हजारों इंजन चालकों व उनके परिवारों ने 16 मई, 2012 को दोपहर को बैंगलुरु सिटी रेलवे स्टेशन से सेंट्रल कालेज ग्राउंड तक एक रैली में जोश के साथ भाग लिया। विभिन्न इलाकों के एसोसियेशनों के झंडों को फहराते हुये, इंजन चालकों ने अपनी एकता व जुझारू भावना, देश के मजदूर वर्ग की एकता और इंसाफ तथा नये समाज के लिये संघर्ष करने के उनके संकल्प को प्रकट करते हुये, नारे बुलंद किये। बैंगलुरु की भीड़-भाड़ वाली सड़
हजारों इंजन चालकों व उनके परिवारों ने 16 मई, 2012 को दोपहर को बैंगलुरु सिटी रेलवे स्टेशन से सेंट्रल कालेज ग्राउंड तक एक रैली में जोश के साथ भाग लिया। विभिन्न इलाकों के एसोसियेशनों के झंडों को फहराते हुये, इंजन चालकों ने अपनी एकता व जुझारू भावना, देश के मजदूर वर्ग की एकता और इंसाफ तथा नये समाज के लिये संघर्ष करने के उनके संकल्प को प्रकट करते हुये, नारे बुलंद किये। बैंगलुरु की भीड़-भाड़ वाली सड़कों से जैसे रैली गुज़री, शहर के मेहनतकशों को पूरी दुनिया में सबसे बड़ी रेल भारतीय रेल इंजन को चलाने वालों की ऊर्जा और उत्साह देखने को मिला। रैली के अंत में ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसियेशन (ए.आई.एल.आर.एस.ए.) की द्विवर्षीय गोष्ठी का सार्वजनिक सत्र हुआ। सार्वजनिक सत्र को संबोधित करने वालों में थे का. के.एस. मणी, का. के. पार्थसारथी, का. एम.एम. रोली और का. डी. राजकुमार, ए.आई.एल.आर.एस.ए. के पदाधिकारी और लोको पायलटों की दक्षिण-पश्चिमी शाखा के नेता, जो गोष्ठी और रैली के मुख्य आयोजक तथा मेजबान थे।
यह रैली और गोष्ठी ए.आई.एल.आर.एस.ए. की दो दिवसीय द्विवर्षीय ऑल इंडिया जनरल बॉडी मीटिंग का भाग थी। यह बैंगलुरु में 16, 17 मई, 2012 को हुई। गोष्ठी के स्थान को का. एस.के. धर नगर का नाम दिया था। गोष्ठी ज्ञान ज्योति सभागृह में हुई। मजदूर एकता लहर के एक प्रतिनिधिमंडल ने आमंत्रित पर्यवेक्षक बतौर गोष्ठी और रैली में भाग लिया। यहां हम अपने संवाददाताओं द्वारा दी गयी कार्यक्रम की रिपोर्ट को प्रकाशित कर रहे हैं।
भारतीय रेल के 15 अलग-अलग क्षेत्रों से 1000 से अधिक प्रतिनिधियों ने गोष्ठी में भाग लिया। लोको पायलटों के परिजन भी इसमें शामिल थे। ए.आई.एल.आर.एस.ए. के अध्यक्ष का. एल. मोनी ने सभा की अध्यक्षता की।
गोष्ठी प्रारंभिक सत्र से शुरू हुई, जिसके बाद रैली और सार्वजनिक सत्र हुये। अगले दिन गोष्ठी में सचिव का रिपोर्ट सुना गया उस पर चर्चा हुई तथा कुछ प्रस्ताव पास किये गये। उसके बाद ए.आई.एल.आर.एस.ए. के नये पदाधिकारियों का चुनाव हुआ, जिन्हें अगले दो वर्षों के लिये संगठन के काम का मार्गदर्शन करने का दायित्व सौंपा गया।
