देशभर में मज़दूरों और किसानों के जोरदार विरोध प्रदर्शन

9 अगस्त को देश के किसानों ने ‘अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति’ की अगुवाई में, कारपोरेट भगाओ-किसानी बचाओ’ का नारा लगाते हुए अपने-अपने राज्यों के जिलों, तहसीलों और पंचायतों पर जमकर प्रदर्शन किया। साथ ही साथ, देश बचाओ’ के नारे के तहत, केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों की अगुवाई में लाखो-लाखो मज़दूर सड़कों पर उतरे। देश के कई हिस्सों में मज़दूरों और किसानों के संगठनों ने कंधे से कंधा मिलाकर संयुक्त रूप से सभाएं, रैलियां और प्रदर्शन आयोजित किए।

जंतर-मंतर, नई दिल्ली
चैन्नई में कंटेनर डिपो के कर्मचारी

पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, गुजरात, आंध्रप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, ओड़िशा सहित पूर्वोत्तर राज्यों में मज़दूरों और किसानों ने सरकार की राष्ट्र-विरोधी, मज़दूर-विरोधी, किसान-विरोधी नीतियों का जमकर विरोध किया।

इन प्रदर्शनों में किसान और अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों के मज़दूर भी शामिल हुए। किसानों ने ‘कृषि क्षेत्र से कारपोरेट घरानों को बाहर करो’ का नारा लगाया तो रेलकर्मियों ने ‘रेल बचाओ’ का नारा दिया और कोयला मज़दूरों ने ‘कोल बचाओ’ का नारा दिया।

बठिंडा, पंजाब
मोगा, पंजाब
राजधानी दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर एक ज़ोरदार प्रदर्शन

सीटू, एटक, मज़दूर एकता कमेटी, हिन्द मज़दूर सभा, ए.आई.सी.सी.टी.यू., यू.टी.यू.सी., ए.आई.यू.टी.यू.सी., इंटक, एल.पी.एफ., और आई.सी.टी.यू. की अगुवाई में आयोजित इस प्रदर्शन में सैकड़ों मज़दूरों ने पूरे जोश के साथ भाग लिया। प्रदर्शनकारियों के हाथों में प्लाकार्ड थे जिन पर लिखा था – ‘खेती के बाज़ारीकरण और निजीकरण वाले अध्यादेशों को रद्द करो!’, ‘किसानों के उत्पादों के सही दाम सुनिश्चित करो!’, ‘कोयला खदानों को निजी पूंजीपतियों को बेचना बंद करो!’, ‘हमारी आवाज़ को मास्क में नहीं दबाया जा सकता है!’, ‘कोविड-19 की आड़ में लोगों के अधिकारों पर हमले बंद करो!’, ‘सभी मज़दूरों को न्यूनतम मज़दूरी के दायरे में लेकर आओ!’, ‘मालिकों के पक्ष में श्रम कानूनों में बदलाव नहीं चलेगा!’, ‘पूंजीपति वर्ग समाज को चलाने के क़ाबिल नहीं है!’, आदि।

मज़दूर संगठनों के प्रतिनिधियों – एटक से अमरजीत कौर, सीटू से तपन सेन, हिन्द मजदूर सभा से हरभजन सिंह सिद्धू, मज़दूर एकता कमेटी से संतोष कुमार, ए.आई.यू.टी.यू.सी. से आर.के. शर्मा, इंटक से अशोक सिंह, यू.टी.यू.सी. से शत्रुजीत सिंह, और एल.पी.एफ. से जवाहर सिंह – के साथ-साथ, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के प्रतिनिधि ने भी सभा को संबोधित किया। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने आयुध फैक्ट्रियों सहित रक्षा, रेलवे, बीमा, दूरसंचार, डाक, कोयला, एयर इंडिया और 151 ट्रेनों को निजी क्षेत्र को सौंपे जाने की कड़ी निंदा की। उन्होंने इन क्षेत्रों में निजीकरण को फौरन रोकने और वापस लेने की मांग उठाई। किसानों की मांगों – किसान को कर्ज़ मुक्त किए जाने, फसल का डेढ़ गुणा दाम दिए जाने, डीजल के दाम आधे किए जाने, विद्युत संशोधन विधेयक-2020 को रद्द किए जाने और मनरेगा के तहत काम की गारंटी को बढ़ाकर 200 दिन तक किया जाना, आदि पर भी वक्ताओं ने जोर दिया।

जगदलपुर, छत्तीसगढ़
चेन्नई के पैराम्बूर में कैरिज कर्मचारी
बिट्टाडुंगा, कर्नाटक में किसान यूनियन – के.आर.आर.एस
सोनीपत, हरियाणा
होशियारपुर, पंजाब
जंतर-मंतर, नई दिल्ली
फजिल्का, पंजाब
महाराष्ट्र मुबई में रेलकर्मी
गुरदासपुर, पंजाब
राजस्थान के कोटा में रेलकर्मी
सादुलपुर, राजस्थान
तामिलनाडू के करूर जिला में
रेल चालक, पानीपत, हरियाणा
रेल चालक, रांची, झारखंड
हरियाणा में गांव, चौपालों, पंचायतों पर प्रदर्शन करते हुये किसान

 

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