं। मजदूरों ने अपनी समस्याओं के विषय पर मुख्यमंत्री के साथ ट्रेड यूनियनों की सभा की गुजारिश की थी परन्तु इसे नजरअंदाज किया गया है।

रैली को संबोधित करते हुये, मजदूर नेताओं ने बताया कि गुड़गांव मानेसर क्षेत्र में जो कुछ हो रहा है, वह उदारीकरण और निजीकरण के ज़रिये भूमंडलीकरण के रास्ते को अपनाने का अंजाम है। सरकार, श्रम विभाग और पुलिस पूंजीवादी मालिकों का काम करने के लिये दिन-रात काम कर रहे हैं। सभी श्रम कानूनों का खुलेआम हनन हो रहा है। मजदूरों को असहनीय शोषण का सामना करना पड़ रहा है। मजदूरों ने ऐलान किया कि उस क्षेत्र के नौजवान और शिक्षित मजदूर इन हालतों को अब ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं करने वाले हैं। यह प्रदर्शन और रैली गुड़गांव के लोगों, सरकार और पूंजीपतियों को एक संदेश है कि हम मजदूर एकजुट हों और अपने अधिकारों के लिये संघर्ष करेंगे। वक्ताओं ने ऐलान किया कि अगर मजदूरों की मांगें नहीं पूरी की गईं, तो वे लाखों की तादाद में गुड़गांव की सड़कों पर निकल आयेंगे और पूरे क्षेत्र के कामकाज़ को ठप्प कर देंगे। इस प्रदर्शन और रैली में भाग लेने वाले यूनियन इस प्रकार थे: मारुति उद्योग कामगार यूनियन, गुड़गांव रिको वर्कस यूनियन धारूहेड़ा, सुजुकी पावर ट्रेड मजदूर यूनियन (मानेसर), सुजुकी मोटर साइकिल वर्कस यूनियन, हीरो मोटर धारूहेड़ा, ईस्टर्न मैडिकैट (उद्योग विहार), होण्डा स्कूटर, सत्यम आटो (मानेसर), रिको (गुड़गांव), सोनार कोयो स्टीयरिंग, इत्यादि। एटक, सीटू, ए.आई.यू.टी.यू.सी और एच.एम.एस. समेत सभी केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के जिला व राज्य संगठनों की भी रैली में सक्रिय भूमिका थी।

सरकार को दिये गये ज्ञापन में मजदूरों ने निम्नलिखित मुख्य मांगें रखीं।

  1. मारुति सुजुकी के 500 मजदूरों को बिना चार्जशीट दिये या इंक्वायरी किये निकाल देना, यह अवैध है, अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है। उन सभी 500 मजदूरों को फौरन वापस लेना चाहिये।
  2. 18 जुलाई, 2012 के कांड की जांच सर्वोच्च न्यायालय के किसी जज द्वारा की जाये ताकि उन घटनाओं और उनके पीछे के कारणों का खुलासा किया जाये, ताकि आगे ऐसी घटनाएं न हों। बेकसूर मजदूरों को प्रताडि़त करना फौरन रोका जाये और सभी गिरफ्तार मजदूरों को फौरन रिहा किया जाये।
  3. मानेसर प्लांट के सभी मजदूरों को बिना किसी शर्त, काम पर वापस लिया जाना चाहिये।
  4. ईस्टर्न मेडीकैट की अवैध तालाबंदी को खत्म करना चाहिये और सभी मजदूरों को काम पर वापस लेना चाहिये। मजदूरों की काफी अरसे से चली आ रही मांगों पर फौरन बातचीत शुरू करनी चाहिये।
  5. मजदूरों की मांगों को लेकर हरियाणा सरकार और हरियाणा के ट्रेड यूनियनों के बीच फौरन बातचीत शुरू की जाये। इन मांगों में शामिल हैं श्रम कानूनों को लागू करना, न्यूनतम वेतन को 15,000 रु. पर तय करना, ट्रेड यूनियन अधिकारों की रक्षा, ट्रेड यूनियनों का समयबद्ध पंजीकरण, ठेका मजदूरी को खत्म करना, नियमित वेतन सहित नियमित काम सुनिश्चित करना, समान काम के लिये समान वेतन, ई.एस.आई., प्राविडेंट फंड और रोज़गार सूची में मजदूरों का पंजीकरण सुनिश्चित करना और मजदूरों के लिये आवास दिलाना।
  6. श्रम कानूनों को सुधारने की सख्त जरूरत है। सरकार को फौरन ट्रेड यूनियनों से मिलना चाहिये, ताकि मजदूरों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिये श्रम कानूनों को सुधारा जाये, क्योंकि औद्योगिक शान्ति के लिये यह आवश्यक शर्त है। फौरी तौर पर, श्रम विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि जब भी कभी प्रबंधन और मजदूरों के बीच कोई विवाद हो, तब मजदूरों को एकतरफा रूप से निलंबित न किया जाये और कोई भी कार्यवाही करने से पहले यूनियन और श्रम विभाग के बीच चर्चा की जाये।

मानेसर प्लांट के मजदूरों के खूंखार दमन की वर्तमान हालतों में, मारुति सुजुकी मानेसर प्लांट के मजदूरों के साथ भाईचारा प्रदर्शित करते हुये, गुड़गांव के मजदूरों के इस प्रदर्शन और रैली को मजदूर एकता लहर बहुत महत्वपूर्ण कदम मानती है। इस कार्यक्रम से मानेसर प्लांट के संघर्षरत मजदूरों को यह अहसास हुआ कि वे अकेले नहीं हैं, कि गुड़गांव-मानेसर का संपूर्ण मजदूर वर्ग उनके साथ है। मानेसर प्लांट के मजदूरों के खिलाफ़, मीडिया के ज़रिये, राज्य द्वारा चलाये जा रहे झूठे प्रचारों के अभियान का भी इससे खंडन हुआ। जब मजदूर अपने झंडों और भाईचारे के ज़ोरदार नारों के साथ सड़कों पर उतरे, तो गुड़गांव के लोगों ने फिर अपनी आंखों से एकजुट मजदूर आन्दोलन की ताकत देखी। उन्होंने देखा कि मजदूर दमन और झूठे प्रचार के अभियान से दबने वाले नहीं हैं।

आने वाले समय में, जैसे-जैसे हिन्दोस्तानी और विदेशी इजारेदार कंपनियां अपने मुनाफों को बढ़ाने के लिये, केन्द्र सरकार की सहायता के साथ, मजदूरों के अधिकारों पर हमला करने के अपने मजदूर-वर्ग विरोधी अभियान को और तेज़ करेंगे, वैसे-वैसे वर्ग संघर्ष और तीक्ष्ण होगा। पार्टी और ट्रेन यूनियन के आधार पर विभाजन को एक तरफ करके, सभी ट्रेन यूनियनों की समन्वय समिति बनाने की गुड़गांव के ट्रेड यूनियनों की इस कोशिश की मजदूर एकता लहर सराहना करती है। हमें मजदूरों के संगठनों को बनाना और मजबूत करना होगा, ताकि मजदूर यह चर्चा करने में सक्षम हों कि आज उन पर हो रहे हमलों का मुकाबला कैसे किया जाये तथा निजीकरण और उदारीकरण के ज़रिये भूमंडलीकरण के पूंजीवादी कार्यक्रम को रोककर इसका विकल्प सुनिश्चित करने के लिये आगे के दिनों में क्या करना होगा।

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