प्रारंभिक सत्र में का. वी.जे.के. नायर, सीटू के उपाध्यक्ष और स्वागत समिति के अध्यक्ष ने निजीकरण और उदारीकरण के ज़रिये भूमंडलीकरण के पूंजीवादी कार्यक्रम के खिलाफ़ एकजुट संघर्ष का आह्वान दिया। उन्होंने सांझे संघर्ष में विभिन्न क्षेत्रों के ट्रेड यूनियनों की एकता के महत्व पर जोर दिया। सांसद, का. बासुदेब आचार्य ने भारतीय रेल के संकट पर बात की। उन्होंने संप्रग सरकार की मजदूर विरोधी, जन विरोधी नीतियों की आलोचना की। उन्होंने लोको पायलटों की डयूटी के घंटों को 16 घंटों से घटाकर 8 घंटों तक सीमित करने तथा हफ्ते में निर्धारित छुट्टी की जरूरत पर ज़ोर दिया, जिसके लिये लोको पायलट पिछले 5 दशकों से संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने 16000 रिक्त पदों को भरने तथा मुख्यालय के समीप घर दिलाने की मांग की। उन्होंने रेलवे में ट्रेड यूनियनों के बीच एकता को मजबूत करने की जरूरत पर ज़ोर दिया।
का. मैथ्यू, लोक राज संगठन के संयोजक, का. अमानुल्लाह खान, अध्यक्ष, ऑल इंडिया इंश्योरेंस इंप्लाईज़ एसोसियेशन, का. जॉन विनसेंट कुमार, महासचिव, ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसियेशन, का. आर.एन. दीक्षित, महासचिव, ऑल इंडिया गार्ड्स काउंसिल, का. आर. इलंगोवन, कार्यकारी अध्यक्ष, दक्षिण रेलवे इंप्लाईज़ यूनियन, का. निर्मल मुखर्जी, महासचिव, चित्तरंजन लोको वक्र्स इंप्लाईज़ यूनियन, का. शंकर, राज्य सचिव, ए.आई.सी.सी.टी.यू., का. पी.एस. प्रसाद, राज्य सचिव कोआरडिनेशन कमिटी ऑफ सेन्ट्रल गवर्मेंट इंप्लाईज़ एंड वर्कर्स, का. वेंकटेश मूर्ति, महासचिव, एन.आर.ई.यू. ने प्रतिनिधियों और पर्यवेक्षकों का स्वागत किया।
जब लोक राज संगठन के का. मैथ्यू सभा को संबोधित करने लगे तो ज़ोरदार तालियों से उनका स्वागत किया गया। इससे स्पष्ट हुआ कि शासक वर्ग के हमलों के खिलाफ़ संपूर्ण मजदूर वर्ग के अधिकारों तथा लोको मजदूरों के अधिकारों की हिफ़ाज़त करने के दौरान, ए.आई.एल.आर.एस.ए. और लोक राज संगठन के बीच नज़दीकी के संबंध बने हैं। संक्षिप्त पर अत्यंत जुझारू भाषण में का. मैथ्यू ने लोको मजदूरों के जायज़ संघर्ष के लिये लोक राज संगठन और मजदूर एकता लहर के संपूर्ण समर्थन को प्रकट किया।
''हिन्दोस्तान के इंजन चालक इंसाफ के लिये रेल मजदूरों के संघर्ष में हमेशा आगे रहे हैं। यह एक कारण है जिसके लिये रेल प्रशासन बार-बार आपको तड़पाते हैं, पर्याप्त आराम व मुआवज़ा से वंचित करते हैं। …देश और बाकी दुनिया में मजदूर वर्ग की हालत को देखें। सारी दुनिया में पूंजीवादी व्यवस्था संकट में है। यह अत्यधिक उत्पादन का संकट है।
मेहनतकश उन चीजों को नहीं खरीद पा रहे हैं जो उन्होंने खुद बनाये हैं। …हिन्दोस्तान में भी संवर्धन में मंदी आ रही है। हिन्दोस्तानी राज्य एक परजीवी राज्य है जो समाज से भारी वसूली करता है। मेहनतकशों पर टैक्स लगाकर जो राजस्व सरकार इकट्ठा करती है, उसका अधिक से अधिक हिस्सा बड़े-बड़े बैंक और सेना हड़प लेते हैं। अर्थव्यवस्था में उत्पादक निवेश के लिये कुछ नहीं बचता…। सरकार के आर्थिक