25 जुलाई, 2012 को राजस्थान के लाखों कर्मचारियों ने निजीकरण, उदारीकरण व भूमंडलीकरण की आर्थिक नीतियों व 11 सूत्री मांगों को लेकर, अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी समन्वय समिति की अगुवाई में, 33 जिला मुख्यालयों पर जोरदार प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिये। प
25 जुलाई, 2012 को राजस्थान के लाखों कर्मचारियों ने निजीकरण, उदारीकरण व भूमंडलीकरण की आर्थिक नीतियों व 11 सूत्री मांगों को लेकर, अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी समन्वय समिति की अगुवाई में, 33 जिला मुख्यालयों पर जोरदार प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिये। प्राप्त खबरों के मुताबिक, सभी जिलों में कर्मचारियों ने गुस्से के साथ राजस्थान सरकार की कर्मचारी-विरोधी नीतियों का विरोध किया।
विदित रहे कि राज्य सरकार के अंतर्गत आने वाले सभी विभागों के कर्मचारियों व उनकी यूनियनों व संगठनों ने सरकार के निजीकरण, उदारीकरण व भूमंडलीकरण की आर्थिक नीतियों व मजदूर-विरोधी नीतियों के खिलाफ़ टक्कर लेने के लिए खुद को अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी समन्वय समिति में संगठित किया है। यह एक सकारात्मक और सराहनीय कदम है।
उपरोक्त नीतियों के चलते, अलग-अलग विभागों में ठेकाकरण बड़ी तेजी से बढ़ा है। शायद ही ऐसा कोई विभाग हो, जो ठेकाकरण से अछूता हो। विभिन्न विभाग जैसे – शिक्षा, बागवानी, वन, कृषि, श्रम, परिवहन यातायात, ग्रामीण विकास इत्यादि में बहुत ही कम वेतन पर, ठेका मजदूरों (संविदा, निविदा, शिक्षामित्र) से ज्यादा से ज्यादा काम लिया जा रहा है। उनके रोजगार की कोई गारंटी नहीं है। दूसरी ओर, स्थाई कर्मचारियों के साथ सरकार भेदभाव कर रही है। जबकि लाखों पद रिक्त हैं।
बीते 11 जुलाई, 2012 को उपरोक्त नीतियों के खिलाफ़ अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी समन्वय समिति के नेतृत्व में जयपुर के स्टेच्यू सर्किल स्थित उद्योग मैदान में अपनी मांगों को लेकर 20,000 से ज्यादा कर्मचारियों ने धरना देकर विशाल प्रदर्शन किया। राजस्थान शिक्षक संघ (प्रगतिशील) के पूर्व अध्यक्ष व लोक राज संगठन के सर्व हिन्द उपाध्यक्ष श्री हनुमान प्रसाद शर्मा की अध्यक्षता में यह धरना चला। इस प्रदेश स्तरीय धरने में 33 प्रमुख संगठनों से हजारों की संख्या में संविदा, आंगनवाड़ी, साथिन, नरेगा, निविदा कर्मी, विद्यार्थी मित्र तथा अन्य कर्मचारी शामिल हुए।
25 जुलाई, 2012 को हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर चल रहे धरने को संबोधित करते हुए, वरिष्ठ नेता हनुमान प्रसाद शर्मा ने कहा कि यदि सरकार ने हमारी मांगों पर गौर नहीं किया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने संसद के मानसून सत्र में पेश होने वाले, पेंशन निधि फंड रेगुलेटरी डवलेपमेंट अथॉरिटी (टी.एफ.आर.डी.ए.) बिल का विरोध करते हुए मांग की कि छठे वेतन आयोग के अंतर्गत 1 जनवरी, 2006 से केन्द्रीय कर्मचारियों के समान राज्य कर्मचारियों को भी सभी सुविधाएं दी जायें।
उन्होंने कहा कि संघर्ष की अगली कड़ी में, 9 अगस्त, 2012 को क्रांति दिवस के रूप में राजस्थान के सभी तहसील मुख्यालयों पर राज्यभर में प्रदर्शन करके ज्ञापन दिये जायेंगे।
धरने को संबोधित करने वालों में थे – समन्वय समिति के प्रदेश संयोजक ओमप्रकाश शर्मा, जिला समन्वयक जयदेव जोशी, परिचारक संघ के प्रदेश महामंत्री पवन पारीक, राजस्थान कृषि पर्यवेक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमर सिंह सहारण, पटवार संघ के प्रदेश महामंत्री सुदर्शन कुमार, राजस्व कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष बृजमोहन वर्मा, शिक्षक संघ (शेखावत) के जिलाध्यक्ष हर लाल ढाका, शिक्षक संघ (प्रगतिशील) के जिलाध्यक्ष भूराराम सहारण, पटवार संघ के जिलाध्यक्ष पतराम भांभू, मंत्रालयिक कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष रमेश रहेजा, नर्सेज़ एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष गुगनराम सहारण आदि।
मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन में मुख्य मांगें इस प्रकार हैं :
- छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर किया जाये।
- छठे वेतन आयोग के लागू होने के बाद 9, 18, 27 वर्ष पर चयनित वेतनमान में तत्काल उच्च पे-ग्रेड के बजाय पूर्व की भांति आगामी पदोन्नति पद की पे-ग्रेड दी जाये। शिक्षकों को 1998 से अन्य राज्य कर्मचारियों के समरूप चयनित वेतनमान दिया जाए।
- जनवरी 2006 से लागू नये भर्ती नियम को निरस्त कर पूर्व सेवा नियमों के अनुसार भर्ती की जाए और नियुक्ति तिथि से नियमित वेतन श्रृंखला दी जाए।
- जिन संवर्गों (केटेगिरी)/पदों की शैक्षणिक योग्यता सेकेण्डरी से हायर सेकेण्डरी/सी. हायर सैकेण्डरी है उनके पे-ग्रेड बढ़ाये जायें।
- ठेका/संविदा भर्ती तत्काल बंद की जाये। पूर्व में नियुक्त किए गए कर्मचारियों को राजकीय सेवा में योग्यतानुसार समायोजित किया जाए।
- स्थानांतरण की नीति बनाई जाए तथा राजनीति से प्रेरित स्थानान्तरणों पर रोक लगाई जाए।
- आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, साथिन तथा सहयोगिनी को स्थाई किया जाए और इनको राजकीय कर्मचारी घोषित किया जाए।
- छंटनी, पदों की समाप्ति तथा निजीकरण बंद किए जाएं। ट्रेड यूनियन का पंजीकरण 45 दिन में सुनिश्चित किया जाये। न्यूनतम वेतन 10,000 रुपये से कम किसी का न हो।
- मकान ऋण, वाहन ऋण, अनाज अग्रिम तथा त्यौहार अग्रिम की सुविधाएं पुन: प्रारंभ की जाए।
- पंचायत राज्य के कर्मियों सहित समस्त कर्मियों को समय पर वेतन एवं भत्तों का भुगतान किया जाये।
- राज्य कर्मचारियों की पदोन्नति हेतु विभागीय पदोन्नति समितियों की नियमित बैठकें करके पदोन्नति दी जाए।