कानपुर में मजदूरों का धरना

उत्तर प्रदेश के कानपुर के मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर 8अप्रैल, 2012को शिक्षक पार्क परेड में एक दिवसीय धरना दिया।

उत्तर प्रदेश के कानपुर के मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर 8अप्रैल, 2012को शिक्षक पार्क परेड में एक दिवसीय धरना दिया।

किसी समय कानपुर शहर मजदूरों का शहर कहा जाता था, जहां कई कपड़ा, जूट, ऊनी मिलें, चमड़े के कारखाने, दो पहिया स्कूटर कारखाना इत्यादि अपनी पूरी क्षमता के साथ चला करते थे। आज हालात ये हैं कि उपरोक्त सभी मिल व कारखाने करीब-करीब बन्द हो चुके हैं। कई वर्षों से लगातार मजदूरों के संघर्षों के चलते कुछ मिलों को पुन: चालू किया गया है जो कि सिर्फ नाममात्र भर हैं।

यहां के मजदूरों की हालत बद से बदतर हो गयी है, कुछ क्षेत्रों में छोटे-छोटे इंजीनियरिंग, मसाला, प्लास्टिक व चमड़े के उद्योग चल रहे हैं। इनमें काम करने वाले मजदूरों को न्यूनतम वेतन, ई.एस.आई., प्रोविडेन्ट फंड जैसी मूलभूत जरूरी सुविधायें

भी नहीं मिलती हैं। महिला मजदूरों की स्थिति तो और भी बदतर है, उन्हें कम वेतन देना, निर्धारित घंटों से अधिक काम करवाना व उनसे अभद्र व्यवहार करना एक आम बात है।

धरने के बाद यूनियन के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री के नाम 11सूत्रीय मांगों का एक ज्ञापन जिलाधिकारी को दिया जो कि निम्नलिखित हैं।

  • सभी बंद मिलों को पुन: चालू करने हेतु कार्ययोजना बनायी जाये।
  • ई.पी.एफ., 1995पेंशन स्कीम के अन्तर्गत 3500रुपये में डीए जोड़ कर तुरंत लागू कर मासिक भुगतान किया जाये।
  • सभी बीमार उद्योगों, जिन्हें पुन: चालू किया गया है, उसे पूरी क्षमता से चलाया जाये।
  • सभी उद्योगों में, श्रम-कानूनों को कठोरता से लागू किया जाये, जो अधिकारी उन्हें लागू करने से इन्कार करते हैं तो उन्हें दंडित किया जाये।
  • बी.आई.सी. के ठेका श्रमिकों के समान वी.एस.एस. वेतन, ग्रेज्यूटी समेत सभी सुविधायें पांचों एन.टी.सी. मिलों के 540ठेका श्रमिकों को भी दिया जाये।
  • सभी उद्योगों के श्रमिकों के लिये कम से कम 10,000रुपये न्यूनतम वेतन निर्धारित किया जाये, ठेका श्रमिक, संविदा श्रमिक, भवन निर्माण आदि श्रमिकों को समान सुविधा उपलब्ध करायी जाये।
  • सभी उद्योगों के श्रमिकों की तरह बन्द एवं बीमार उद्योगों के श्रमिकों को ई.एस.आई. की सुविधा प्रदान की जाये और सभी श्रमिकों को तालाबंदी की अवधि की सेवा की निरन्तरता कायम की जाये।
  • सभी उद्योगों के श्रमिकों को पी.एफ., बीमा एवं आई. कार्ड व वेतन पर्ची दी जाये।
  • सभी घरेलू महिला मजदूरों के हितों के लिये नियम-कानून बनाकर सभी सुविधायें प्रदान की जायें और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना अविलम्ब लागू की जाये।
  • जबरन सेवा निवृत्त किये गये श्रमिकों का पुनर्वास किया जाये व श्रमिक-कालोनियों का मालिकाना हक सभी श्रमिकों को दिया जाये।
  • श्रमिकों के संगठन बनाने के ट्रेड यूनियन निर्माण करने पर रोक समाप्त की जाये एवं कार्यकर्ताओं पर लगाये गये झूठे मुकदमें तत्काल वापस लिये जायें।

इस धरने का आयोजन संयुक्त रूप से कपड़ा मिल मजदूर यूनियन, घरेलू महिला कामगार यूनियन, जे.के. काटन मिल्स कार्मचारी, औद्योगिक सहकारी समिति व एल.एम.एल. मजदूर एकता संगठन, आदि ने किया।

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