अमरीकी साम्राज्यवाद और उसके सहयोगियों द्वारा सीरिया में अस्साद सरकार का तख्ता पलटने और वहां “सत्ता परिवर्तन” करने की सबसे नवीनतम योजनायें सामने आयी हैं। अस्साद सरकार अमरीकी योजनाओं में रोड़ा है और पिछले एक साल से भी अधिक समय से अमरीका, अस्साद सरकार को गिराने के मकसद से, खुल्लम-खुल्ला सीरिया में बगावती ताकतों को उकसाता आया है, उनको पैसा देता और उनका समर्थन करता आया है। इसका नतीजा
अमरीकी साम्राज्यवाद और उसके सहयोगियों द्वारा सीरिया में अस्साद सरकार का तख्ता पलटने और वहां “सत्ता परिवर्तन” करने की सबसे नवीनतम योजनायें सामने आयी हैं। अस्साद सरकार अमरीकी योजनाओं में रोड़ा है और पिछले एक साल से भी अधिक समय से अमरीका, अस्साद सरकार को गिराने के मकसद से, खुल्लम-खुल्ला सीरिया में बगावती ताकतों को उकसाता आया है, उनको पैसा देता और उनका समर्थन करता आया है। इसका नतीजा यह रहा है कि सीरिया के लोगों की भयंकर बरबादी तथा भारी खूनखराबा हुआ है। साथ ही अमरीका के नेतृत्व में लगाई गई पाबंदियों की वजह से वहां के लोगों को भारी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
विश्व जन मत के दबाव में आकर और संयुक्त राष्ट्र संघ में रूस, चीन और दूसरे देशों के विरोध के कारण, अमरीका व उसके सहयोगियों को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आयोजित युद्धविराम की योजना से राज़ी होना पड़ा था। परन्तु युद्धविराम को कायम करने का मौका देने से पहले ही उन्होंने युद्धविराम को विफल करने का भरसक काम किया है। चीख-चीख कर वे एकतरफा प्रचार कर रहे हैं कि अस्साद सरकार युद्धविराम का उल्लंघन कर रही है जबकि वे खुद विरोधी ताकतों को हथियारों से लैस कर रहे हैं। इसका पर्दाफाश अप्रैल के अंतिम सप्ताह में तब हुआ जब लेबनानकी सरकार ने हथियारों और बन्दूक की गोलियों का एक जत्था जप्त किया जो समुद्री रास्ते से सीरिया के विद्रोहियों के लिये भेजा गया था। रूसी विदेशमंत्री ने खुले तौर पर कहा कि “यह उनकी करतूत है जो कोफी अन्नान के (युद्धविराम) को विफल करना चाहते हैं …ऐसा वे सीरिया के विद्रोहियों को हथियार भेज कर और उन्हें सरकारी और गैर-सरकारी सुविधाओं पर रोज़ाना हमले करने का प्रोत्साहन देकर कर रहे हैं।”
नाटों के विदेशमंत्री अप्रैल में ब्रसल्स में मिले और इस बात पर चर्चा की कि कैसे सीरिया की सरकार के तथाकथित युद्धविराम के उल्लंघनों को बहाना बना कर, किसी न किसी तरह के हमले की सफाई दी जाये। तुर्की की सरकार को प्रोत्साहन दिया जा रहा है कि वह शिकायत करे कि सीरिया की सीमा से उनके देश में गोलीबारी हो रही है और मांग करे कि नाटो उसकी रक्षा के लिये कदम उठाये। नाटो के अधिकारी योजना बना रहे हैं कि किस तरह इस बहाने सीरिया के अंदर एक “प्रतिरोधक घेरा (बफर जोन)” बनाने के नाम पर नाटो बलों को तुर्की सीमा से सीरिया में लाकर उस “प्रतिरोधक घेरे” में तैनात किया जाये। फिर भविष्य में इस प्रतिरोधक घेरे का इस्तेमाल सीरिया के अंदर विस्तृत हमला करने के लिये किया जायेगा।
नवीनतम घटनायें दिखा रही हैं कि अमरीका और नाटो सीरिया में किसी भी तरह के विवाद को शांतिपूर्ण तरह से सुलझाने के एकदम विरोध में हैं। अफग़ानिस्तान, इराक व लीबिया की तरह ही, वे सीरिया में अस्साद सरकार को हटा कर एक ऐसी सरकार स्थापित करना चाहते हैं जो उनके इशारों पर चले। उनके लिये सभी देशों की प्रभुसत्ता की रक्षा के कानून सहित, अंतर्राष्ट्रीय कानून या संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन, सिर्फ अपना उल्लू सीधा करने के साधन हैं।
सीरिया के बारे में अमरीकी साम्राज्यवाद व नाटो की योजनाओं का हिन्दोस्तानी मज़दूर वर्ग व लोग निंदा करते हैं। सीरिया के लोगों को अपनी समस्याओं के मुद्दों को अपने आप, बिना किसी बाहरी दखलंदाजी के, शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का मौका मिलना चाहिये। बाहरी दखलंदाजी चाहे वह “सीरिया के मित्रों” के नाम से ही क्यों न की जाये, सीरिया के लोगों और उनकी स्वतंत्रता के लिये तबाही का रास्ता होगा।