पडघा, महाराष्ट्र में मई दिवस

“संगठित हो, हुक्मरान बनो और समाज को बदल डालो!”, लोक राज संगठन की पडघा समिति के इस आह्वान का स्वागत करके, दो सौ से अधिक नागरिक 6 मई की सभा में शामिल हुए।

“संगठित हो, हुक्मरान बनो और समाज को बदल डालो!”, लोक राज संगठन की पडघा समिति के इस आह्वान का स्वागत करके, दो सौ से अधिक नागरिक 6 मई की सभा में शामिल हुए।

पडघा, वाघिवली, मटक्याचा पाडा, सक्रोली, वाफाला, आनगाँव, जुहुपाड़ा, बढ़ाने, चिम्भिपाड़ा आदि दूर-दूर के देहातों से महिला, पुरुष, बच्चे सभा स्थल पर उत्साह से आये। सभा स्थल पर पानी की समस्या को लेकर एक हस्ताक्षर अभियान भी जारी था जिसपर सभी उपस्थित लोग तथा राहगीरों ने हस्ताक्षर किये। पडघा समिति की ओर से सभी का स्वागत समिति के सचिव ने किया। उनके बाद लोक राज संगठन की ठाणे समिति के एक युवक ने बड़े ही सरल शब्दों में सभा को संबोधित किया। पडघा इलाके में मार्च-अप्रैल महीने में जो चुनाव हुए उनमें उस युवक ने लोक राज संगठन की एक स्थानीय महिला उम्मीदवार के प्रचार में सहभाग लिया था। उस प्रचार का अनुभव बयान करते हुये युवक ने बताया कि किस तरह “चुने हुए प्रतिनिधि को लोगों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए” लोगों ने लोक राज संगठन की राजनीति की सराहना की और 3 हजार रुपये से ज्यादा का योगदान उस गरीब आदिवासी इलाके के लोगों ने दिया। “मेरे जैसे शहर में रहने वाले की आँख उस अनुभव से खुल गई” ऐसा उन्होंने बताया।

वाघिवली से आए लोगों की ओर से एक युवती ने बताया कि किस तरह लोक राज संगठन उन्हें मजबूत बनाने के लिए मदद कर रहा है। मेरे गाँव के सभी लोग लोक राज संगठन के साथ हैं ऐसा उस युवती ने जब घोषित किया तब खास कर उसके गाँव से आए लोगों ने तालियां बजाई।

राशन के हक़ के लिए लोक राज संगठन की पडघा समिति के नेतृत्व में जो संघर्ष किया गया उसकी वजह से हजारों लोगों को लाभ हुआ है। ये संघर्ष लोक राज संगठन ने किस तरह लड़ा यह एक वक्ता ने विस्तार पूर्वक बताया। पहले तो लोक राज संगठन ने सभी लोगों को कई मीटिंगें लेकर तथा हजारों की संख्या में कई बार पर्चे बांटकर राशन की समस्या से संबधित सभी तथ्यों से अवगत कराया। यह था लोगों को जागृत करने का कदम। फिर लोक राज संगठन ने इस सच्चाई से लोगों को अवगत कराया कि सरकार और उसकी राशन संबंधित नीतियाँ राशन व्यवस्था की बुरी हालत के लिए जिम्मेदार हैं और इसीलिए वे ही लोगों की असली दुश्मन हैं। फिर लोक राज संगठन ने एक पडघा समिति गठित की और सभी निर्णय फिर चाहे मोर्चा निकालने का हो या पर्चे बाँटने का, या फिर किसी सरकारी अफसर से मिलने का इस समिति की बैठक में लिए गए। जब-जब किसी सरकारी अफसर से मिलना जरूरी हुआ तब-तब बड़ी संख्या में लोगों को साथ में लिया गया। इस तरह लोक राज संगठन ने उन्हें संगठित होने में अगुवाई दी। सभी संघर्षों में लोक राज संगठन यही तरीका अपनाता है ताकि लोगों की स्थानीय समिति मजबूत बने और किसी एक नेता पर लोग निर्भर न हों ऐसा उस वक्ता ने बताया।

एक और वक्ता ने मई दिवस-अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस का महत्व सभी को समझाया। पडघा इलाके में गत 3-4 वर्षों में बढ़ती संख्या में युवक तथा युवतियां गोदामों में तथा छोटे-छोटे कारखानों में काम करने के लिए जा रहे हैं। उन्हें भी संगठित होने की आवश्यकता है अन्यथा मालिक उनका शोषण और तीव्र करेगा तथा उन पर और हमले करेगा। लोक राज संगठन उनके साथ है यह आश्वासन उस वक्ता ने दिया।

लोक राज संगठन के वक्ता ने बताया कि आम जनता की बीमारी, गरीबी, बेकारी, सभी की जड़ यह है कि आम लोगों के हाथों में राजनीतिक सत्ता नहीं है। जब आम लोगों के हाथों में सत्ता होगी तब यह कभी नहीं होगा कि एक तरफ लाखों टन अनाज सड़ता रहे और दूसरी तरफ देश की जनता भूखी रहे। पूरे महाराष्ट्र में पानी की समस्या अत्यधिक गंभीर हुई है। इसकी वजह भी सरकार की जन-विरोधी नीतियाँ हैं यह उन्होंने कई आंकड़े पेश करके बताया। इस समस्या को सुलझाने के लिए संघर्ष करने के लिए कौन तैयार है ऐसा सवाल जब उन्होंने किया तब सभा में उपस्थित ज्यादातर सभी ने हाथ उठाकर अनुमोदन दिया। उन्होंने समझाया कि लोक राज संगठन की स्थानीय समितियां, ये हम सभी के लिए एक पाठशाला की तरह हैं जिसमें शामिल होकर हम न केवल संघर्ष करना सीखेंगे बल्कि यह भी सीखेंगे कि जब राज्यसत्ता हमारे हाथों में होगी तब हम उसकी बागडोर कैसे संभालेंगे। ठाणे तथा उल्हासनगर से आए लोक राज संगठन के युवकों ने जोशपूर्ण इंकलाबी गीत पेश किये तथा एक स्थानीय युवती ने नृत्य पेश किया। सभा से उत्साहित होकर 40 से ज्यादा लोग लोक राज संगठन के सदस्य बने।

बाकी सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियाँ केवल चुनाव के वक्त लोगों के पास आती हैं मगर लोक राज संगठन हर वक्त लोगों को संगठित करने में व्यस्त है यह इस सफल सभा ने एक बार फिर साबित कर दिया।

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