मुंबई के पश्चिम रेलवे के मोटरमैन अपनी न्यायसंगत मांगों को पाने में सफल!

वैस्टर्न रेलवे मोटरमैन्स एसोसियेशन (डब्ल्यू.आर.एम.ए.) के नेतृत्व में 20 जुलाई, 2012 को 450 से भी अधिक मोटरमैन (रेलचालक) दोपहर 3:30 बजे सार्वजनिक रोग-अवकाश पर चले गये। इस विरोध की कार्यवाई से इस क्षेत्र का पूरा रेल यातायात ठप्प हो गया और आधा मुंबई रुक गया। हड़ताल 7:30 बजे वापस ली गयी जब अधिकारियों ने रेलचालकों की मुख्य मांगें मानी। पश्चिम रेलवे में 34 लाख लोग हर दिन आते-जाते हैं। यह रेल सेवा श

वैस्टर्न रेलवे मोटरमैन्स एसोसियेशन (डब्ल्यू.आर.एम.ए.) के नेतृत्व में 20 जुलाई, 2012 को 450 से भी अधिक मोटरमैन (रेलचालक) दोपहर 3:30 बजे सार्वजनिक रोग-अवकाश पर चले गये। इस विरोध की कार्यवाई से इस क्षेत्र का पूरा रेल यातायात ठप्प हो गया और आधा मुंबई रुक गया। हड़ताल 7:30 बजे वापस ली गयी जब अधिकारियों ने रेलचालकों की मुख्य मांगें मानी। पश्चिम रेलवे में 34 लाख लोग हर दिन आते-जाते हैं। यह रेल सेवा शहर के दक्षिणी सिरे, चर्चगेट और शहर के उत्तरी किनारे, विरार के बीच चलती है।

पश्चिमी रेलवे के रेलचालकों को ऐसी प्रबल कार्यवाई करने के लिये मजबूर होना पड़ा क्योंकि उनकी शिकायतों और बार-बार दिये बयानों के प्रति रेलवे अधिकारी उदासीन और हठी थे। रेलचालक मुंबई में लाखों यात्रियों को हफ्ते के सातों दिन लाते-ले जाते हैं। उनकी कामकाज में उनके लिये तनाव की स्थिति होती है जिससे लाखों लोगों की सुरक्षा को ख़तरा पैदा होता है। उनकी छोटी सी गलती के लिये भी उन्हें बड़ी सज़ा दी जाती है। उनके लिये एक सहायक रेलचालक भी नहीं होता जो उन्हें रास्ते के सिग्नलों को देखने में उनकी मदद करे।

उनकी वेदना को और दु:खद बनाने के लिये रेलवे अधिकारियों ने हाल में रेलचालकों में से पदोन्नति करके प्रशिक्षण अफसर/पर्यवेक्षक के ''चयन प्रणाली'' के नतीजे की घोषणा की। ये प्रशिक्षण अफसर/पर्यवेक्षक रेलचालकों के प्रशिक्षण तथा उनके पर्यवेक्षण के लिये जिम्मेदार होंगे। रेलचालकों के लिये गुस्से की बात यह है कि अधिकारियों ने उन रेलचालकों की पदोन्नति की जिन्होंने पिछले आंदोलन में अधिकारियों का साथ दिया था! पिछले वर्ष ही, अधिकारियों ने इसी तरह की अन्यायी पदोन्नति चाल चलने की कोशिश की थी, परन्तु रेलचालकों के नियमानुसार काम करने के आंदोलन के चलते, जिसकी वजह से रेलगाड़ियां अत्यंत देरी से चल रही थीं, उन्हें इन पदोन्नतियों को वापस लेना पड़ा था।

डब्ल्यू.आर.एम.ए. के नेतृत्व में रेलचालकों ने प्राधिकारियों को कई पत्र लिखे थे जिनमें इस पदोन्नति प्रणाली का विरोध किया गया था। परन्तु प्राधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया और इसकी जगह उत्तेजनात्मक तरीके से ताना दिया कि ''तुम हड़ताल पर क्यों नहीं चले जाते हो?'' अपना और अपनी यूनियन का लगातार अपमान न सह पाने पर, पश्चिम रेलवे के मेहनती रेलचालकों को आखिर सार्वजनिक रोग अवकाश लेने का कदम उठाना ही पड़ा।

रेलचालकों की एकताबध्द कार्यवाई के सामने प्राधिकारियों को डब्ल्यू.आर.एम.ए. के नेताओं के साथ उनकी मांगों के समाधान के लिये बैठना पड़ा।

रेलचालकों की मुख्य मांगें निम्नलिखित हैं :

  1. मौजूदा मंडलीय विद्युत इंजीनियर (डी.ई.ई.), जो रेलचालकों का शासक अफसर होता है और जिसके सीधे आदेशों से रेलचालकों पर अत्याचार होता है, उसका तात्कालिक तबादला या निलम्बन।
  2. ''प्रशिक्षण अफसर/पर्यवेक्षक'' के ''चयन'' परिणाम को वापस लिया जाये, जिससे रेलचालकों पर अत्याचार होता है और जिससे उन्हें निरुत्साहित किया जा रहा है।
  3. रेलगाड़ियों को समय पर चलाने के नाम पर हो रहे सुरक्षा नियमों के उल्लंघन को बंद किया जाये और ऐसे नये नियम न लाये जायें जो मौजूदा नियमों के उल्लंघन में हैं।
  4. नियमित साप्ताहिक अवकाश दिन मिले
  5. रेलचालकों के लिये सहायक रेलचालक हो

प्राधिकारियों ने इनमें से पहली तीन मांगों को स्वीकार किया है और अन्य मांगों को रेलवे परिषद को सुपुर्द करने का आश्वासन दिया है।

डब्ल्यू.आर.एम.ए. के नेतृत्व में पश्चिम रेलवे के रेलचालकों के अधिकारों के जायज संघर्ष का मज़दूर एकता लहर पूरी तरह समर्थन करता है।

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