22 जून को नाटो सदस्य देश तुर्की का एक विमान, बिना किसी चेतावनी के, सीरिया के हवाई क्षेत्र में घुस गया। सीरिया को पिछले कई महीनों से कई मोर्चों पर साम्राज्यवादी हमलों का सामना करना पड़ रहा है। उसके हवाई क्षेत्र में अकारण दखलंदाजी के जवाब में सीरियाई सरकार ने अज्ञात हवाई जहाज को मार गिराया। ऐसा करना उसके लिये पूरी तरह अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुकूल था।
22 जून को नाटो सदस्य देश तुर्की का एक विमान, बिना किसी चेतावनी के, सीरिया के हवाई क्षेत्र में घुस गया। सीरिया को पिछले कई महीनों से कई मोर्चों पर साम्राज्यवादी हमलों का सामना करना पड़ रहा है। उसके हवाई क्षेत्र में अकारण दखलंदाजी के जवाब में सीरियाई सरकार ने अज्ञात हवाई जहाज को मार गिराया। ऐसा करना उसके लिये पूरी तरह अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुकूल था।
तुर्की के विमान के गिराने का इस्तेमाल अब अमरीकी साम्राज्यवादी व नाटो, सीरिया के खिलाफ़ युध्दखोरी को और तेज़ करने के लिये कर रहे हैं। तुर्की ने सीरिया के खिलाफ़ कार्यवाई के बारे में फैसला करने के लिये नाटो की आपात्कालीन सभा बुलाई है। नाटो के संविधान की पांचवी धारा के अनुसार अगर कोई सदस्य देश पर हमला होता है तो नाटो विस्तृत सैनिक कार्यवाई कर सकता है।
तुर्की, जिसने पहले माना था कि उसके विमान ने सीरिया के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया था, बाद में, अमरीकी साम्राज्यवाद के सिखाने पर, दावा किया कि जिस वक्त उसके विमान को गोली मारी गयी वह सीरियाई हवाई क्षेत्र में नहीं था। इससे उसका गंदा इरादा और सीरिया पर दबाव डालने का उत्तेजित अभियान साफ नज़र आता है।
हाल के वर्षों में नाटो और अमरीकी साम्राज्यवाद द्वारा मनमुताबिक दूसरे देशों की संप्रभुता के उल्लंघन व हमलों के घटिया इतिहास को देखते हुये, यह साफ है कि एक गंभीर परिस्थिति तैयार हो रही है। सीरिया के खिलाफ़ साम्राज्यवादी उकसावे को बढ़ाने की मज़दूर एकता लहर कड़ी भर्त्सना करती है। हम मांग करते हैं कि हाल के हादसे को बहाना बनाकर, साम्राज्यवाद और उसकी एजेंसी नाटो सभी प्रत्यक्ष सैनिक हमलों या कार्यवाइयों की योजना वापस लें।
ईरान का नजदीकी मित्र देश होने के नाते, सीरिया, अमरीकी साम्राज्यवाद द्वारा तेल सम्पन्न पश्चिमी एशिया रणनैतिक इलाके में अपने आधिपत्य को मजबूत करने की योजनाओं में एक रोड़ा है। साम्राज्यवादी सीरिया के अंदर हर तरह के विरोधी तत्वों को लैस कर रहे हैं व उकसा रहे हैं, ताकि सीरिया में अस्थिरता लायी जा सके और अंदरूनी मामलों में विदेशी दखलंदाजी बढ़ाई जा सके। जैसे-जैसे सप्ताह व महीने बीत रहे हैं, वैसे-वैसे देश में लड़ाई ज्यादा तेज व निर्दयी हो गयी है, जिसमें दसियों हजार लोग मारे जा रहे हैं व उनके घर बर्बाद हो रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवीय मामलों के समन्वयन कार्यालय के अनुसार 15 लाख सीरियाई लोगों को मदद की सख्त जरूरत है। इस आंकड़े में सिर्फ बीते तीन महीने में ही 5 लाख की वृध्दि हुई है।
साम्राज्यवाद व नाटो का मकसद सीरियाई लोगों के लिये लोकतंत्र व आज़ादी दिलाना नहीं है। उनका मकसद प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष माध्यमों से उस पूरे देश पर कब्ज़ा जमाना है, ताकि वे अपना हित आगे बढ़ा सकें। अगर इसके लिये पूरे देश में कत्लेआम होता है तो साम्राज्यवाद को इससे कोई चिंता नहीं है। इसका सबूत अफग़ानिस्तान, इराक व दूसरे स्थानों पर उनका इतिहास है।
हिन्दोस्तानी मज़दूर वर्ग और लोगों को, हमलावर साम्राज्यवादियों और उनके मित्र देशों द्वारा, किसी दूसरे देश की संप्रभुता के खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन के खिलाफ़ जोर से आवाज़ उठाना चाहिये।