सलाहकार, कौशिक बासु ने कहा कि सुधार नहीं लागू हो रहे हैं इसलिये समस्या है। वह किन सुधारों की बात कर रहा है? वे श्रम कानूनों को बदलना चाहते हैं ताकि मजदूरों को जब मर्जी काम पर लगाया या निकाला जा सकता है। वे हड़तालों पर रोक लगाना चाहते हैं। वे सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण करके लोगों की संपत्तिा को कौड़ियों के दाम पर पूंजीपति वर्ग को सौंपना चाहते हैं। वे जल सप्लाई, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, शौच व्यवस्था, सड़क, रेल व हवाई परिवहन और हर ऐसे कारोबार का निजीकरण करना चाहते हैं, जिससे पूंजीपतियों को अधिकतम मुनाफे मिल सकते हैं। पर इन कदमों से समस्या का हल कैसे हो सकता है? इनसे तो समस्या और बिगड़ेगी। सारी दुनिया में, अमरीका की अगुवाई में साम्राज्यवादी ताकतें अर्थव्यवस्था का फौजीकरण कर रही हैं, कब्ज़ाकारी जंग छेड़ रही हैं। सबसे खूंखार साम्राज्यवादी ताकतों ने हमेशा फौजीकरण, फासीवाद और जंग में संकट से निकलने का रास्ता तलाशा है और इसका बोझ देश में तथा विदेश में मेहनतकशों को झेलना पड़ता है। हिन्दोस्तानी सरकार भी इस समय तेज़ी से फौजीकरण कर रही है।''
का. मैथ्यू ने कहा ''हमारी, मजदूर वर्ग की यह जिम्मेदारी है कि हम केन्द्र पर आयें और शासक वर्ग बनें। पहले कदम बतौर हमें अपना स्वतंत्र कार्यक्रम विकसित करना होगा। हमें पूंजीपति वर्ग और उसके मंत्र, कि ''कोई विकल्प नहीं है'' को चुनौती देनी होगी। यह काम कौन करेगा? आप में से जो भी यह विकल्प बनाने का काम उठाने को तैयार है, वह हाथ खड़ा करे।'' लगभग सभी ने हाथ खड़ा किया! अंत में का. मैथ्यू ने ऐलान किया कि ''इस विकल्प को बनाने में आप हिन्दोस्तान के इंजन चालकों की अहम भूमिका है। भविष्य मजदूर वर्ग का है। मैं इस गोष्ठी की सफलता की शुभकामना करता हूं।''
अपने भाषणों में वक्ताओं ने बताया कि उदारीकरण और निजीकरण के ज़रिये भूमंडलीकरण के कार्यक्रम से आम जनता, मजदूरों और किसानों की गरीबी बढ़ गयी है, जबकि कुछ मुट्ठीभर लोग और अमीर हुये हैं। यह राज्य पूंजीवादी राज्य है और जो भी सरकार बनती है, वह पूंजीपतियों का कार्यक्रम लागू करती है। पूंजीपतियों और उनके कार्यक्रम को हराने के लिये हमें मजदूर वर्ग का वैकल्पिक कार्यक्रम पेश करना होगा। हमें मजदूर वर्ग के कार्यक्रम पर देश भर में चर्चा आयोजित करनी होगी। हमें इस कार्यक्रम के लिये देश भर के मजदूरों का समर्थन प्राप्त करना होगा। हमें इस कार्यक्रम को लागू करने के लिये देश भर में संघर्ष करना होगा।
वक्ताओं ने लगातार बढ़ती महंगाई की निंदा की और उसे मेहनतकशों को लूटने व पूंजीपति वर्ग को अमीर बनाने की शासकों की सोची-समझी रणनीति बतायी। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र में अधिक से अधिक आउटसोर्सिंग की निंदा की। उन्होंने कहा कि अगर इस समय मुंबई में चल रहा राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल इंजन चालकों के खिलाफ़ फैसला सुनाता है तो हमें हड़ताल की तैयारी करनी चाहिये।
