बांग्लादेश के दसों-हजारों वस्त्र मज़दूरों द्वारा वेतन में बढ़ोतरी के लिये दिसम्बर में हुये संघर्ष के बारे में हम मज़दूर एकता लहर में पहले भी लिख चुके हैं।
मज़दूरों के इन प्रदर्शनों के बादबांग्लादेश के दसों-हजारों वस्त्र मज़दूरों द्वारा वेतन में बढ़ोतरी के लिये दिसम्बर में हुये संघर्ष के बारे में हम मज़दूर एकता लहर में पहले भी लिख चुके हैं।
मज़दूरों के इन प्रदर्शनों के बाद, बांग्लादेश के पूंजीपति और सरकार ट्रेड यूनियनों के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने में बहुत सक्रिय हो गये हैं। खबरों के अनुसार ट्रेड यूनियन नेता मुश्रैफा मीशू को बंदी बनाने में बांग्लादेश की सैन्य खुफिया एजेंसी का हाथ था। मुश्रैफा एक राजनीतिक कार्यकर्ता और गारमेंट वर्कर्स यूनिटी फोरम (जी.डब्ल्यू.यू.एफ.) की अध्यक्षा हैं। उन्हें ढाका मेडिकल अस्पताल में सशस्त्र बलों की निगरानी में रखा है।
खबरों के अनुसार, मुश्रैफा को पहले सैल फोन पर जुलाई 2010 में धमकी दी गयी थी कि अगर वह वस्त्र मज़दूरों को संगठित करना और उनके वेतन में वृध्दि के लिये लड़ना नहीं छोड़ती तो उसे ”क्रॉस फायर” में उड़ा दिया जायेगा। 14 दिसम्बर के दिन सशस्त्र बलों ने उन्हें अपने घर से बिना किसी वारंट के बंदी बना लिया। तब से, एक महीने से भी अधिक समय से, उन्हें एक नहीं तो दूसरे तरीके से नजरबंद रखा गया है। उनके परिजनों का भी उत्पीड़न किया जा रहा है और यह डर है कि उन्हें मार डाला जायेगा।
मज़दूर एकता लहर, मुश्रैफा और बांग्लादेश के मज़दूरों को संगठित करने और उनके अधिकारों के लिये संघर्ष करने वाले, अन्य लोगों पर किये जा रहे अत्याचार की कड़ी निंदा करती है।