ग़दर पार्टी लाल सलाम!

महोदय, मज़दूर एकता लहर के 1-15 जनवरी, 2011 के अंक में, अपनी पार्टी की 30वीं सालगिरह को मनाने की रिपोर्ट को मैंने लगन से पढ़ा। अपनी पार्टी का जन्म माक्र्सवाद-लेनिनवाद के आधार पर संगठन बनाने और आचरण करने के मकसद से, क्रांति की कठिन परीक्षा के समय पर हुआ था जब आंदोलन माओ त्से तुंग विचार से भटका हुआ था और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी-लेनिनवादी) के टुकड़े-टुकड़े हो गये थे। अपनी पार्टी क

महोदय, मज़दूर एकता लहर के 1-15 जनवरी, 2011 के अंक में, अपनी पार्टी की 30वीं सालगिरह को मनाने की रिपोर्ट को मैंने लगन से पढ़ा। अपनी पार्टी का जन्म माक्र्सवाद-लेनिनवाद के आधार पर संगठन बनाने और आचरण करने के मकसद से, क्रांति की कठिन परीक्षा के समय पर हुआ था जब आंदोलन माओ त्से तुंग विचार से भटका हुआ था और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी-लेनिनवादी) के टुकड़े-टुकड़े हो गये थे। अपनी पार्टी का जन्म उस वक्त हुआ था जब शीत युध्द चोटी पर था और सामाजिक साम्राज्यवाद के परास्त होने और सोवियत संघ के पतन के काल में पार्टी कायम रही है और मजबूत हुई है। पूंजीपतियों ने उस ऐतिहासिक परिस्थिति का इस्तेमाल करके यह घोषणा की थी कि समाजवाद हमेशा के लिये खत्म हो चुका है और मेहनतकश लोगों को एक बेहतर दुनिया की ख्वाईश अपने दिल से निकाल देना चाहिये। अपनी पार्टी की विचारधारात्मक स्पष्टता की वजह से वह इन हमलों के तूफानों को झेल सकी है।
पूंजीपतियों और मज़दूर वर्ग के बीच बढ़ते अंतर्विरोध, विश्व साम्राज्यवाद द्वारा लोगों पर सबतरफे हमलों और अंतर-साम्राज्यवादी होड़ के जरिये विकसित हो रही एक बहु-घ्रुवीय दुनिया में, अपनी पार्टी क्रांति के मोर्चे पर आत्मविश्वास के साथ खड़ी है और चुनौतियों का सामना कर रही है। इस पूरी अवधि में और उससे भी पहले से, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा अपनाये गये रास्ते से मज़दूरों और किसानों को सत्ता से वंचित रखने में और कोल्हू का बैल बना कर रखने में मदद मिली है ताकि पूंजीपति उनका शोषण जारी रख सकें। अपने मुनाफे को निरंतर बढ़ाने के लिये, देश की भूमि और संसाधनों को लूटने और समाज के मालमत्तो व उत्पाद को हड़पने के लिये पूंजीपति जंगी रास्ते पर है।
हमारी पार्टी आज के वक्त क्रांति के झंडे को गर्व से उठाये है, यह मेरे लिये गर्व और तसल्ली की बात है। क्रांति पर सबतरफा हमला है और पूंजीपति वर्ग के आक्रमक रुख के बावजूद इस झंडे के तले चलते जा रहे सभी महिलाओं और पुरुषों को मैं बधाई देना चाहता हूं। अपने कठिन परिश्रम और माक्र्सवाद-लेनिनवाद पर अटल निष्ठा से हमारी पार्टी ने दिखा दिया है कि वह दिन अब दूर नहीं है जब हिन्दोस्तान के लोग क्रांति का झंडा पूरे देश में फहरायेंगे।
भवदीय
ए. नारायण, बंगलूरू

 

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