दूसरे दिन, गोष्ठी में महासचिव का. एम.एन. प्रसाद ने ए.आई.एल.आर.एस.ए. की 18वीं सर्व हिन्द गोष्ठी के बाद के ढाई वर्षों में संगठन के काम-काज की रिपोर्ट पेश की। इसके बाद अलग-अलग इलाकों के प्रतिनिधिमंडलों ने अपनी बातें रखीं। फिर बड़ी उत्साहपूर्ण चर्चा हुई। लोको पायलटों की बातों से यह स्पष्ट हुआ कि उन्हें देश व दुनिया की गतिविधियों और मजदूर वर्ग आन्दोलन की कठिनाइयों के बारे में भी काफी जानकारी है। साथ ही साथ, उन्होंने मजदूर वर्ग के उद्देश्य की ताकत के बारे में प्रौढ़ता व आशावादिता दिखाई। उन्होंने संगठन में कमज़ोरियों और उसे ज्यादा मजबूत बनाने के लिये आवश्यक कदमों पर स्पष्ट बात रखी।
सभा को संबोधित करने वाले प्रतिनिधियों में थे – का. डी.एस. कोपरकर – सेन्ट्रल रेलवे, का. लुनाराम और का. बी.एन. भारद्वाज – पश्चिम रेलवे, का. एम.पी. देब, का. शंकर घोष और डी.बी.दे – पूर्वी रेलवे, का. परमजीत सिंह, का. आर.बी. यादव, का. पी.के. घोष, का. रवि चंद्रन, का. गुरुदेव सिंह, का. संजय सरकार, गौरव मित्तल, बी.एस. श्रीवास्तव, एस.के. चौधरी, तेजस भदोरिया – दक्षिण-पूर्व रेलवे।
लोको पायलटों की जायज़ मांगों, जैसे कि काम के घंटों को कम करना, लगातार रात्रि डयूटी को खत्म करना, ग्रेड पे बढ़ाना, रनिंग अलाउंस बढ़ाना, साप्ताहिक छुट्टी, इत्यादि को हासिल करने के लिये आन्दोलन के कार्यक्रम तय किये गये। ए.आई.एल.आर.एस.ए. की सदस्यता बढ़ाने तथा सभी 15 क्षेत्रों में संगठन को मजबूत करने के बारे में फैसला लिया गया। सभी रेलवे मजदूरों को संगठित करने में लोको रनिंग स्टाफ की अहम भूमिका पर जोर दिया गया।
देश की संप्रभुता की हिफ़ाज़त में, किसानों की रोजी-रोटी की हिफ़ाज़त में, एयर इंडिया पायलट्स और दूसरे एयर इंडिया के मजदूरों के समर्थन में, एयर इंडिया के निजीकरण के खिलाफ़, रेलवे को विनाश से बचाने के लिये और लोको रनिंग स्टाफ की मांगों के समर्थन में प्रस्ताव अपनाये गये।
अंत में पदाधिकारियों का चुनाव हुआ। का. एल. मोनी को फिर से अध्यक्ष चुना गया और का. एम.एन. प्रसाद को महासचिव चुना गया। मेजबान दक्षिण-पश्चिम रेलवे के नेता का. सी. सुनिस ने सभी को धन्यवाद देते हुये, गोष्ठी को समाप्त किया।
मजदूर एकता लहरए.आई.एल.आर.एस.ए. की इस सफल सर्व हिन्द गोष्ठी के आयोजन के लिये, देश के लोको पायलटों को बधाई देता है। गोष्ठी से लोको पायलटों की संगठनात्मक ताकत स्पष्ट हुई। यह स्पष्ट हुआ कि लोको पायलट देश और दुनिया की गतिविधियों के बारे में जागरुक हैं। उन पर भारी जिम्मेदारी है कि राज्य सत्ता पर कब्ज़ा करने के मजदूर वर्ग के स्वतंत्र कार्यक्रम के इर्द-गिर्द देश के संपूर्ण मजदूर वर्ग को सक्रियता से संगठित करें।