छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिये मणीपुर के स्कूल अध्यापकों का आंदोलन जारी है।
स्कूल अध्यापक, काउंसिल ऑफ टीचर्स एसोसियेशन (कोटा) के झंडे तले आंदोलन कर रहे हैं। 23 ज
छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिये मणीपुर के स्कूल अध्यापकों का आंदोलन जारी है।
स्कूल अध्यापक, काउंसिल ऑफ टीचर्स एसोसियेशन (कोटा) के झंडे तले आंदोलन कर रहे हैं। 23 जनवरी, 2011 को पुलिस ने 5 महिला अध्यापकों सहित, 16 अध्यापकों को हिरासत में लिया जो आमरण भूख हड़ताल पर बैठे थे। कोटा द्वारा निकाली गयी एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि महिला अध्यापकों को इम्फाल केन्द्रीय कारावास में रखा गया है जबकि पुरुष अध्यापकों को सजीवा केन्द्रीय कारावास में रखा गया है। इससे 19 जनवरी से शुरू किये गये आमरण भूख हड़ताल आंदोलन के तहत हिरासत में लिये गये अध्यापकों की कुल संख्या 29 हो गयी है। भूख हड़ताल कैशमपट मोधू कन्या विद्यालय के सामने किया जा रहा है।
कोटा के सह-संचालक, एम. जोयकुमार ने कहा कि केन्द्रीय छठे वेतन आयोग की सिफारिशों का पूरी तरह लागू होना अध्यापकों का अधिकार है। सरकार द्वारा इसको लागू करने की जगह, हड़ताल पर उतरने वाले अध्यापकों को गिरफ्तार करने का उन्होंने धिक्कार किया। आमरण भूख हड़ताल करने का निश्चय तभी किया गया था जब राज्य सरकार इन मांगों को लगातार नजरअंदाज करती रही।
उन्होंने कहा कि अध्यापकों के जनगणना डयूटी न करने के निर्णय को नहीं बदला जायेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सेनापति, तामेंगलोंग और उख्रुल जिलों के अध्यापकों द्वारा कोटा के आंदोलन को समर्थन देने के लिये पुलिस धमकियां दे रही है। उख्रुल जिले के अध्यापक संगठन के सचिव, जिम्मिक तांगखुल को पुलिस कर्मियों द्वारा बेरहमी से पीटा गया और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा।
कोटा ने दो साल पहले 19 जनवरी, 2009 से, छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को पूरी तरह लागू करने के लिये, आंदोलन चलाया है। राज्य सरकार के खिलाफ़ धरना 18 मार्च, 2010 को शुरू किया गया जब सरकार ने अध्यापकों द्वारा बार-बार भेजे गये ज्ञापनों पर कोई कार्यवाही नहीं की। बहादुरी से विरोध आंदोलन के बाद, जिसमें अनेक अध्यापकों को हिरासत में लिया गया, सरकार ने एक समझौते ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को पूरी तरह लागू किया जायेगा। मुख्यमंत्री इबोबी सिंह ने खुद इस समझौते ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये थे।
परन्तु, हस्ताक्षर करने के आठ माह बाद भी राज्य सरकार ने समझौता ज्ञापन को लागू नहीं किया। 4 जनवरी तक अध्यापकों के लिये छठे वेतन आयोग के वेतन ढांचे को लागू करने के आश्वासन में मुख्यमंत्री नाकामयाब रहे हैं। इस परिप्रेक्ष में ही मणीपुर के स्कूल अध्यापकों को आमरण आंदोलन शुरू करना पड़ा है।