सनसनी खुलासे

सी.आई.आई.

सी.आई.आई. के प्रधान ने सड़क परिवहन मंत्रालय के लिये कमल नाथ के नाम को बढ़ावा दिया। वह भूतपूर्व संप्रग सरकार में वाणिज्य मंत्री बतौर मुनाफेदार ठेकों का आवंटन करने में कमल नाथ के काम से खुश था। जैसा कि अब जानी-मानी बात है, द्रमुक के राजा को टाटा और अन्य पूंजीपतियों की गुजारिश पर टेलिकॉम मंत्री फिर से बनाया गया। मुकेश अंबानी ने सुनिश्चित किया कि मुरली देवरा को पेट्रोलियम मंत्री नियुक्त किया जाये। राडिया टेप्स में नागरिक उड्डयन मंत्री बतौर नियुक्त किये गए प्रफुल पटेल के बारे में एक चर्चा भी है। यह कहा जा रहा है कि प्रफुल पटेल, जो अब तक ”जेट एयरवेज के नरेश गोयल का मंत्री था”, वह अब संभवत: ”किंगफिशर एयरलाइंस के विजय माल्या का मंत्री” होगा।
यह बात अब छिपी न रही कि टाटा टेलिसर्विसेज को अपनी बारी से पहले और 343 अन्य निवेदकों से पहले जी.एस.एम. स्पेक्ट्रम का आवंटन किया गया और 2010 तक यह आवंटन 2001 की कीमतों पर किया गया। इसकी वजह से टाटा टेलिसर्विसेज का मूल्य आसमान छू गया। नवम्बर, 2008 को टाटा टेलिसर्विसेज ने अप्रत्याशित 2.8 अरब डालर की कीमत पर अपने 26 प्रतिशत शेयर जापानी टेलिकाम कंपनी डोकोमो को बेचा, जिससे उसने एक ही सौदे से बेशुमार मुनाफे पाये।
2008 में, मनमोहन सिंह सरकार ने वैश्विक आर्थिक संकट से पैदा हुई समस्याओं को हल करने के नाम पर कई कदम लिये। इनमें एक कदम था पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा दो महीने में विमान ईंधन की नियंत्रित कीमत को 38 प्रतिशत से घटाना। इसके साथ-साथ वाणिज्य मंत्रालय द्वारा लौह अयस्क और इस्पात के निर्यात के शुल्क में भारी कटौती की गई। इन कदमों का उद्देश्य था टाटा, रिलायंस आदि जैसी विमान, इस्पात उत्पादन और तेल शोधन की कंपनियों के मुनाफा दरों की रक्षा करना। इसके अलावा, कपड़ा, सीमेंट और अन्य क्षेत्रों के लिए बड़े-बड़े उद्योगपतियों के संगठनों ने ”राहत पैकेज” के प्रस्ताव और मांगे कीं। टैक्स द्वारा वसूले गये जिस धन का प्रयोग जनकल्याण के लिए होना चाहिए था, उसे बड़ी पूंजीवादी कंपनियों के मुनाफों को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया।

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